पतरापाली गांव में गजराजों को लेकर समस्याः बिजली आपूर्ति बंद कर देता है सीएसईबी

ग्रामीणों का आरोप-पटाखे खुद खरीदते हैं, नुकसान भी हमारा
कोरबा 23 मार्च। वन मंडल कोरबा में दो दशक बचने के बाद भी हाथी उत्पात की समस्या हल नहीं हो सकी है। यह बात अलग है कि हाथियों के नाम से कई मामलों में वन विभाग को सहूलियत हो रही है। पतरापाली गांव मैं लोगों के सामने दोहरी और तिहरी आफत है। लोगों का आरोप है कि उसके क्षेत्र में हाथियों के आने पर फॉरेस्ट से कोई सहायता नहीं मिलती है। उल्टे खबर होने पर सीएसईबी इस इलाके की बिजली आपूर्ति बंद कर देता है।
फॉरेस्ट डिविजन कोरबा के कोरकोमा सर्किल क्षेत्र में पतरापाली गांव स्थित है जहां पर ग्रामीणों को गजराजों को लेकर जमकर समस्या है। उन्होंने समस्या के बारे में फॉरेस्ट के साथ-साथ प्रशासन के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया है लेकिन राहत मिलती नहीं दिख रही है। यहां के ग्रामीण बताते कि यहां के एक इलाके में आग लगी हुई है और उसे पर नियंत्रण नहीं होने से फार्मर्स की अपनी जमीनों पर लगी हुई फसल और दूसरी चीज इसकी चपेट में आकर खराब हो रही है। फायर कंट्रोल को लेकर कई प्रकार के दावे लगातार किए जा रहे हैं लेकिन जमीन पर इनका अता-पता नहीं है और उनका गांव इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। ग्रामीण बताते हैं कि हर वर्ष गर्मी के सीजन में इस प्रकार का नाटक यहां होता ही है और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। अनुसूचित जनजाति और मिश्रित आबादी वाले इस गांव के लोगों का यह भी कहना है कि हाथियों के यहां पहुंचने और नुकसान पहुंचाने का मामला लंबे समय से बना हुआ है। कृषि और गैर कृषि सामग्री को हाथियों का समूह अपने लिए उदरपूर्ति का माध्यम समझता है। इस प्रकार की घटनाक्रम से लोग परेशान है।
पतरापाली गांव के वरिष्ठ व्यक्ति ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि जब कभी भी हाथियों का आवागमन इस इलाके में होता है तो फॉरेस्ट के स्थानीय कर्मचारी अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लेते हैं ताकि वे झनझट से बच सके। इस स्थिति में एकमात्र विकल्प यही होता है कि प्रभावित लोग अपने स्तर पर हाथियों को यहां से बाहर करने की जोखिम ले। ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार की स्थिति में बम और पटाखे की व्यवस्था वे अपने स्तर पर ही करते हैं यानी अपने रुपए से सामग्री क्रय करनी पड़ती है और वह भी एडवांस में। ऐसा इसलिए करना पड़ता है क्योंकि पता नहीं कब हालात बदल जाए और फिर उन लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़े।
विकासखंड कोरबा के अंतर्गत आने वाले इस इलाके में समस्या तब और बढ़ जाती है जब हाथियों की आमदफ्तत होने का पता किसी भी माध्यम से होने पर छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी की ओर से इस क्षेत्र की आपूर्ति अघोषित रूप से बंद कर दी जाती है। लोगों का कहना है कि बिजली कंपनी को हाथियों की चिंता जरूर होती है लेकिन हमारी नहीं। ऐसी स्थिति में समझा जा सकता है कि सरकार के सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण कौन है।