बैंकों में आज खुलेंगे लॉकर, महादेव सट्टा घोटाला के आरोपियों को बैंकों में मौजूदगी दर्ज कराने का फरमान

रायपुर: सीबीआई की छापेमारी के बाद 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले की तहकीकात तेज हो गई है। पूछताछ की जड़ में आये अफसरों के बैंक लेकर आज खोले जा सकते हैं।

बताया जाता है कि सभी को उनके अधिकृत-नाधिकृत आय-व्यय के घोषित-अघोषित बैंक एकाउंट के दस्तावेजों के साथ सम्बंधित बैंकों में हाजिरी देने के निर्देश दिए गए है। उधर गुरुवार को रायपुर के तत्कालीन आईजी शेख आरिफ से घंटों पूछताछ की गई। उनकी पत्नी 2001 बैच की आईएएस शम्मी आबिदी के भी सरकारी अभिलेखों में घोषित बैंकों के लॉकरों की तस्दीक कराई जा रही है।

सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि शेख आरिफ दंपति के अलावा 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा और इसी बैच की उनकी आईएफएस पत्नी शालिनी रैना, 2008 बैच के प्रशांत अग्रवाल एवं 2013 बैच के आईपीएस अभिषेक पल्लव को भी उनसे सम्बंधित बैंकों में लॉकर के दस्तावेजों और चाबी के साथ उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए है।

बताया जाता है कि रायपुर-भिलाई के अलावा पुलिस अधिकारियों के पैतृक निवास के बैंकों में वित्तीय लेनदेन, स्वयं एवं परिजनों की समस्त स्रोतों से आय के ब्यौरे की भी पड़ताल की जा रही है। शुक्रवार सुबह साढ़े 10 बजे बैंक खुलने के समय सभी संदेहियों को अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए निर्देशित किया गया है। यह भी बताया जाता है कि ASP संजय ध्रुव और ASP अभिषेक माहेश्वरी को भी समन जारी कर बैंक में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। उधर गुरुवार को सीबीआई मुख्यालय में दिनभर गहमा-गहमी रही।

रायपुर के तत्कालीन आईजी और पूर्व वन मंत्री मोहम्मद अकबर के करीबी शेख आरिफ से आमने-सामने की लंबी पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है। सूत्र तस्दीक करते है कि शेख आरिफ का एएसआई पूर्ण बहादुर सारखी और संमित मिश्रा से आमना-सामना कराया गया है। इसके अलावा आरक्षक अमित दुबे और हवलदार विजय पांडे से भी शेख आरिफ को रूबरू कराया गया है। प्रोटेक्शन मनी बांटने और उसे ठिकाने लगाने के तौर-तरीकों को लेकर एजेंसियों ने दस्तावेजी सबूतों के आधार पर संदेहियों से लंबी पूछताछ की है।

जानकारी के मुताबिक दागी आईपीएस अधिकारियों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय और DOPT द्वारा आय के स्रोतों से सम्बंधित अभिलेखों का पालन नहीं किये जाने और समय-समय राज्य सरकार कों आय के स्त्रोतों की जानकारी नहीं उपलब्ध कराने को लेकर भी पूछताछ के दौरान माथापच्ची चलती रही।

आल इंडिया सर्विस से जुड़ी सरकारी वेबसाइट में इस आईएएस-आईपीएस दंपति की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा अपडेट और उपलब्ध नहीं होने से पूछताछ में कठिनाइयां भी देखी गई। इन मामलों में शेख आरिफ ने अपना तर्क दिया। बताया जाता है कि आय-व्यय से सम्बंधित कई सवालों पर शेख अनभिज्ञता पूरे समय जाहिर करते रहे, जवाब देने से भी बचते रहे।

लेकिन दस्तावेजी सबूतों को सामने रख सवाल पूछे जाने से बगले भी झांकते रहे। हालांकि मौके पर मौजूद सवालों का आमना-सामना कर रहे हवलदारों और सिपाहियों ने हकीकत बयां करने में देरी नहीं की। महादेव ऐप घोटाले में अपनी सफाई देते हुए उच्चाधिकारियों के फरमानों से उन्होंने जांच अधिकारियों को अवगत कराते हुए अपने बयान भी दर्ज कराये।

शेख आरिफ से पहले दौर की पूछताछ ख़त्म होते ही रायपुर के तत्कालीन एसएसपी एवं आईजी प्रशांत अग्रवाल और आनंद छाबड़ा से भी ऐसी ही पूछताछ के आसार जाहिर किये जा रहे है। दरअसल, दागी पुलिस अधिकारी अपने अर्दली- गनमैन और अन्य पारिवारिक सदस्यों के सहयोग से मोटी नगदी ठिकाने लगाया करते थे।

ऐसे चिन्हित सिपाही-हवलदारों का कालाचिट्ठा एजेंसियों के पास मौजूद है, उसी की निशानदेही पर जारी पूछताछ में ही प्रोटेक्शन मनी वसूले जाने और उसे ठिकाने लगाए जाने के कई अहम सुराग एजेंसियों के हाथ लगे है। फ़िलहाल, सीबीआई मुख्यालय में संदेहियों से जारी पूछताछ को लेकर गहमा-गहमी देखी जा रही है। हालांकि विवेचना से जुड़े तथ्यों और बैंकिंग प्रक्रिया को लेकर सीबीआई की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

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