छत्तीसगढ़ प्रेरणा तुम्हारी तौहीन से मेरी शहादत का मोल कम नहीं होगा: जांबाज पुलिस अधिकारी का चुनौती भरा खुला ख़त Gendlal Shukla August 18, 2020 अम्बिकापुर 19 अगस्त। लाल गलियारे में अपने देश और समाज की सुख शांति के लिए हमेशा मुस्तैद और जरूरत पड़ी तो अपनी जान कुर्बान कर देने वाले वीर जवानों की जगह अराजक रास्ते से दिशाहीन परिवर्तन की इच्छा रखने वालों के तरफ़दार कम नहीं हैं। ऐसे ही दिग्भ्रमित कथित बुद्धि जीवियों पर राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित वरिष्ठ आई पी एस अधिकारी और सरगुजा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक श्री रतनलाल डांगी ने एक ख़त लिखा है। आइये पढ़ते हैं उनका जज्बाती और दिल दिमाग को झकझोर देने में सक्षम ख़त- तुम्हारी तौहीन से मेरी शहादत का मोल कम नहीं होगा“एक शहीद जवान की आत्मा का साथियों के नाम संदेश”मेरे जवान साथियों,आपके साथ मैंने भर्ती के मैदान में पसीना बहाया, फिर हम सबने मिलकर प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग स्कूल में सुबह से रात्रि तक वो सीखते रहते थे जिससे कि हमारे प्रदेश के लोगों को शांतिपूर्वक जीने, काम करने प्रदेश को आगे ले जाने के लिए सुरक्षित वातावरण बना सके।चाहे इसके लिए हमें सुदूर जंगलों में राष्ट्र विरोधी तत्वों से मुकाबला करना हो या शहरों/देहातों में कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बने असामाजिक तत्वों से या गरीबों/ वंचितों/महिलाओं की सुरक्षा के लिए नासूर बने अपराधियों से निपटना हो।और वो सब हम लोग अपनी जान की बाजी भी लगाकर करते रहते है। बस्तर के सुदूर जंगलों में हम राष्ट्र विरोधी, आदिवासी विरोधी, संविधान विरोधी, मानवाधिकार विरोधी, शिक्षा विरोधी, विकास विरोधी, विदेशी ताकतों की कठपुतली माओवादियों/नक्सलियों से दो दो हाथ करते हैं। वो लोग संविधान को नहीं मानते लेकिन अपने बचाव में उसी संविधान का सहारा लेते हैं, कंगारू कोर्ट लगाकर निर्दोष लोगों की जान लेने को जायज ठहराते है।अवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल करने वालों से वैधानिक तरीकों से निपटते हैं। आदिवासी क्षेत्रों के विकास को रोकने सड़कें उखाड़ दे रहे,क्षेत्र के बच्चों को अनपढ रखने स्कूलों को तोड़ दिए हैं, टीचर स्कूलों तक न पहुंच सके इसलिए पुल पुलिया उड़ा दे रहे हैं, हाट बाजारों में पहुंचने वाले व्यापारियों को धमकाते हैं, लेवी वसूली करते हैं।देश दुनिया से सम्पर्क न कर सके इसलिए मोबाइल टावर्स ब्लास्ट कर दिए हैं। कोई युवा उज्जवल भविष्य के लिए जंगल से बाहर निकलकर पढ़ाई करता है तो जब भी कभी वापस गांव जाता है तो वो नक्सली उसकी जान लेने में भी नहीं हिचकते हैं।ऐसे राष्ट्र विरोधी तत्वों से प्रदेश को मुक्त कराने मैं और मेरे साथी सुदूर जंगल में गए थे। वहां मैं और मेरे कुछ साथी अंतिम सांस तक उनको सबक सीखाने डटे रहे और वहां ही लड़ते लड़ते अंतिम सांस लिया था।मुझे गर्व था कि मैं देश के बेहतर भविष्य व आदिवासी भाईयों के सुनहरे भविष्य के लिए जान कुर्बान किया है। लोग मेरे बलिदान को देशभक्ति से नवाजेंगे। मेरे परिवार, गांव, साथियों का मेरा नाम लेते ही सीना गर्व से भर जाएगा।और ऐसा ही हुआ। मुझे सम्मान दिया, राष्ट्र ध्वज मे लपेटा गया, साथी जवानों ने सलामी दी, वरिष्ठ अधिकारियों ने शीश झुकाया मुझे कंधा दिया, माननीय जनप्रतिनिधियों ने भी अपना सम्मान दिया, मेरे व साथी शहीद जवानों की जाबांजी के किस्से वहां हर किसी की जबान पर थे जिसे मैं सुनकर बहुत खुश हो रहा था।मेरा पार्थिव शरीर मेरे गृह ग्राम पहुंचा वहां भी हर किसी को मेरी शाहदत पर गर्व हो रहा था, मेरे जिन्दाबाद के, अमर रहने के नारे भी मैं सुनकर प्रफुल्लित हो रहा था।मेरे परिवार को मेरे शहीद होने का गम भी व गर्व दोनों हो रहा था । मेरा भाई, बेटा भी फोर्स में जाने की बात हर किसी कह रहे थे।आसपास के लोग, साथ जो पढ़े थे, ट्रेनिंग या नौकरी किए सब लोग मेरे साथ आजतक के जो अनुभव उन्होंने महसूस किए एक दूसरे से शेयर कर रहे थे। यह सब सुनते सुनते मेरा प्रार्थिव शरीर शमशान स्थल पहुंच गया। जहां मेरा अंतिम बिस्तर बहुत ही सुंदर सजाकर लगाया हुआ था,जहां मुझे कभी नहीं टूटने वाली नींद लेनी थी। मुझे बहुत ही प्यार से लिटाया गया फिर एक बार साथी जवानों की हुंकार सुनाई दी जो मुझे अंतिम विदाई (श्रद्धांजलि) की सलामी दे रहें थे। एक बार आकाश मेरी जयजयकार के नारों से गूंज उठा। लेकिन धीरे धीरे मुझे अब ये नारे सुनाई देना बंद हो रहे थे क्योंकि अब मै बहुत थक चूका हूं और गहरी नींद आ रही है। मैं चिर नींद मे सोने जा रहा हूँ।मुझे नींद आ ही रही थी कि मैंने एक आवाज सुना जो कोई किसी से बात कर रहा था कि हमने सुना है यह सब जवानों की गलती से हुआ है। वो लापरवाही से चल रहे थे, दुश्मनों के क्षेत्र मे यह गलती नहीं करना चाहिए। लगता है आपके द्वारा जो ट्रेनिंग दी जा रही हैं उसमें सुधार करना चाहिए। यह तो दुश्मनों ने बदला लेने किया है।जो पहले फोर्स वालों पर लोगों ने आरोप लगाए थे। तभी मोबाइल की लंबी घंटी सुनाई दी जो लग रहा था बहुत दूर से किसी ने किया है, इधर से किसी पुलिस अधिकारी से वो ही सवाल पूछे जा रहे थे जो पहले वाले किसी व्यक्ति ने पूछे। उधर का सवाल तो नहीं सुनाई दे रहा था लेकिन इधर का जबाब सुन रहा था।बहुत ही आक्रोश के साथ जोर से जवाब दे रहे थे कि आप शहीदों का ऐसे सवाल पूछकर उनकी शहादत की तौहीन नहीं कर सकते। हम शहीद की जाति, धर्म नहीं देखते है वो किसी जाति के लिए नहीं बल्कि देश के लिए शहीद हुए हैं।हमको उन जंगलों मे जाने का कोई शौक नहीं है जहां एक रात भी कई महीनों के बराबर लगती हो,दुश्मन की गोली से ज्यादा मच्छर से हमारे साथी दुनिया से चले जाते हैं। हम वहां इसलिए है क्योंकि कुछ मानवता विरोधी लोग आम लोगों के लिए शासन की बनाई सड़कों ,पुलियों ,शासकीय भवनों को बम से उड़ा दे रहे हैं,कंगारू कोर्ट लगाकर जान ले ले रहे हैं।आप उनकों बोलिए ऐसा न करें।दूसरी बात वहां पहले कौन आए ?सुरक्षा बल तो तब गए जब जिनकी आप तरफदारी कर रहे है उनका आतंक बढ़ गया था।इसलिए जो पहले आए वो पहले जाएं।जो ल़ोग शहीदों की शहादत पर खुशी जाहिर करें,उनके प्रति असंवेदनशील व्यक्तव्य देते हैं वो एक बार शहीदों के माता पिता या बच्चों से जरूर मिले।यदि उनमें संवेदनशीलता या देशभक्ति क्षणिक भी बची होगी तो न तो ऐसी बात करेंगे और न ही विभिन्न माध्यमों से शहीदों की शहादत का अपमान लिखकर करेंगे।इधर से बोलने वाले की आवाज में काफी तीक्ष्णता व ओज सुनाई दे रहा था।पूरे दिन जो मै अपनी शहादत की तारीफ के कसीदे सुनकर फूला न समा रहा था अचानक मन दुखी हो गया। अपनी जान देकर भी मैं सबको खुश नहीं कर सका।इससे ज्यादा तो एक इंसान कोई बलिदान नहीं दे सकता।लेकिन मुझे ट्रेनिंग के समय की कुछ बातें याद आ गई जिसमें उस्ताद कहते थे कि दुनिया मे हर तरह के लोग सृष्टि के समय से ही रहे हैं कुछ सृजनात्मक सोच लिए होते है तो कुछ विध्वंसात्मक सोच लिए। और हमको तो सृजनात्मक काम ही करना है,जिनकी जैसी सोच है उनको वो मुबारक रहे।बस इसी को याद करते हुएं मैं अब गहरी नींद में जाने से पहले मेरे साथियों से कहना चाहूंगा कि आप ऐसे नकारात्मक सोच वालों की बातों पर अपना ध्यान नहीं देकर जिस मकसद के लिए वर्दी धारण की है उस फर्ज को याद रखना।जब इतिहास लिखा जाएगा तो आपका नाम राष्ट्र निर्माण वालों की सूची मे होगा न कि राष्ट्र विघटन वालों की सूची मे।आपकी भावनाओं की कद्र करने वालो की देश मे कोई कमी नहीं है वो दिल से दुआएं आपको देते हैं ,पूरा देश आपके साथ है सिवाय कुछ विघ्नसंतोषी लोगो को छोड़कर।हम सबकी जाति व धर्म केवल एक है वो है भारतीयता।हमको कोई भी जाति ,संप्रदाय के आधार पर नहीं बांट सकता।दुश्मनों से मुकाबला करते जो व्यक्ति आपके लिए अपने जान की बाजी लगाता वो ही आपका भाई होता है,वहां हम जाति धर्म नहीं देखते।यह सब उन लोगों को मुबारक जो ऐसी सोच लिए होते हैं।हम सब एक है।अब मेरी आत्मा को जाने देना होगाआप सबको जय हिन्द।रतनलाल डांगी iPSपुलिस महानिरीक्षकसरगुजा रेंज, छत्तीगसढ़ Spread the word Continue Reading Previous जिला पंचायत कोरबा के वृक्षारोपण प्रभारी अधिकारी की खुली पोल, कलेक्टर ने जताई कड़ी नाराजगीNext CORONA UPDATE : कोरबा जिले में कम्युनिटी ट्रांस्मिशन का खतरा प्रत्यक्ष रूप से आया सामने..रैंडम सैंपलिंग में मिल रहे कोरोना संक्रमित Related Articles Business Chhattisgarh Raipur उद्योग कोरबा छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ राजकाज राजनीति रायपुर व्यापार नई औद्योगिक नीति से 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