कटघोरा में आध्यात्मिक समारोह आयोजित

कोरबा 15 फरवरी। शिवरात्रि महोत्सव की श्रृंखला में आध्यात्मिक समारोह, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सानिध्य में, सभागृह कटघोरा, मेला ग्राउण्ड में शिव ध्वजारोहण, केक काटकर एवं दीप प्रज्जवलित करके बड़े ही उमंग उत्साह के साथ, गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में मनाया गया।

इस अवसर पर उपस्थित महापौर नगर पालिक निगम कोरबा ने कहा कि सहज राजयोग के प्रवचन में हंस बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया। हंस में परखने और निर्णय करने शक्ति होती है। वह मोती ग्रहण करता है और कंकड़ को छोड़ देता है। इसी तरह से सही समय पर, सही स्थान पर, सही क्षमता से, सही रूप से हम दूसरों के काम आ जायें ंतो हमारा जीवन सार्थक होगा। आने वाले समय में यह प्रांगण सर्व कल्याण के कार्य के लिये विकसित होता रहेगा, ऐसी मेरी शुभकामना है। आपने शिवरात्रि महोत्सव की सर्व को बधाईंयां दी। भ्राता रतन मित्तल अध्यक्ष नगर पालिका परिषद कटघोरा ने कहा कि इतना निश्चित है कि ऐसे स्थान पर आकर मन में शांति की अनुभूति होती है। ब्रह्माकुमारी बहनों का निःस्वार्थ सेवा भाव सर्व को प्रभावित करता है। मेरा संकल्प यह अवश्य था कि कटघोरा में एक प्रेयर स्थान बनना चाहिए और आज इस स्थान पर उपस्थित होकर मुझे खुशी हो रही है। ये स्थान और सुन्दर बने ऐसा मेरा प्रयास रहेगा। डॉ. के. सी. देबनाथ, अक्षय हास्पिटल कोरबा ने कहा कि जब भी हम यात्रा पर जाते हैं, तो रेल्वे रिजर्वेशन लेने का प्रयास करते हैं। जीवन यात्रा, एक लम्बी आध्यात्मिक यात्रा है। इस यात्रा के लिये सहज राजयोग सीखना आवश्यक है, जिसका कि ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।

भ्राता किशोर अग्रवाल ने कहा कि मैं संस्था के मुख्यालय आबूपर्वत गया हूॅं, वह एक स्वच्छता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। ब्रह्माकुमारीज द्वारा नवनिर्मित इस कार्य में मेरा सम्पूर्ण सहयोग रहेगा। भ्राता श्रीराम अग्रवाल ने कहा कि हम सब यहां एकत्रित हुए हैं, यह हमारा परम सौभाग्य है। यहां आकर मुझे एक सुखद अनुभूति हो रही है। ब्रह्माकुमारी श्रृति बहन, आबू पर्वत, ने कहा कि भगवान दुखहर्ता सुखकर्ता है। वे सर्व को गति-सद्गति व मुक्ति, जीवन-मुक्ति देते हैं। आत्मा 84 जन्मों के चक्र में आकर स्वयं के अस्तित्व को भूल गई है। यही सर्व दुःखों का कारण है। ब्रह्माकुमारी बिन्दु बहन ने कहा कि शिव का अर्थ ही है बीज जो कि मनुष्य सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष के रचयिता हैं। वे निराकार ज्योति स्वरूप हैं जो कि कलियुग के अंत तथा सतयुग के आदि में इस सृष्टि पर ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना का कार्य संगमयुग पर करते हैं। वर्तमान समय संस्था द्वारा उन्हें यह कार्य 86 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। ब्रह्माकुमारी रूकमणी बहन ने कहा कि आज व्यक्ति के पास धन सम्पदा सर्व भौतिक संसाधन होते हुए भी मन का सुख चैन नहीं है। सहज राजयोग के अभ्यास से आत्मिक भाव, परमात्म परिचय प्राप्त होता है। सुसंस्कारों का निर्माण होता है, जिससे सुख शांति आनंद का प्रवाह जीवन में स्वतः आता है। ब्रह्माकुमारी लीना बहन ने राजयोग का अभ्यास कराया। कु. ऊर्जा, अंजलि, पूजा ने नृत्य एवं भ्राता साधराम भाई ने भजन की प्रस्तुति की। भ्राता शेखर राम ने मंच का संचालन किया।

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