शीशा टूटा क्या भर जाएंगे दरार?

न्यूज एक्शन।
”शीशा भी टूट जाए तो नहीं जुड़ता पहले सा,
हमने तो टूटा दिल भी फिर से जोड़ लिया हैÓÓ
मशहूर शायरी की यह पंक्तियां इन दिनों कोरबा की राजनीति पर सटीक बैठती नजर आ रही। भाजपा में लखन बनाम ज्योतिनंद का जो बखेड़ा खड़ा हुआ उसका अंजाम क्या होगा यह तो भविष्य बताएगा।मगर पूर्व संसदीय सचिव लखन देवांगन के बगावती सुर अब बदलने की बातें कही और सुनी जा रही है । किसी के दिल में क्या है और जुबान पर क्या है यह समझना कदापि आसान नहीं है । वैसे भी राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन नहीं होता । सोशल मीडिया में रविवार को लखन लाल देवांगन के बगावती सुर राजनीतिक गलियारे में बवाल मचाते रहे, पूर्व संसदीय सचिव ने साफ कह दिया कि पार्टी ज्योतिनंद दुबे को टिकट देगी तो वे पार्टी और ज्योतिनंद दुबे के विरोध में काम करेंगे। इस बयान के कुछ घंटे बाद ज्योतिनंद दुबे के टिकट फायनल की खबर आम हो गई । जिसके बाद से हालात और बगावती सुर बदले जाने की चर्चा हो रही है। सोमवार को फिर उसी सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल होती है। जिसमें ज्योतिनंद दुबे और लखन लाल देवांगन एक साथ नजर आते है। कल जो जानी दुश्मन नजर आ रहे थे वे आज सलामत रहे दोस्ताना हमारा गाने की तर्ज पर शोले के जय वीरू बन गए हैं । मगर सवाल यह उठता है कि क्या शीशा टूटकर पहले सा जुड़ सकता है । जुड़ भी जाए तो क्या दरार मिट जाएगी । यह बात तो राजनीति का आइना चमकाने वाले भली भांति बता सकते हैं । वैसे भी लखन अपने जुबान के पक्के नेता माने जाते हैं। ऐसे में इन दोनों कहानियों के जुदा तस्वीरों का कौन सा हिस्सा सच तो कौन सा हिस्सा झूठ, इसकी समझ आप सबके स्वविवेक पर निर्भर करता है ।

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