बार हेडिड गूज के कलरव से गुलजार हुआ बिलासपुर का कोपरा जलाशय

सत्यप्रकाश पाण्डेय

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 13 मार्च। धरती से करीब 29 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकने की क्षमता रखने वाले बार हेडिड गूज [Bar-headed goose] इन दिनों वापसी की उड़ान भर रहें हैं। इस दौरान इन पक्षियों को बिलासपुर से करीब 13 किलो मीटर दूर कोपरा जलाशय में कुछ घंटों के लिए आराम करते देखा गया।

जिले के पक्षी प्रेमियों के लिए हैरत और बेहद रोमांचकारी मौक़ा पिछले दिनों कोटा स्थित घोंघा जलाशय में देखने को मिला। घोंघा जलाशय में एक दिन पहले करीब 300 से अधिक बार हेडेड गूज का झुण्ड आराम करता हुआ दिखाई पड़ा। यह पहला अवसर होगा जब बार हेडेड गूज का इतना बड़ा झुण्ड एक साथ जिले की सरहद में आराम करने के लिए उतरा। गर्मी शुरू होते ही इन प्रवासी पक्षियों का अलग-अलग झुण्ड ठन्डे प्रदेशों में वापसी के लिए निकल पड़ा है। अपने लम्बे सफर के दौरान यह पक्षी बिलासपुर के कोपरा और घोंघा जलाशय में पानी और भोजन की तलाश में उतरते हैं।

यह एक प्रवासी पक्षी है जो सर्दियों के मौसम में भारत के लगभग सभी हिस्सों में देखा जा सकता है। भारत में अपने प्रवास के दौरान दलदली क्षेत्रों में, खेती के आस-पास वाली जगहों, पानी व घास के नजदीक, झीलों, जोहड़ों व पानी के टैंकों में देखे जा सकते है। ये एक समूह में रहते है।

यह रिकार्ड 29 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर कर तिब्बत, कजाकिस्तान, रूस, मंगोलिया से छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचे बार हेडेड गूज अब वापसी की उड़ान भर रहें हैं। ये पक्षी एक दिन में 1600 किमी की उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं।

बार हेडेड गूज के सिर और गर्दन पर काले निशान के साथ इनका रंग पीला ग्रे होता है। सिर पर दो काली सलाखों के आधार पर सफेद पंख होते हैं। इनके पैर मजबूत और नारंगी रंग के होते हैं। इनकी लंबाई 68 से 78 सेमी, पंखों का फैलाव 140 से 160 सेमी, वजन दो से तीन किलोग्राम होता है।

इन प्रवासी पक्षियों का मई के अंत में प्रजनन शुरू होता है। ये अपना घोंसला खेत के टीले या पेड़ पर बनाते हैं। एक बार में तीन से आठ अंडे देते हैं। 27 से 30 दिनों में अंडे से बच्चे बाहर निकलते हैं। दो महीने के बच्चे उड़ान भरने लगते हैं।

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