कोयला खदानों से हो रही डीजल चोरी के मामलों में कार्रवाई शुरू

कोरबा 8 जुलाई। कोरबा सहित कई जिलों में पुलिस अधीक्षक के तबादले किये जाने और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के निर्देश देने के नतीजे सामने आ रहे हैं। हर तरफ कार्रवाई का दौर जारी है। कोरबा भी इसमें शामिल है। एसईसीएल की खदानों से हो रही डीजल चोरी के मामलों में कार्रवाई प्रारंभ हुई है। शुरूआती स्तर पर सैकड़ों लीटर डीजल के प्रकरण बन रहे है। जबकि दावा किया जा रहा है कि हर दिन खदानों से हजारो लीटर डीजल पार किया जा रहा है।

सीआईएसएफ को खदान क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी कोल इंडिया के द्वारा दी गई है। एसईसीएल सहित कई कंपनियों में सुरक्षा का काम उसके जिम्मे है। इसके अतिरिक्त कई और एजेंसियां इस काम को देख रही हैं। इन सबके बावजूद खदान क्षेत्रों में चोरी की घटनाएं काफी समय से जारी है। इसके अंतर्गत महंगे सामानए कबाड़ और डीजल को पार किया जा रहा है। चाहकर भी सुरक्षा तंत्र अपनी ओर से प्रभावी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है। हाल में ही पुलिस विभाग में कोरबा के पूर्व पुलिस अधीक्षक के अलावा कई जिलों के अधिकारियों को बदल दिया गया और नई पदस्थापना की गई। इसी के साथ विभाग प्रमुख ने हर तरफ अवांछित गतिविधियों के उन्मूलन पर जोर दिया। कोरबा में इसका असर शुरू हो गया है। इस कड़ी में हर कही कार्रवाई चल रही है। कोयलांचल में डीजल चोरी के मामले में पकड़ में आ रहे है। कुसमुंडा पुलिस ने लगातार दो ऐसी कार्रवाई की। इनमें संयुक्त रूप से 950 लीटर डीजल जप्त किया। दूसरे इलाकों में यह काम होना बाकी है। जानकारों का कहना है कि एसईसीएल के सभी क्षेत्रों की खदानों में इस तरह की गतिविधियां चल रही है। अलग-अलग स्तर पर सांठगांठ होने की खबरें इस मामले में आती रही है। माना जा रहा है कि कहीं न कहीं अधिकारियों की साख पर बट्टा लगने के चक्कर में अब पुलिस एक्शन मोड में है।

इससे पहले खदान क्षेत्रों से एसईसीएल कंपनी का सामान पार किये जाने के मामलों में पुलिस के द्वारा तर्क दिया जाता रहा है कि जो घटनाएं भीतर के हिस्से में हो रही है, उनमें हम कुछ नहीं कर सकते। क्योंकि यह एसईसीएल का आंतरिक मामला है। दूसरी ओर सीआईएसएफ अपने स्तर पर सीधी कार्रवाई करने से बचता रहा है। एक मौके पर उसके सब इंस्पेक्टर के द्वारा चोर पर गोली चलाने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चोर को चरवाहा प्रचारित करने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ली। इन सब कारणों से सुरक्षा का काम करने वाले जवान ज्यादा जोखिम मोल लेने के पक्ष में नहीं है।

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