रोज हो रही कोयला चोरी, पुलिस की नहीं दिख रही कार्रवाई
न्यूज एक्शन। एक समय था जब पुलिसिंग इतनी तगड़ी थी कि अपराध होने से पहले ही आरोपी धरे जाते थे। खदानों में डकैती की योजना बनाते कई कुख्यात चोर पकड़े गए। धड़ाधड़ कार्रवाई होने लगी। कोयलांचल में चल रहे कोयला चोरी पर इस कार्रवाई के बाद अंकुश लगने की बात कही गई, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। पुलिसिंग की यह धार भोथरी हो चुकी है। अब क्षेत्र के कोयला खदानों से रोजाना व्यापक पैमाने पर कोयला की चोरी हो रही है। कोयला चोरी में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। पहले की तरह पुलिसिंग क्यों नहीं हो रही है? यह सवाल उठना तो लाजिमी है। अब जब गेवरा, कुसमुंडा, रेंकी, रापाखर्रा, सुराकछार, पंखादफाई, भिलाईबाजार, हरदीबाजार, बल्गी, बांकी मोंगरा खदान सहित साइडिंग से रोजाना 6 ट्रकें चोरी का कोयला लेकर बाहर भेजा जा रहा है। इस धंधे को बिलासपुर का गोल्डी नामक व्यक्ति संचालित कर रहा है।
पुलिस महकमा में कप्तान के बदलाव के साथ ही ताबड़तोड़ कार्रवाई देखने को मिल रही थी । खदान क्षेत्र में चोरी व डकैती की योजना बनाते कुख्यात अपराधी पकड़े गए। लगातार कार्रवाई होने लगी, लेकिन विधानसभा चुनाव के आचार संहिता लागू होने के साथ ही पुलिसिंग की यह सख्ती गायब है। अब पुन: व्यापक पैमाने पर कोयला की चोरी कर उसे दीगर जिलों में खपाया जा रहा है। ऐसे ही मामले में बिलासपुर की पुलिस ने एक कोल डिपो में छापा मारकर संचालक को पकड़ा था, लेकिन जहां से कोयला की चोरी हो रही है, यानि कोरबा पुलिस की कार्यशैली संदेह के दायरे में है। रोजाना कोयला चोरी होने के बाद भी पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किया जाना सेटिंग की ओर इशारा कर रही है। ऐसे में खाकी के दामन में दाग लगना लाजिमी है। सूत्रों की मानें तो पुलिस के कुछ अफसरों के शह के कारण यह धंधा गुलजार है। अब देखने वाली बात होगी कि नदिया के पार चल रहे काले धंधे पर अंकुश लगाने खाकी के वरिष्ठ अधिकारी क्या ठोस कदम उठाते हैं?
आचार संहिता के बाद बढ़ी कोयला चोरी
आचार संहिता लागू होने के साथ ही जिले में कोयला चोरी बढ़ गई। बताया जा रहा है कि इसमें खाकी के कुछ अफसरों ने सांठगांठ कर इस धंधे को शुरू कराया है। यही कारण है कि चोरी का कोयला दो-तीन थाना चौकियों के क्षेत्र से होकर गुजर रही है और उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस सेटिंग के कारण ही कार्रवाई नहीं कर रही है। माना तो यह भी जा रही है कि चुनाव के बाद पुलिस-प्रशासन में फेरबदल हो सकता है। ऐसे में आचार संहिता तक ऐसे धंधों से पॉकिट भरने की मंशा रखने वाले अधिकारी ही इस धंधे को पर्दे के पीछे से संचालित करवा रहे हैं।
खनिज विभाग का रेट तय
सूत्रों की मानें तो कोयला के काले धंधे में खाकी के दामन में ही दाग नहीं है, बल्कि खनिज विभाग के कुछ अधिकारी भी अपनी जेबे भरने में लगे हैं। खनिज विभाग का भी 2 लाख रुपए रेट तय होने की चर्चा जमकर हो रही है।