एनालॉग टेक्नालॉजी की जगह डिजिटल प्लेटफार्म का प्रयोग कर प्रसार भारती कर रहा तकनीकी बदलाव
नईदिल्ली 14 अक्टूबर। प्रसार भारती ने आधुनिक तकनीक की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह संस्था पुरानी पड़ चुकी एनालॉग टेक्नालॉजी की जगह डिजिटल प्लेटफार्म का प्रयोग बढ़ा रही है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कुछ क्षेत्रों को छोड़कर प्रसार भारती अब बाकी जगहों से अब एनालॉग तकनीकी पर आधारित टेरिस्ट्रियल टीवी ट्रांसमीटर को हटा रही है। प्रसार भारती ने कहा है कि कुछ स्थानों पर इस संबंध में गलत जानकारी प्रसारित की जा रही है कि दूरदर्शन से जुड़ा कोई केन्द्र बंद होने जा रहा है।
प्रसार भारती अन्य फ्री टू एयर निजी चैनलों सहित दूरदर्शन के सभी चैनल डीटीएच डिश के माध्यम से उपलब्ध करा रहा है।
डीटीएच डिश को एक बार न्यूनतम खर्च कर लगवाया जा सकता है और प्रसार भारती के सभी चैनलों को देखा जा सकता है।
संचालन खर्च में होगी बचत
प्रसार भारती का कहना है कि सामरिक एवं रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थापित लगभग 50 एनालॉग टेरेस्ट्रियल टीवी ट्रांसमीटरों को छोड़कर, 31 मार्च, 2022 तक शेष अप्रचलित एनालॉग ट्रांसमीटरों को चरणबद्ध तरीके से बंद कर देगा। इसी क्रम में वर्ष 2017-18 में 306, वर्ष 2018-19 में 468, वर्ष 2019-20 में 6 और वर्ष 2020-21 में 46 टेरिस्ट्रियल टीवी ट्रांसमीटर हटाये गए हैं। वहीं 2021-22 में 412 ट्रांसमीटर हटाये जाने की योजना है।
इससे कई मेगाहर्डस के सेपेक्ट्रम मुक्त होंगे और साथ ही संचालन खर्च में 100 करोड़ रुपये सालाना तक की बचत होगी। साथ ही इससे आधुनिक प्रौद्योगिकियों और नए अवसरों की दिशा खुल रही है।
भ्रामक खबरें न फैलाने की अपील
प्रसार भारती का कहना है कि कुछ मीडिया संस्थानों ने इस जानकारी के अभाव में भ्रामक खबरें प्रकाशित की हैं। दूरदर्शन के सिलचर केन्द्र से जुड़े एक मामले पर प्रसार भारती ने विशेष रूप से कहा है कि असम राज्य को समर्पित दूरदर्शन के सैटेलाइट चैनल पर प्रसारण के लिए कार्यक्रम सामग्री पहले की तरह की तैयार की जाती रहेगी। डीडी असम इसके अलावा यूट्यूब और सोशल मीडिया के माध्यम से डिजिटल मीडिया में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।
देश की सबसे बड़े प्रसारक ने आगे कहा कि एनालॉग टेरेस्ट्रियल टीवी वर्तमान दौर में अप्रचलित तकनीक है और इसका चरणबद्ध हटाया जाना सार्वजनिक और राष्ट्र के हित में है। पुरानी पड़ चुकी इस तकनीकी के प्रयोग से बिजली पर व्यर्थ खर्च को कम करने के साथ ही 5G जैसी नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए मूल्यवान स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा।