1250 क्विंटल महुआ फूल संग्रहण का लक्ष्य: पेड़ के नीचे जाल लगाकर महुआ का संग्रहण
कोरबा 10 अपै्रल। वन मंडल कोरबा ने इस वर्ष 1250 क्विंटल महुआ फूल संग्रहण का लक्ष्य रखा है। कोरबा वन मंडल के करतला, कुदमुरा, पसरखेत, कोरबा लेमरू, बालकों के जंगलों में बड़े पैमाने पर महुआ पेड़ हैं। इन दिनों वनवासी महुआ संग्रहण के कार्य में जुटे हैं। इस बार महुए का सीजन संग्राहकों के लिए कहीं ज्यादा खास है। पेंड़ों के नीचे जाली लगी है। महुआ फूल जमीन के बजाय जालियों में सुरक्षित अटक जाता है, जिसे संग्रहित किया जा रहा है। इतना ही नही संग्राहकों को मेहनत का पूरा लाभ देने लघु वनोपज सहकारी समितियां मौके पर ही खरीदी में जुट गई है।
बड़मार, लेमरू व गढ़ समिति का चयन किया गया है, जहां का महुआ फूल कोरबा से निकलकर विदेशों तक ख्याति प्राप्त कर चुका है यानि यह कहना उचित होगा कि जमीन पर महुआ गिरा नही और विदेश तक उसकी महक पहुंच रही है। कोरबा वनमंडल के जिला वनोपज सहकारी यूनियन में कुल 38 लघु वनोपज सहकारी समिति गठित है। इन समितियों के माध्यम से शासन की विभिन्ना योजनाओं का क्रियांवयन किया जाता है। समिति में कार्यरत प्रबंधक न सिर्फ तेंदूपत्ता की खरीदी करते हैं, बल्कि अन्य वनोपज की खरीदी भी की जाती है, जिसे राज्य के अलावा विभिन्ना प्रांतों में भेजा जाता है। यदि गुणवत्ता की बात करें कोरबा के वनोपज की ख्याति राज्य की नही अपितु विदेश तक पहुंच चुकी है। इसमें महुआ फूल भी शामिल है। अब तक जमीन में गिरे महुआ फूल की खरीदी की जाती थीए जिससे गुणवत्ताविहीन होने के कारण संग्राहकों को सही दाम नही मिल पाता था, जबकि फूड प्रोसेसिंग महुआ की मांग विदेश में लगातार बढ़ रही है।
इसे देखते हुए शासन ने फूड प्रोसेसिंंग महुआ खरीदी का फैसला किया है, ताकि संग्राहकों को उनकी मेहनत और उपज का सही दाम मिल सके। इसके लिए पेड़ के नीचे जाल लगाकर महुआ संग्रहण की योजना तैयार की गई है। जिसके लिए कोरबा वनमंडल के तीन समिति लेमरू, गढ़ और बड़मार का चयन किया गया है। इन तीनों ही समिति में न सिर्फ महुआ की गुणवत्ता बेहतर है बल्कि उपज भी सर्वाधिक है। तीनों समिति के करीब 100 संग्राहकों को जाल का वितरण किया गया है। यह जाल पेड़ के नीचे लगाए गए, जिसमें गिरते ही महुआ का संग्रहण किया जा रहा है। संग्राहक फूड प्रोसेसिंग महुआ की बिक्री के लिए न भटकें, इसके लिए मौके पर ही खरीदी की जा रही है। जिसका सीधा फायदा न सिर्फ संग्राहकों को मिल रहा है। यह महुआ जल्द ही प्रदेश के अलावा विभिन्ना राज्यों और विदेशों में भेजे जाऐंगे।
वन विभाग द्वारा 10 रुपये प्रति किलो की दर से महुआ फूल की खरीदी की जाएगी। कोरबा के जंगलों के महुआ के फूल से वनवासी देसी शराब बनाते हैं, पर पिछले वर्ष कोरबा के महुआ फूल को विदेशी डिमांड आने पर विदेश भेजा गया था, लेकिन इस वर्ष अब तक विदेशी डिमांड नहीं आई है। विभाग के अफसरों का कहना है कि आने वाले दिनों में विदेशी डिमांड आती है तो उसे जल्द ही पूरा किया जाएगा। यहां बताना होगा कि इससे हर वर्ष वनवासी परिवारों को लाखों रुपये की कमाई होती है।
कोरबा वनमंडल के तीन समितियों में फूड प्रोसेसिंग महुआ की खरीदी की जा रही है। इसके लिए मौके पर ही प्रबंधक और वन कर्मियों की तैनाती की गई है, जो संग्राहकों से कच्चे महुआ की खरीदी कर रहे हैं और तत्काल उनके खाते में भुगतान किया जा रहा है। खास तो यह है कि पूर्व में संग्राहक महुआ को सूखा कर बेचते थे, इस समस्या से राहत मिल गई है। जिले में बीते कुछ समय से मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। आंधी तूफान के साथ वर्षा भी हो रही है। इसका असर अन्य फसलों के साथ महुआ संग्रहण पर भी पड़ रहा है। दरअसल मौसम साफ होने पर ही महुआ गिरता है। मौसम में नमी के कारण महुआ का उपज हो पाना मुश्किल होता है। इसका असर लेमरू क्षेत्र में खासतौर पर पड़ा है। इस क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्य को पाना असंभव प्रतीत हो रहा है।
कोरबा में हर साल लगभग 1250 क्विंटल महुआ फूल का संग्रहण होता है। इस महुआ फूल से खाद्य प्रोडक्ट बनाया जा रहा है। राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा महुआ फूल को फूड ग्रेड बनाने के लिए प्रक्रिया विकसित की गई है। महुआ लड्डू जूस, कुकीज, चाकलेट, अचार, जेम आदि बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा राज्य में बेहतर क्वालिटी के महुआ फूल कलेक्शन कर विदेशों तक इसकी सप्लाई की जा रही है।