31 अक्टूबर: जम्मू-कश्मीर में पुनगर्ठन के दो साल पूरे, मेहमान नवाज कश्मीर में बही विकास की बयार

श्रीनगर 31 अक्टूबर। ‘गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त/ हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त’ इसका मतलब है-अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है। मशहूर सूफी कवि-संगीतकार-दार्शनिक अमीर खुसरो की ये पंक्तियां बताती हैं कि एक समय कश्मीर कितना सुंदर रहा होगा। लेकिन एक समय क्यों, आज खुसरो की इन पंक्तियों का संदर्भ फिर से सच हो रहा है। पिछले दो साल में राज्य में हो रहे विकास के बाद आज हम खुसरों की इन पंक्तियों को फिर से दोहरा सकते हैं, क्योंकि अब जम्मू-कश्मीर में हालात बहुत तेजी से बदल रहे हैं। आज यानि 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में पुनगर्ठन के दो साल पूरे हो गए हैं। दुश्मन देशों की परस्ती जम्मू की फिजाओं से गायब हो रही है और भ्रष्ट अफसरों-कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने जैसा सख्त कदम सरकार द्वारा उठाया जा रहा है, ताकि राज्य के निवासी अमन-चैन की जिंदगी जी सकें। चलिए देखते हैं महज दो साल में ही केंद्र सरकार ने कश्मीरियों की जीवटता और मेहमान नवाजी के जज्बे की बदौलत जम्मू-कश्मीर में किन बड़े बदलावों पर मुहर लगाई है, जिनका गवाह पूरा देश बन रहा है…

खरीद सकते हैं जमीन

पहले अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों पर जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने पर रोक थी, लेकिन केंद्र सरकार ने एक बड़े फैसले के तहत इस रोक को हटा दी। अब अन्य राज्यों में रहने वाले लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं।

सचिवालय में लहराया भारतीय तिरंगा

केंद्र सरकार का इस फैसले से न सिर्फ देशभर में एक अच्छा मैसेज गया, बल्कि वर्षों से लोगों के मन में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र ध्वज को नहीं फहराये जाने को लेकर पीड़ा थी, वो भी दूर हो गई। सरकार के इस फैसले से देशभर में राष्ट्रभक्ति को लेकर एक बहुत ही पॉजीटिव मैसेज गया और विरोधी विचारधारा वाले लोगों के लिए एक सख्त संदेश भी कि एक देश-एक ध्वज और राष्ट्रभक्ति को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता, क्योंकि देश सर्वोपरी है। सरकार के इस फैसले के बाद श्रीनगर के शासकीय सचिवालय में भारतीय तिरंगा लहराया गया।

महिलाओं के हक में केंद्र सरकार का बड़ा फैसला

जम्मू-कश्मीर में पहले नियम था कि अगर आप जम्मू-कश्मीर में रहती हैं और अन्य राज्य में रहनेवाले व्यक्ति से शादी कर लेती हैं तो आपके पति जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे, लेकिन केंद्र सरकार ने इस नियम को दरकिनार कर दिया और नियमों में बदलाव कर यह तय किया कि जम्मू-कश्मीर के बाहर अन्य राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के पति भी राज्य के मूल निवासी का प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे। केंद्र सरकार के इस फैसले से उन महिलाओं के पति जम्मू-कश्मीर में संपत्ति भी खरीद सकेंगे और सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन भी कर सकेंगे। यहां तक कि सरकार के इस बड़े फैसले से यह भी संभव हो पाया कि केंद्र शासित प्रदेश में अगर कोई व्यक्ति 15 सालों तक रहा हो या 7 साल तक पठन-पाठन किया हो या हाईस्कूल या 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं में वो शामिल रहा हो तो वो और उनके बच्चों को भी मूल निवासी का दर्जा हासिल होगा। जमीन व रोजगार का हक देकर सरकार ने भेदभाव को खत्म किया। जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए डोमिसाइल की व्यवस्था से जिन गोरखा, वाल्मीकि और रिफ्यूजी लोगों को लगभग 70 सालों से राज्य की मुख्यधारा से दूर रखा गया था, उन्हें भी डोमिसाइल मिला। कश्मीरी पंडितों को भी उनका हक दिलाने की लगभग 30 साल बाद पहल हुई। ये कश्मीरी पंडित आतंकवाद के दौर में घाटी में अपनी संपत्तियों को औने-पौने दाम पर बेचकर कहीं और चले गए थे, ताकि उनकी जिंदगी बची रहे।

पत्थरबाजों की खैर नहीं

31 जुलाई को जो आदेश जारी हुआ उसमें यह साफ तौर पर कहा गया कि पत्थरबाज पासपोर्ट और सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं ले सकेंगे। पत्थरबाजी को लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस की CID विंग काफी सख्त रही और पत्थरबाजी या जान-माल को नुकसान पहुंचाने वाले मामलों में शामिल रहनेवालों को पासपोर्ट और सरकारी सेवाओं के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस देने से मना कर दिया।

डल झील की सूरत बदली

पूर्ववर्ती सरकारों में करोड़ों रुपये डल झील की साफ-सफाई पर खर्च किए गए, इसके बावजूद राज्य की डल झील की स्थिति दयनीय थी। आज उसी झील पर बोटें तैर रही हैं, सैलानियों का आना-जानी जारी है। दो साल में ही डल झील कश्मीर की खूबसूरती में चार चांद लगा रही है।

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