शिक्षा स्तर को सुधारने डिजिटल क्लास योजना हुई हवा-हवाई

देखरेख की जिम्मेदारी में कंपनी उदासीन
कोरबा 21 मार्च। भारत सरकार ने अपने विशेष प्रोजेक्ट के अंतर्गत जिला कोरबा को आकांक्षी जिले में शामिल किया है। विविध स्तर पर कई योजना चलाई जा रही है और इसके अंतर्गत कई काम किए जाने हैं। विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। डिजिटल क्लास की स्थापना के लिए कंप्यूटर और प्रोजेक्टर उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन जिले में इसकी उपयोगिता दिखाई नहीं दे रही है। समग्र शिक्षा योजना के तहत आकांक्षी जिला कोरबा में आईसीटी योजना अंतर्गत स्मार्ट क्लासेस शुरू की गई थी। इसके लिए एक निजी कंपनी को दायित्व सौंपा गया है।
इस बारे में मिली सूचनाओं में कहा गया है कि पहले चरण में कक्षा छठवीं से लेकर 12वीं तक विद्यार्थियों की शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए कोरबा जिले के 180 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए चयन किया गया था। इसमें से 56 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों को आईसीटी एवं डिजिटल क्लास रूप बनाया गया है। वहीं 124 स्कूलों को डिजिटल क्लास रूम बनाया गया है, लेकिन इसमें से अधिकांश स्कूलों के डिजिटल क्लास रूम के कंप्यूटर लैब के सर्वर और प्रोजेक्टर बंद पड़े हुए हैं। इसकी पड़ताल की तो पता चला कि इस साल स्कूलों में कंप्यूटर होने के बाद भी डिजिटल कक्षाएं शुरू ही नहीं हो पाई है। इसकी वजह से अधिकांश विद्यार्थियों को कंप्यूटर की जानकारी ही नहीं है। बताया जा रहा है कि स्कूल में रखे कंप्यूटर सिस्टम के कहीं सर्वर खराब है, तो कहीं बैटरी ही नहीं है। कुछ स्कूल तो ऐसे हैं, जहां कंप्यूटर लैब की स्थापना के लिए जगह ही नहीं है। इस कारण कंप्यूटर को एक कक्ष में रख दिया गया है। देखरेख के अभाव में कंप्यूटर के अलग-अलग पार्ट्स खराब हो रहे हैं। अधिकांश स्कूलों में छह से आठ माह से कंप्यूटर बंद पड़ी हुई है।
कोरबा जिले की जिद सरकारी स्कूलों में डिजिटल क्लास से संबंधित समस्या बनी हुई है उसे बारे में अब तक कई बार आगे अवगत कराया गया लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसकी शिकायत पर कंपनी की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि कंपनी ने आईसीटी के तहत डिजिटल क्लास के लिए पांच साल का अनुबंध किया गया है, जो पांच साल तक की अवधि तक कंप्यूटर में आने वाली खराबी को सुधार कराना है और इसे नियमित रूप से संचालित किया जाना हैं। यह योजना शुरू से ही जमीनी स्तर पर योजना फेल हो रही है।