नौ अगस्त आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या घर-घर जलाएंगे दीपक
कोरबा 6 अगस्त। छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ के सचिव जय सिंह राज ने कहा कि मूल निवासियों को अधिकार दिलाने नौ अगस्त 1994 को स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में विश्व का प्रथम अंतरराष्ट्रीय मूलनिवासी सम्मेलन का आयोजन किया गया। उनकी समस्याओं का निराकरण कराने भाषा, संस्कृति और इतिहास के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे।
इसके बाद विश्व समेत पूरे भारत में नौ अगस्त को विश्व मूलनिवासी आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों में निवासरत मूलनिवासी समाज अपनी उपेक्षा, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, बेरोजगारी व बंधुआ बाल मजदूर जैसी समस्याओं से ग्रसित है। इस दिवस को मूलनिवासी के संबंध में भाषा, बोली, संस्कृति और इतिहास, छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद निवास प्रमाण पत्र, मूल निवासी प्रमाण पत्र के स्थान पर स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बनाए जाने, जनसंख्या में कमी आना, बजट लैप्स होने, विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती नहीं करने, अनुसूचित क्षेत्रों के जिलों की डीएमएफ की राशि को दूसरे जिलों में व्यय करने, छात्र-छात्राओं को समय पर छात्रवृत्ति नहीं देने, पेसा कानून लागू कराया जाने, वन अधिकार कानून, भूमि अधिग्रहण एवं विस्थापन, पदोन्नाति में आरक्षण, राष्ट्रीय एवं राज्य जनजाति नीति, आदिवासी धर्मकोड, ग्राम सभा का अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आय समेत अन्य विषयों पर चिंतन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नौ अगस्त को कार्यक्रम के बाद ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत व जिला स्तर पर भी विश्व मूलनिवासी आदिवासी दिवस मनाना चाहिए। आयोजन समिति द्वारा राज्य के राज्यपाल व मुख्यमंत्री को अवगत कराने और आठ अगस्त की शाम को अपने घर व नौ अगस्त को कार्यक्रम स्थल पर 750 दीपक जलाने कहा है।