पांच दिन में 43 एकड़ धान की फसल को हाथियों ने रौंदा
कोरबा 23 सितम्बर। हाथियों की संख्या बढ़ने के साथ हाथी मानव द्वंद्व भी बढ़ रहा है। कोरबी के निकट जंगल में हाथियों के डेरा डालने से वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को सतत सतर्क किया जा रहा है। जिले के वनांचल क्षेत्र में हाथी-मानव द्वंद्व थमने का नाम नहीं ले रहा है।
अंबिकापुर के घने जंगल से कटघोरा व कोरबा वन मंडल होते हुए धरमजयगढ़ वन क्षेत्र तक हाथियों का कारिडोर कई वर्षों से है। अभी भी हाथी इसी मार्ग से आना- जाना करते हैं। विगत पांच वर्षों से हाथियों ने पसान क्षेत्र को अपना स्थाई ठिकाना बनाना शुरू किया है। इस दौरान क्षेत्र में इनकी संख्या 34 थी। वर्ष दर वर्ष संख्या बढ़ती जा रही है।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई व वन क्षेत्र की जमीन पर लोगों का बढ़ते बेजा कब्जा से हाथियों का विचरण क्षेत्र अब छोटा पड़ने लगा है। चार, साल, गुंजा के छाल व बांस हाथियों का प्रिय भोजन है। वनक्षेत्र में चारे की सुविधा नहीं होने से दल रिहायशी क्षेत्र की ओर कूच कर रहे हैं।
50 हाथियों के एक ही स्थान में विचरण कटघोरा वनमंडल का कोरबी क्षेत्र के लोग इन दिनों दहशत में हैं। इस दल ने चार दिन के भीतर 43 एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया है। विभागीय अधिकारियों की माने तो हाथी रात के समय अलग-अलग हो जाते हैं, दिन होते ही फिर एक साथ दल में शामिल हो जाते हैं।