हुल्ला पार्टी भी हाथियों को नहीं कर पा रही नियंत्रित, बनिया गांव में फसलों और मकानों को किया क्षतिग्रस्त

कोरबा 31 जुलाई। जिले के कटघोरा वनमंडल में हाथियों का उत्पात थमने के बजाय और भी बढ़ता जा रहा है। पसान परिक्षेत्र में बेकाबू हो गए हाथियों को नियंत्रित करने व खदेड़ने के लिए वन विभाग द्वारा पश्चिम बंगाल से एक बार फिर हुल्ला पार्टी को बुलाया गया है, जो गुरुवार से यहां पहुंच चुकी है। हुल्ला पार्टी में 11 सदस्य शामिल हैं। हुल्ला पार्टी के सदस्यों ने यहां पहुंचने के बाद शुक्रवार से मोर्चा संभाल लिया है। हुल्ला पार्टी द्वारा शुक्रवार की रात को पसान के जंगल में पहुंचकर हाथियों की उपस्थिति की जानकारी ली और इसे खदेड़ने तथा उत्पात को रोकने की कोशिश की। हुल्ला पार्टी की कोशिशों के बावजूद हाथियों का दल रेंज के बनिया गांव में पहुंच गया और रात भर भारी उत्पात मचाया। इस दौरान हाथियों ने तीन ग्रामीणों के मकान ढहा दिये तथा वहां रखे धान-चावल व अन्य अनाज को खाने के साथ ही घरेलू सामानों को भी तहस-नहस कर दिया। हाथियों का उत्पात काफी देर तक चला। इस दौरान ग्रामीण तथा मकान स्वामी व उसके परिवार सहमे रहे।

हाथियों के बनिया गांव में पहुंचने तथा उत्पात मचाए जाने की सूचना दिए जाने पर वन विभाग का अमला रात में ही मौके पर पहुंचा और ग्रामीणों तथा हाथी मित्र दल के सदस्यों के साथ मिलकर उत्पात मचा रहे हाथियों को खदेड़ने की कार्यवाही की। वन विभाग द्वारा खदेड़े जाने पर हाथियों ने जंगल का रूख किया तब ग्रामीणों तथा वन अमले ने राहत की सांस ली। आज सुबह हाथियों द्वारा किये गए नुकसानी का सर्वे किया गया और रिपोर्ट तैयार की गई। बनिया बिट में 20 हाथी घूम रहे हैं। बीती रात हुल्ला पार्टी को चकमा देने के लिए ये हाथी तीन दलों में बंट गए। एक दल हरदेवा की ओर चला गया जबकि दूसरा दल चोटिया व तीसरा दल बनिया के आसपास विचरण करता रहा। इस दल ने रात में गांव की बस्ती में घुसकर उत्पात मचाया। जिस समय हाथियों यहां उत्पात मचाया उस समय हुल्ला पार्टी समीप ही थी। पार्टी के सदस्य कुछ हाथियों को हरदेवा की ओर जाता देखकर उसके पीछे चले गए। इसी दौरान बनिया में मौजूद हाथियों ने बनिया बस्ती में पहुंचकर नुकसान पहुंचा दिया। इस बीच तीन दंतैल कोरबी से आगे बढ़कर केंदई रेंज के फुलसर पहुंच गया है। इस दल ने भी यहां काफी नुकसान पहुंचाया है। दंतैल हाथियों ने ग्रामीणों के खेत में पहुंचकर वहां लगे खरीफ फसल को रौंदकर मटियामेट कर दिया। खेतों में फसल रौंदने के बाद दंतैल हाथियों ने मिलन सारथी नामक ग्रामीण के नाले किनारे स्थित घर को निशाना बनाया और उसका दरवाजा तोड़ते हुए अंदर प्रवेश कर गया। कुछ देर आंगन में घूमने के बाद हाथी वहां से चलता बना। इस दौरान मिलन सारथी व उसके परिवार ने घर के एक कोने पर दुबक कर अपनी जान बचाई।

कटघोरा के पसान रेंज में इससे पहले भी जंगली हाथी बेकाबू हो गए थे। तथा क्षेत्र में उत्पात मचाने के साथ ही जनधन ही हानी कर रहे थे, तब उसे नियंत्रित करने व खदेड़ने के लिए तत्कालीन रेंजर निश्चिल शुक्ला की मांग पर पश्चिम बंगाल से हुल्ला पार्टी को बुलाया गया था। वनविभाग के अधिकारियों के बुलावे पर हुल्ला पार्टी ने यहां पहुंचकर हाथियों को नियंत्रित करने व खदेड़ने की कोशिश की थी लेकिन वह विफल रही थी। हुल्ला पार्टी द्वारा हाथियों को खदेड़े जाने पर हाथी उग्र हो गए थे तथा हिंसा पर उतारू हो गए थे। तीन.चार दिनों तक किये गए प्रयास का नतीजा जब सामने नहीं आया तो हुल्ला पार्टी ने अपने अभियान को रोक दिया था। तथा 15 दिनों तक पसान क्षेत्र में रूख कर सामान्य होने का इंतजार करते रहे। जब हाथी सामान्य नहीं हुए तो हुल्ला पार्टी वापस लौट गई थी।

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