कोरबा में 8269 क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन, 6690 क्विंटल की बिक्री

0 स्व-सहायता समूहों को 20 लाख रू. से ज्यादा की प्राप्त हुई आय

कोरबा 25 मार्च। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत जिले के विभिन्न गौठानों में बेचे गये गोबर से 8269 क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया गया है। जिसके विक्रय से स्व-सहायता समूहों को 20,29,544 रू. की आय प्राप्त हुई है, जिससे स्व-सहायता समूह की महिलाएं खुश है।
श्रीमती किरण कौशल कलेक्टर कोरबा द्वारा गोधन न्याय योजना के सुचारू क्रियान्वयन एवं ग्रामीण महिलाओं के आजीविका संवर्धन हेतु जिले में विशेष प्रयास किये जा रहे है, जिसकी परिणति अब महिलाओं को आर्थिक लाभ के रूप में देखने को मिल रही है। कुंदन कुमार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत कोरबा द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में सुचारू गोबर खरीदी, गौठानों में गोबर से गुणवत्ता पूर्ण जैविक खाद बनाने के लिए सभी गोठान नोडल को निर्देशित किया गया था। उनके द्वारा खाद निर्णाण के लिए समूहों को समय-समय पर प्रेरित भी किया जा रहा है।

15 मार्च 2021 तक जनपद पंचायत कोरबा में 61 महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 1213 क्विंटल, जनपद पंचायत करतला में 45 महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 960 क्विंटल, जनपद पंचायत कटघोरा में 24 महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 1044 क्विंटल, जनपद पंचायत पाली में 54 महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 3011 क्विंटल, जनपद पंचायत पोड़ी उपरोडा में 64 स्व-सहायता समूह द्वारा 1821 क्विंटल जैविक खाद एवं शहरी 05 स्व-सहायता समूह द्वारा 220 क्विंटल इस प्रकार कुल 8269 क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन किया गया है।
जिले में स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित किये गये जैविक खाद को शासकीय विभिन्न विभागों, पंचायतो एवं किसानों द्वारा 6690 क्विंटल जैविक खाद क्रय किया गया है।
गोठानों में क्रय किये गये गोबर से बनाये गये जैविक खाद के विक्रय से 253 स्व-सहायता समूहों को 20,29,544 रू. की राशि की आय प्राप्त हुई है। इस आर्थिक लाभ से स्व-सहायता समूह खुश है। वहीं दूसरी ओर जैविक खाद विक्रय से 3,58,155 रू. की राशि गोठान समितियों को प्राप्त होने से गौठान समितियों में भी खुशहाली छा गयी हैं।

जिले में बड़ी मात्रा में जैविक खाद के उत्पादन से प्रगतिशील किसान जैविक खाद के पूर्णतः उपयोग हेतु स्वप्रेरित हो रहे है, जिससे बड़ी संख्या में पंचायतों ने वृक्षारोपण हेतु एवं किसानों ने जैविक खेती के लिए जैविक खाद खरीदी की है।

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