कही-सुनी @ रवि भोई
कही-सुनी (01-SEPT-24) : रवि भोई
अफसरों के तबादले में सांसद-विधायकों का पासा
कहते हैं छत्तीसगढ़ में सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के तबादले में भाजपा के सांसद और विधायक अपना-अपना पासा फेंक रहे हैं। सांसद और विधायकों के पासे में राज्य के मंत्री ही उलझने लगे हैं। चर्चा है कि रायपुर से सटे एक विधानसभा क्षेत्र में पदस्थ एक अधिकारी को लेकर संगठन ने नाखुशी जाहिर की और विभागीय मंत्री को अफसर के तबादले का सुझाव दिया। खबर है कि संगठन के सुझाव पर मंत्री ने अफसर का तबादला दूसरी जगह कर दिया। इस अफसर की पोस्टिंग वहां पर कांग्रेस राज में हुई थी, लेकिन अफसर के तबादले के विरोध में विधायक खड़े हो गए। मंत्री ने संगठन के सुझाव पर अफसर के तबादले की जानकारी विधायक महोदय को दी और वहां पोस्टिंग के लिए दूसरे अधिकारी का नाम देने का आग्रह किया। विधायक ने दूसरा नाम दिया और उसकी वहां पोस्टिंग हो गई, पर पहले वाला अफसर विधायक के नाम से गला फाड़ रहा है,पर कर क्या सकता है? चर्चा है कि एक ही विधानसभा में विधायक किसी अधिकारी और कर्मचारी की सिफारिश करता है, तो उसके उलट सांसद सिफारिश कर देता है। बताते हैं सांसद और विधायकों के तबादले के खेल में मंत्री उलझन में हैं।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस को मिल सकता है नया महासचिव
कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के दोनों प्रभारी सचिव चंदन यादव और सप्तगिरि उल्का को बदल दिया है, उनकी जगह नई नियुक्ति कर दी है। कहते हैं दोनों प्रभारी सचिवों को छत्तीसगढ़ में लंबा वक्त हो गया था। इस कारण दोनों को बदला गया। वैसे विधानसभा चुनाव के बाद चंदन यादव सुर्ख़ियों में रहे। कहा जा रहा है कि दोनों नए प्रभारी सचिव एस ए संपथ कुमार और जरिता लैटफलांग की नियुक्ति राहुल गांधी की पसंद से की गई है। दोनों उनकी टीम के सदस्य कहे जा रहे हैं। खबर है कि जल्दी ही राहुल गांधी की टीम के ही किसी को छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनाया जा सकता है। चर्चा है कि वर्तमान प्रभारी महासचिव सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हवा तो यह भी है कि सितंबर महीने में छत्तीसगढ़ कांग्रेस को भी नया अध्यक्ष मिल जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के एक दावेदार के अगले हफ्ते दिल्ली यात्रा से इस हवा को बल मिल गया है।
सुर्ख़ियों में देवेंद्र यादव
भिलाई के कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं। बलौदाबाजार कांड के आरोपी के तौर पर जेल में बंद देवेंद्र यादव के लिए हफ्तेभर पहले राज्य के कांग्रेस नेता सड़क पर संघर्ष करते दिखे, तो अब कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें सिर-आंखों बैठा लिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाकर बिहार का इंचार्ज बना दिया है। कांग्रेस हाईकमान ने जेल में बंद नेता को राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाकर नया उदाहरण पेश कर दिया है। छत्तीसगढ़ के शासन और प्रशासन की नजर में देवेंद्र यादव भले ही आरोपी हैं, पर कांग्रेस हाईकमान के लिए तो वे हीरो हो गए हैं।कहते हैं कि देवेंद्र यादव की पकड़ दिल्ली में तगड़ी बन गई है। राज्य के कुछ नेताओं के न चाहने के बाद भी वे दिल्ली से बिलासपुर लोकसभा की टिकट ले आए। यह अलग बात है कि वे जीत नहीं पाए।
भाजपा नेता का प्रयास रंग लाया
कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के एक भाजपा नेता के प्रयासों के कारण ही महादेव ऐप सट्टा कांड की जांच सीबीआई के सुपुर्द हुआ। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महादेव ऐप सट्टा को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था और राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद महादेव ऐप सट्टा कांड की सीबीआई जांच का ऐलान भी हो गया, लेकिन अफसरशाही की हीलाहवाली के चलते उच्चस्तरीय जांच हवा में झूलती रही। सरकार बनने के करीब छह महीने बाद भी महादेव ऐप सट्टा कांड की जांच का परदा नहीं खिसकने पर 30 जून 24 को सारे तथ्यों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेल किया। मेल पर एक्शन हुआ और 21 जुलाई को महादेव ऐप सट्टा कांड की जांच सीबीआई से कराने के लिए राज्य के आला अफसरों को भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय का संदेश आ गया। आखिरकार अगस्त महीने में महादेव ऐप सट्टा कांड की जांच सीबीआई के पास चली गई। कहते है महादेव ऐप सट्टा कांड में कुछ राजनेता और पुलिस के आला अफसरों की भूमिका संदेह में है।
सवालों के घेरे में जीएडी
कहते हैं आईएएस जनक पाठक के बिलासपुर संभाग के कमिश्नर पद पर नियुक्ति और दो घंटे के भीतर ही संशोधन के मामले में राज्य का सामान्य प्रशासन विभाग सवालों के घेरे में आ गया है। 2007 बैच के आईएएस जनक पाठक साल 2020 में जांजगीर के कलेक्टर रहते विवादों में उलझ गए थे। सरकार को उन्हें निलंबित करना पड़ा था। जनक पाठक पर हाईकोर्ट की कृपा हुई और सेवा में उनकी वापसी हो गई, लेकिन जांजगीर का केस अभी सुलझा नहीं हैं और उनके प्रमोशन का मामला भी लटका है। ऐसे में जनक पाठक को बिलासपुर संभाग का कमिश्नर बनाए जाने पर सामान्य प्रशासन विभाग कटघरे में आ गया है। जांजगीर जिला बिलासपुर संभाग में ही आता है। आदेश से पहले वस्तुस्थिति की जानकारी निर्णयकर्ता को क्यों नहीं दी गई ? चर्चा है कि कुछ अफसरों ने आदेश निकलवा दिया, पर जैसे ही भाजपा संगठन को जनक पाठक के आदेश का पता चला, उसे निरस्त करवाने में जुट गया। भाजपा संगठन के हस्तक्षेप से जनक पाठक का तबादला आदेश दो घंटे में निरस्त हो गया और उन्हें कमिश्नर उच्च शिक्षा के पद पर यथावत पदस्थ कर दिया गया।
एक विभाग में सीनियरों के रहते जूनियरों को ताज
कहते हैं आमजनता से सीधे जुड़े एक विभाग में खेला चल रहा है। चर्चा है कि इस विभाग में अनुभव से ज्यादा मालपानी का बोलबाला है।इस कारण वरिष्ठ अफसरों की जगह कनिष्ठ अफसरों को जिलों में प्रभार दिया जा रहा है। खबर है कि यह सब कुछ विभागीय मंत्री के नाक के नीचे हो रहा है। वैसे भी इस विभाग के मंत्री काफी सुर्ख़ियों में रहते हैं। विभाग और कुछ संस्थानों को सुधारने की बात करते हैं, पर धरातल में कुछ और ही नजर आता है। विभाग में अनुभवी और वरिष्ठों को इंचार्ज नहीं बनाने से अंदर ही अंदर आग सुलग रही है। कब विस्फोट हो जाय, पता नहीं। विभाग में कहीं बांग्लादेश या कोलकाता के नज़ारे देखने को न मिल जाय।
महीना पूरा नहीं कर पाए गृह सचिव और कमिश्नर
कहते हैं डॉ सी आर प्रसन्ना गृह सचिव और नीलम एक्का बिलासपुर संभाग के कमिश्नर के तौर पर एक महीना भी काम नहीं कर पाए और बदल दिए गए। सरकार ने डॉ प्रसन्ना को 12 अगस्त को गृह विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी थी और 30 अगस्त को यह जिम्मेदारी वापस ले ली। सरकार ने उनकी जगह हिमशिखर गुप्ता को गृह विभाग की जिम्मेदारी दे दी। नीलम एक्का करीब 28 दिन ही बिलासपुर संभाग के कमिश्नर रह पाए। कहते हैं उनके एक निर्णय से सरकार नाराज हो गई और उन्हें कमिश्नर के पद से हटा दिया और अभी कोई काम भी नहीं सौंपा है। नीलम एक्का को गृह सचिव के पद से कमिश्नर बिलासपुर बनाकर भेजा गया था। सरकार ने नीलम एक्का की जगह जनक पाठक को कमिश्नर बनाया। वे चार्ज भी नहीं ले पाए और आदेश बदल गया। फिर रायपुर के कमिश्नर महादेव कावरे को बिलासपुर कमिश्नर का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)