नया शुरू, ना पुराना बंद, कोरबा पुलिस है- चाक- चौबंद, सरकार बदल गई पर रिवाज नहीं बदला

कोरबा 2 अप्रेल 2025। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में कोरबा जिले में जो काले कारनामे अंजाम दिए गए, वे किसी से छुपे नहीं हैं। नतीजतन कुछ अधिकारी जेल में हैं और कुछ जेल के रास्ते में। सवा साल पहले सरकार बदली तो सब कुछ बदलता नजर आया। परन्तु ऐसा हुआ नहीं। तरीका बदल गया, पर काले धंधे जारी हैं। इसी बीच जिले के पुलिस महकमे में एक स्लोगन चर्चाओं में आया। वह है- ” नया शुरू, ना पुराना बंद, कोरबा पुलिस है- चाक- चौबंद! “

स्लोगन का अर्थ सपष्ट है, लेकिन इसका कोई सिरा किसी के हाथ आ ही नहीं रहा था। मगर, पिछले कुछ दिनों में सामने आई घटनाओं ने अब तस्वीर साफ कर दी है। अब कहा जा सकता है, कि जिले में सरकार बदलने के बाद कोई नया काला धंधा शुरू नहीं हुआ है, लेकिन पुराने सभी काले धंधे, तरीका बदलकर भूपेश सरकार की तर्ज पर ही चल रहे हैं। बावजूद इसके- ” कोरबा पुलिस चाक- चौबंद है! “

पाली काण्ड ने उठाया पर्दा

हाल ही में पाली में कोल लिफ्टर की नृशंस हत्या हुई, तो कोयला के काले धंधे का सच सामने आ गया। मामले में जो कथन सामने आए हैं, उनसे पता चलता है, कि कोयला के काले कारोबार में पुलिस का योगदान बना हुआ है। बदले में मोटी रकम की उगाही हो रही है। राजनीतिक संरक्षण बनाम रसूख का भी भरपूर उपयोग हो रहा है। यह केवल सराईपाली बुड़बुड़ कोयला खदान तक सीमित नहीं है, बल्कि जिले के सभी खदानों और थानों की तस्वीर है।

डीजल और कोयला का काला सच

दीपका और कुसमुंडा पुलिस कभी कभी हजार- दो- हजार लीटर चोरी का डीजल पकड़ लेती है। उस पर भी चोर नहीं पकड़े जाते। कभी – कभी ही चोर पकड़े जाते हैं। लेकिन कोयला खदानों का रिकार्ड बताता है, कि प्रति माह कोई 5 लाख लीटर डीजल की हानि SECL को उठानी पड़ रही है। मानिकपुर कोयला खदान से लगाकर सराईपाली बुड़बुड़ तक की कहानी एक जैसी है। कोयला खदानों से ट्रकों में कोयला की अवैध निकासी पूर्ववत जारी है। पिछले दिनों ऐसे दो मामले पकड़ में आये भी हैं। इसी तरह इंडियन ऑयल के गोपालपुर डिपो से कटघोरा तक डीजल और पेट्रोल टैंकर से आयल चोरी करने वाले सफेदपोशों का धंधा भी फूल – फल रहा है।

कबाड़ का ककहरा

बघेल सरकार के समय कबाड़ के धंधे का बड़ा शोर था। अब शोर बिल्कुल नहीं है, किन्तु जोर भरपूर है। जगह- जगह सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। लोहा काटकर कबाड़ में बेचा जा रहा है। कबाड़ का अवैध कारोबार बंद है, तो चोरी का लोहा कहां खपाया जा रहा है? इसी सप्ताह नगर निगम के संजय नगर रेलवे फाटक के पास कोई 20 लाख रुपयों की लागत से स्थापित ओपन जिम सह गार्डन की चारों दिशाओं में लगाये गए लोहे के एंगल को कबाड़ चोरों ने पार कर दिया, परन्तु ना तो नगर निगम को इसकी सुध है और न ही पुलिस को।

बालको के जंगल में मंगल

बालको थाना क्षेत्र के जंगल में मंगल की खबरें भी अक्सर सुनने में आती हैं। देशी ही नहीं, विदेशी शराब का दो नम्बर का बार से लेकर 52 परियों की महफ़िल में रोज लाखों रुपयों का खेल होने की चर्चा आम है। महुआ से लेकर अंगूरी तक बेधड़क परोसा जाता है।शहरी रेस्टोरेंट भी शर्म से सिर झुका ले, ऐसे लजीज व्यंजन मुहैय्या हो रहे हैं। शहर के नामचीन जुआरी जंगल की राह में चहल- कदमी करते नजर आते हैं। यह सब है, तो अपराधी किस्म के लोग भी जंगल के रास्ते में ताक लगाए बैठे रहते हैं। यहां सवाल यह है कि क्या पुलिस का सूचना तंत्र इतना कमजोर हो गया है कि उसे इन गतिविधियों की खबर ही नहीं मिल रही है?

यातायात पुलिस का कमाल

जिले का यातायात पुलिस बल पूरे जिले में घूम- घूम कर दो – पहिया, चार – पहिया वाहनों का चालान काटता है। समय- समय पर वसूली के आंकड़े भी प्रचारित किये जाते हैं। वह भी लाखों में होते हैं। शासन के खजाने में कितना जाता है? इसे जानने का कोई साधन नहीं है। लेकिन शहर के भीड़ भरे व्यस्त सड़कों पर 24 घण्टे अनियंत्रित गति से दौड़ते रेत और ईंट का परिवहन करने वाले टेक्टर एवं मिनी ट्रक पर यातायात पुलिस का कोई लगाम नहीं है। चौक- चौराहों पर यातायात पुलिस के जवान इनके लिए यातायात को सुगम बनाते नजर आते हैं।

सट्टा का जेब में पट्टा

महादेव सट्टा ने छत्तीसगढ़ में हलचल मचा रखा है। ई डी, सी बी आई, ई ओ डब्ल्यू सब जांच में जुटे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक, आरोपी बन गए हैं। लेकिन, कोरबा में वर्षों तक सट्टा चलाने वालों की कोई खोज खबर नहीं ली जा रही है। कोरबा क्रिकेट से लेकर महादेव ऐप्प और मुम्बई वर्ली से नागपुर तक का आन लाइन- ऑफ लाइन सट्टा का बड़ा बाजार बना हुआ है। इन दिनों IPL के मैच चल रहे हैं। रोज लाखों रुपयों के दांव लग रहे हैं। नव धनिकों के साहबजादे इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं। पूर्व में लाखों रुपयों का कर्जदार बनाकर हथियार की नोंक पर वसूली करने के कई किस्से सामने आ चुके हैं। वही दौर फिर चल रहा है। महादेव ऐप्प की तर्ज पर ऑन लाइन सट्टा का कारोबार भी बे-रोकटोक चल रहा है। मुम्बई वर्ली और नागपुर का ऑफ लाइन सट्टा पर भी सुबह- शाम दांव लगाए जा रहे हैं। पुलिस की पकड़ में कोई आता ही नहीं है। ना मुखबीर तंत्र काम आ रहा है और ना ही पुलिस का विजिलेंस। सटोरिये, मानों अपने नाम का पट्टा लिखाकर आये हैं!

चलते- चलते

जिला पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने एक पखवाड़े पहले जिले के थानेदारों का थोकबंद तबादला किया था। इस आदेश के बाद बिलासपुर के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला कोरबा आये थे। तब तक किसी भी थानेदार ने आदेश का पालन नहीं किया था। आई जी डॉ शुक्ला को पता चला तो बताते हैं उन्होंने आदेश पर तत्काल अमल करने का निर्देश दिया। बावजूद इसके, किसी थानेदार ने नवीन थाना का प्रभार ग्रहण नहीं किया है। इसका क्या अर्थ हो सकता है? थानेदार, आदेश की अवहेलना कर रहे हैं या उन्हें कहीं से अभयदान मिल गया है। अगर ऐसा है तो कहना पड़ेगा- ” कप्तान के आदेश पर भारी, कोरबा जिले की थानेदारी..! “

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