प्रतिबंध के बाद भी उफनती नदी से निकाल रहे रेत, कार्रवाई के नाम पर टास्कफोर्स की औपचारिकता
कोरबा 20 अगस्त। ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रतिबंध के बाद भी उफनती नदी से रेत निकाली जा रही रही है। कटघोरा के निकट ग्राम डुडग़ा से लगे अहिरन नदी में सुबह से रेत निकालने के लिए ट्रैक्टर की कतार लग जाती है। पांच हजार रूपये ट्रैक्टर में बिक रहे रेत को लेकर माफिया सक्रिय हो गए हैं। रेत चोरी के लिए मजूदरों के जान को जोखिम में डाला जा रहा है। खुलेआम हो रही रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन ने जिला खनिज विभाग के अधिकारियों के निष्क्रयता की पोल खोल कर रख दी है। जिले में खंड वर्षा का दौर जा रही है। ऐसे मेें छोटे नदी व नालों में पानी का बहाव बढ़ गया है। इसके साथ ही नदी में रेत आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। नदियों के तटों को काटकर वाहन ट्रैक्टर व अन्य वाहनों के आवागन के लिए राह बनाया है। बींझपुर, जटांगपुर, डुडग़ा, कसनिया आदि ऐसी जगह हैं जहां दिन रात रेत की ढुलाई ट्रैक्टर से हो रही है। उपनगरीय क्षेत्र के अलावा शहरी के निकट से होकर निकलने वाली हसदेव नदी से भी रेत का उत्खनन किया जा रहा रहा है। दिन में नदी से रेत निकाल कर कोरबा चांपा मार्ग किनारे डंप कर दिया जाता है, जिसे रात में परिवहन किया जाता है।
बताना होगा कि वर्षा जारी होने के कारण खनिज ने 15 जून से 16 अक्टूबर तक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अनुसार रेत की खुदाई और परिवहन प्रतिबंधित है। इसके बाद भी घाटों से गीले रेत को निकालने का क्रम जारी है। पूरे मामले मे गौर किया जाए तो खनिज माफिया संगठित होकर रेत परिवहन कर रहे हैं। अवैध परविहन का दुखद पहलू यह कि वाहन मालिक मजदूर व चालक को अधिक मजदूरी का लालच देकर उनके जान को जोखिम में डाल रहे है। जमीन गीली होने और जोखिम भरे मार्ग से रेत की ढुलाई किए जाने से ट्रैक्टर के पलटने का खतरा भी बना है। ऐसे में बड़ी दुर्घटना की आशंका भी बनी हुई है। जिला खनिज अधिकारी प्रमोद कुमार का कहना है कि विभागीय स्तर पर लगातार कार्रवाई किया जा रही हैं। अहिरन व हसदेव नदी से रेत चोरी की शिकायत मिल रही है। विभाग ने औचक निरीक्षण के लिए टीम गठित किया गया है। माह के शुरूआत में तीन दिन की झड़ी दर्री बांध के गेट को खोलना पड़ा इस दौरान नदी तट के निचली बस्तियों में पानी भर गया था। रेत की चोरी वर्तमान में गाढ़ी कमाई का जरिया बन चुका है। निर्माण कार्य से लगे ठेकेदारों के अलावा फ्लाईएश कारोबार से जुड़े लोगों के लिए भी आवश्यकता होने से अवैध भंडारण को प्रश्रय मिल रहा है। सीतामढ़ी से लगे हसदेव के नदी से आसपास रेत तस्करों ने कई जगहों में ट्रैक्टर के आने जाने के लिए रास्ता बना लिया है। जिससे निचली बस्तियों में पानी भरने की संभावना बढ़ गई है।
बारिश के समय चोरी में इजाफा नई बात नही है। प्रकरण में और भी इजाफा हो सकता है। टास्क फोर्स समिति की ओर से सहयोग नहीं किए जाने कारण रेत के अवैध परिवहन का कारोबार फल-फूल रहा है। टास्क फोर्स में खनिज के अलावा वन और पुलिस विभाग को भी शामिल किया गया है। ज्यादातर खनिज का अवैध परिवहन वन मार्गों से होती है जिसमें विभागीय अधिकारियों की ओर से कार्रवाई नहीं की जाती। पुलिस विभाग की ओर एक दो वाहन को पकड़ भी लिया जाता है तो लेन.देने कर अथवा प्रश्रय देकर छोड़ दिया जाता है। रेत की चोरी शहरी के अलावा गामीण और उपनगरीय क्षेत्रों में ही किया जा रहा। जुलाई माह की शुरूआत से अब तक खनिज विभाग की ओर दर्ज 82 में 49 प्रकरण केवल शहरी क्षेत्र के ही हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि फिल्ड अधिकारियों की कार्रवाई केवल सीमित क्षेत्र में ही है। जितने जटिल शहरी क्षेत्र के घाट हैं उससे अधिक सरल गांव के नदी तट के घाट हैं। जिससे सहूलियत से रेती मिल जाती है। यही वजह है कि हाइवा से भी रेत की आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों से हो रही है। धनगांव मार्ग से रेत से भारी वाहनों से रेत सप्लाई किया जा रहा है।