बारदाना पहुंचाने के लिए विपणन विभाग को नहीं मिले परिवहन ठेकेदार

कोरबा 18 अक्टूबर। धान खरीद केंद्रों तक बारदाना पहुंचाने के लिए विपणन विभाग को अभी तक परिवहन ठेकेदार नहीं मिले हैं। डीजल पेट्रोल की बढ़ी महंगाई और पुराना निविदा दर 20 रूपये प्रति किलोमीटर परिवहन दर से वाहन मालिक तैयार नहीं है। 11 लाख क्विंटल धान खरीदी के लिए 38 लाख बारदानों की जरूरत है। विपणन विभाग अभी तक आठ लाख बारदानों का संग्रहण किया है। समय रहते संग्रहण परिवहन का काम पूरा नहीं हुआ तो उपार्जन केंद्र में धान बिक्री के लिए पहुंचने वाले किसानों को बारदाना के लिए रतजगा करना होगा।

धान खरीदी उपार्जन का कार्य संभवतः 15 नवंबर से शुरू हो जाएगी। हालाकि अभी इसकी सरकारी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन खरीदी कार्य में प्रगति नहीं है। धान उपार्जन के लिए बारदानाा संग्रहण की जिम्मेदारी विपणन विभाग को दी गई है। विभाग पूरी उम्मीद पीडीएस दुकानों से टिकी है। मिलर्स से संग्रहण अभी तक शुरू नहीं हुआ है। विभाग ने अभी तक आठ लाख बारदानों का संग्रणह किया है। समस्या यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि संग्रहित बारदानों को अभी तक उपार्जन केंद्रों में पहुंचाने की शुरूवात नहीं हुई है। कारण यह है कि हर साल विपणन विभाग बारदानों की आपूर्ति के लिए निविदा जारी करती है। इस साल भी जारी की गई पर एक भी वाहन मालिक निविदा में शामिल नहीं हुए। बीते वर्ष भी निविदा हुई थी जिसमें एक मात्र परिवहन ठेकेदार के शामिल होने से निविदा निरस्त कर दी गई थी। माना जा रहा है कि बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी निजी वाहन मालिकों से बारदाना आपूर्ति कराया जाएगा। पुराने बारदानों से खरीदी होने के कारण इस बार भी उपार्जन केंद्र से मिल तक धान को ले जाने में झड़न की समस्या हो गई। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी के लिए तैयारी का कार्य प्रगति पर नहीं होने से अंततः इसका खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ेगा।

विपणन विभाग में बारदाना संग्रहण का कार्य डेढ़ माह बाद आठ लाख के आंकड़े में आकर सुस्त पड़ गया है। उपार्जन केंद्रों के लिए दो साल से नए बारदानों की आपूर्ति नहीं हुई है। इस वजह से पुराने बारदानों में उपयोगी को संग्रहण में काफी मुश्किलें आ रही हैं। पीडीएफ दुकानों में उपलब्ध बारदाने चार से पांच बार उपयोग हो चुके हैं। यह तय है कि पुराने बारदानों में भराई से खरीद केंद्रों में फिर बिखरे धान की भरमार रहेगी। उठाव के दौरान झड़ने से धान की बर्बादी होगी। जुट के बारदानों को एक बार उपयोग किए जाने के बाद उसमें खिंचाव आ जाता है। अधिक बार उपयोगिता से धान झड़ने की संभावना बढ़ गई है।

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