आउटसोर्सिंग कोयला मजदूरों का बोनस निर्धारण करना भूले श्रमिक नेता

कोरबा 18 अक्टूबर। विभिन्न मुद्दों को लेकर हड़ताल करते वक्त आउटसोर्सिंग मजदूरों का समर्थन लेने वाले श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में कोयला खदान में कार्यरत नियमित कर्मियों का बोनस निर्धारित कर लिया, पर आउटसोर्सिंग मजदूरों को भूल गए। अब कहा जा रहा कि 21 हजार से उपर वेतन वालों को बोनस नहीं दिया जा सकता। मजदूरों को कहना है कि नियमित कर्मियों की तरह उन्हें भी अनुग्रह राशि दिया जा सकता है, पर श्रमिक नेताओं ने उपेक्षा की।

साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल समेत कोल इंडिया का अन्य संबंधित कार्यरत नियमित कर्मियों को दुर्गा पूजा के पहले 72500 रुपये बोनस प्रदान किया गया। बोनस के दायरे से बाहर होने की वजह से इन कर्मियों को परफारमेंस लिंक एवार्ड स्कीम के नाम से इतनी राशि दी गई। पिछले वर्ष तक स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में आउटसोर्सिंग व ठेका मजदूरों के बोनस पर भी निर्णय लिया जाता था, पर इस बार बैठक में इस मामले में चर्चा ही नहीं की गई। श्रमिक नेताओं ने इन मजदूरों के लिए बोनस या लाभांस देने पर भी प्रबंधन के समक्ष मुद्दा नहीं उठाया, इससे आउटसोर्सिंग मजदूरों का बोनस लटक गया। अब इन मजदूरों ने बोनस का मुद्दा उठाया, तो श्रमिक संघ प्रतिनिधियों के होश उड़ गए हैं। श्रमिक नेता व प्रबंधन का कहना है कि बोनस एक्ट में 21 हजार से अधिक वेतन पाने कर्मियों को बोनस देने का प्रावधान नही है। इस पर मजदूरों का कहना है कि जब उन्हें अधिकार नही है तो नियमित कामगारों का वेतन उनसे अधिक है और उन्हें परफारमेंस लिंक एवार्ड स्कीम के नाम से राशि दी जा रही है। इसी तरह आउटसोर्सिंग व ठेका पद्धति से कार्यरत मजदूरों को भी राशि दिलाई जाए। मजदूरों की मांग से श्रमिक संघ प्रतिनिधियों के भी होश उड़ गए हैं और अब उन्हें भय सता रहा है कि भविष्य में किसी मुद्दे को लेकर खदान में आंदोलन करते हैं तो उन्हें इन मजदूरों का समर्थन नहीं मिलेगा।

कोयला खदान में कार्यरत आउटसोर्सिंग मजदूरों को पिछले दो वर्ष से बोनस नहीं मिला। हालांकि बैठक में बोनस मसले पर चर्चा भी की गई थी और राशि दिलाने पर भी सहमति बनी थी। लेकिन किसी भी कंपनी ने राशि प्रदान नहीं की थी। मजदूरों ने आंदोलन भी किया थाए पर बाद में कोई नतीजा नहीं निकला। आउटसोर्सिंग मजदूरों का वेतन प्रतिदिन 930 रुपये की दर से बनता है। इस तरह 26 दिन का वेतन 24180 रुपये होता है। इसमें पीएफ व इएसआइसी राशि की कटौती कर शेष राशि प्रदान की जाती है। इस तरह 21 हजार से अधिक वेतन बनने की वजह से बोनस नहीं मिल पाता। वहीं सिविल विभाग में कार्यरत ठेकेदार भी मजदूरों की संख्या 20 से कम बताते हैं और नियम के मुताबिक उन्हें भी बोनस का प्रावधान नहीं रहता है।

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