निजी अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई मासूम की जिंदगी

कोरबा 11 जनवरी। जिले के बाल्कोनगर क्षेत्र में संचालित एक निजी अस्पताल में 5 वर्ष के दिव्यांश की जिंदगी चिकित्सकों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। परिजन ने लापरवाही से मौत होने का आरोप लगाया है। एक महिला चिकित्सक सहित तीन चिकित्सकों पर अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है।

जानकारी के मुताबिक बालको थाना क्षेत्र के बेलगरी बस्ती लालघाट वार्ड क्रमांक 34 का निवासी मनोज केंवट अपने 5 वर्षीय पुत्र दिव्यांश को हार्निया की शिकायत पर जिला चिकित्सालय में 6 जनवरी को उपचार कराने ले गया था। यहां डॉ. प्रभात पाणिग्रही ने बच्चे का सोनोग्राफी कराया। 8 जनवरी को रिपोर्ट देखने के बाद हर्निया होने की जानकारी देते हुए आपरेशन करने की आवश्यकता बताई। उन्होने खुद को इस रोग का विशेषज्ञ बताया साथ ही बाल्को क्षेत्र में संचालित निजी आयुष्मान क्लीनिक में आपरेशन करने की बात कह वहां भेज दिया। आपरेशन से पहले पिता मनोज व मां रत्ना केंवट ने बच्चे की जान को खतरा होने की आशंका व्यक्त की, तो डाक्टर ने छोटा सा आपरेशन होने का हवाला देकर निश्चिंत रहने का भरोसा दिलाया। जिला अस्पताल में आपरेशन की सुविधा नहीं होने की बात कह कर भेजे गए मासूम को 9 जनवरी को दोपहर 12.30 बजे भर्ती किया गया। शाम 5:30 बजे आपरेशन थियेटर ले गए, जहां डॉ. पाणिग्रही के अलावा डॉ. ज्योति श्रीवास्तव व डॉ. प्रतीकधर शर्मा भी मौजूद थे। आपरेशन थियेटर से बाहर से आकर डाक्टर पाणिग्रही ने परिजनों को आश्वासन दिया कि 15 मिनट में बच्चे को वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। यह कह कर वे फिर वापस आपरेशन थियेटर में चले गए। 1:50 घंटे का समय हो गया, इसके बाद भी बच्चे को बाहर नहीं लाया गया, परिजन बच्चे की जानकारी लेते, तो स्वस्थ्य होने की बात कही जाती रही। इसके करीब आधे घंटे पश्चात डाक्टर पाणिग्रही आपरेशन थियटेर से बाहर निकले और कहने लगे कि बच्चे की सांस रूक गई है। हम अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं। इस बीच आनन- फानन में परिजनों से बिना सलाह लिए बच्चे को कोसाबाड़ी स्थित एक निजी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ले गए। यहां से अचानक डा. पाणिग्रही लापता हो गए। थोडी देर बाद आईसीयू से डाक्टर बाहर आए और बच्चे की मौत हो जाने की जानकारी दी। डाक्टरों ने कहा कि उसे काफी गंभीर हालत में यहां लाया गया था। रामपुर पुलिस चौकी में मनोज केंवट ने शिकायत करते हुए अपने बच्चे की मौत के लिए डा. पाणिग्रही. डा. प्रतीकधर शर्मा व डा. ज्योति श्रीवास्तव को जिम्मेदार ठहराया है।

परिजनों का आरोप है कि आयुष्मान क्लीनिक में आपरेशन व वेंटीलेटर की सुविधा नहीं होने के बावजूद पैसों के लालच में आपरेशन किया गया। साथ ही निश्चेतना विशेषज्ञ भी मौजूद नहीं था, जिसकी वजह से बच्चे की मौत हो गई। पीड़ित ने अस्पताल संचालन की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जिला प्रशासन और शासन से जांच कराने की भी मांग की है।बताया जा रहा है कि यह अस्पताल सरकारी/बालको की जमीन पर खड़ा किया गया है व संचालन नियमों का भी खुला उल्लंघन करने का आरोप लगा है।

जिला चिकित्सालय में आम लोगों खासकर गरीब वर्ग को बेहतर सुविधा दिलाने तीन चिकित्सकों की नियुक्ति कर उन्हें खनिज न्यास मद से लाखों रुपये वेतन दिया जा रहा। आपरेशन कक्ष को आधुनिक बनाने इन दिनों कार्य चल रहा, बावजूद इसके वहां आपरेशन हो सकता है। तब डा. पाणिग्रही ने जिला अस्पताल में आपरेशन करने की बजाय बच्चे को निजी अस्पताल में क्यों भेजा? इसके लिए अस्पताल प्रबंधन भी जिम्मेदार है जिसने जिला अस्पताल को रेफरल सेंटर बना डाला है। सरकार से मोटा वेतन पाने के बाद भी अपना काम ईमानदारी से अनेक चिकित्सक व स्टाफ नहीं करते ऊपर से निजी प्रेक्टिस भी करते हैं।

जिला अस्पताल में किस तरह मौत का डर दिखा कर कई डाक्टर निजी अस्पतालों की सांठगांठ से पैसे कमा रहे हैं, यह घटना उसका एक उदाहरण है। डा. पाणिग्रही ने कम उम्र में बच्चे का हर्निया का आपरेशन नहीं कराने पर आगे खतरा बढ़ जाने का भय दिखाया। आपरेशन में बीस हजार खर्च आने की बात कह निजी अस्पताल में भेज दिया। आपरेशन कराने के लिए आयुष्मान अस्पताल से एक दिन में तीन बार फोन किया गया। मनोज रोजी-मजदूरी कर किसी तरह परिवार चलाता है। बच्चे को लेकर वह कोई समझौता नहीं करना चाहता था, इसलिए निजी अस्पताल में खर्च करने की हैसियत नहीं होने के बावजूद वह वहां गया। अंततः बच्चा चिकित्सकों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया।

परिजनों का कहना है कि डा. प्रभात पाणिग्रही अपने आपको बार- बार हर्निया का विशेषज्ञ बता रहा था, पर कोसाबाड़ी अस्पताल में पता चला कि डाक्टर प्रभात इस बीमारी के विशेषज्ञ नहीं है। झूठ बोल कर बच्चे का न केवल उपचार किया गया, बल्कि आपरेशन करने से उसकी मृत्यु हो गई।

कोरबा तहसीलदार की उपस्थिति में एफएसएल व बाल्को पुलिस ने पंचनामा की कार्रवाई की है। साथ ही तीन चिकित्सकों की टीम ने बच्चे का संयुक्त रूप से पोस्टमार्टम किया है। इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई गई है।

बालको थाना प्रभारी निरीक्षक राकेश मिश्रा ने बताया कि मृत बच्चे के परिजनों की शिकायत पर तीन चिकित्सकों पर मामला दर्ज किया गया है। घटना की जांच की जाएगी। निश्चेतना विशेषज्ञ की उपस्थिति के बिना ही आपरेशन किए जाने की वजह से बच्चे की मौत होने का आरोप लगाया गया है। मामले में रामपुर पुलिस ने मर्ग कायम कर केस डायरी बाल्को थाना प्रेषित की थी। बाल्को पुलिस ने तीनों डाक्टर के खिलाफ धारा 304 ए, 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।

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