सूचना का अधिकार: मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त पर 40 हजार रुपए का जुर्माना

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गलत आदेश पर की कड़ी टिप्पणी
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सूचना का अधिकार (आर टी आइ) से संबंधित अपनी तरह के पहले प्रकरण में राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त (सीआइसी) के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए उन पर गलत आदेश पारित करने के लिए 40 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा, आदेश का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने पर पता चलता है कि सीआइसी ने अपनी वैधानिक जिम्मेदारी का परित्याग कर दिया है और मामले के तथ्यों की सूक्ष्मता से जांच न करके सरकार के एजेंट के रूप में काम किया है।
जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने सीआइसी के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को निश्चित अवधि में निशुल्क सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। भोपाल निवासी नीरज निगम ने सूचना आयुक्त के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें सूचना के प्रतिलिपि शुल्क के रूप में 2.12 लाख रुपए जमा कराए जाने के कहा गया था। उनकी ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखते हुए बताया कि निगम ने 2019 में पशुपालन विभाग के संचालनालय में पदस्थ एक कर्मचारी के बारे में सूचनाएं मांगी थी। सूचना देने के लिए निर्धारित अवधि पूरी होने के बाद विभाग की ओर से उनसे प्रतिलिपि शुल्क की मांग की जबकि अवधि निकलने के बाद वह निशुल्क सूचना के हकदार थे।
पारदर्शिता को झटका
हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद माना कि सूचना आयोग का निर्णय पूरी तरह अनुचित था और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ था। सूचना आयोग सरकार के हितों के रक्षा के लिए नहीं है, बल्कि उसे नागरिकों के सूचना के अधिकार को सुनिश्चित करना चाहिए।