कोल ब्लाक में लक्ष्य के अनुरूप कोयला उत्पादन नहीं : रेड्डी

कोरबा 7 मई। भारतीय मजदूर संघ के कोयला उद्योग प्रभारी के लक्ष्मा रेड्डी ने कोयला अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए करोड़ों की मशीन खरीदी की जा रही है, पर मेंटेनेंस के नहीं करा रहे हैं और मशीन खड़ी होते जा रही है। अधिकारी केवल आउटसोर्सिंग के पीछे लगे हुए हैं और वर्तमान में 80 फीसद उत्पादन इसके माध्यम से हो रहा है। नियमित कर्मचारियों के प्रति ध्यान नहीं दिया जा रहा है, ऐसे में कोयला कर्मियों का भविष्य खतरे में है।   

पत्रकारों से चर्चा करते हुए लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि देश में कोयले की मांग बढ़ गई है। इसकी मुख्य वजह है बाहर से आने वाला कोयला के दाम में तीन से चार गुना वृद्धि होना है। इसलिए सभी उपक्रम अब कोल इंडिया पर ही निर्भर हो गए हैं। निजी कंपनियों को आबंटित कोल ब्लाक लक्ष्य के अनुरूप कोयला उत्पादन नहीं कर रहे हैं। संघ का प्रयास है कि कोल इंडिया को मजबूत किया जाए। कोयला मंत्रालय व कोयला अधिकारी रोजाना मानिटरिंग कर रहे हैं, पर इनका ध्यान आउटसोर्सिंग पर ही ज्यादा है। एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि नियमित कर्मी भर्ती के लिए संघ लगातार प्रयास कर रहा है, युवा बेरोजगारों को काम मिल सके, इसके लिए सतत प्रयासरत है। अनुकंपा नियुक्ति के मामले भी जल्द निराकरण कराने का प्रयास हो रहा है, ताकि नए कर्मचारी कंपनी को मिल सके। खदानों में हो रही कोयला चोरी के संबंध में उन्होंने कहा कि यह काम राज्य व केंद्र सरकार है। उन्हें इस काम को बेहतर ढंग से करना चाहिए। खदान में हो रही दुर्घटना को रोकने के लिए सेफ्टी कमेटी लगातार प्रयासरत है और शून्य दुर्घटना का लक्ष्य सभी खदानों में काम किया जा रहा है। इस मौके पर कोल उद्योग प्रभारी राधेश्याम जायसवाल, भारतीय खदान मजदूर संघ. सीआइएल सेफ्टी कमेटी बोर्ड  मेंबर अध्यक्ष टिकेश्वर सिंह, जेबीसीसीआई सदस्य मजरूल हक अंसारी, स्टैंडिंग कमेटी आन सेफ्टी संजय सिंह, बीएमएस राज्य संगठन मंत्री योगेश दत्त मिश्र, अशोक सूर्यवंशी, संजय सिंह समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।   

कोयला प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि भूमिगत खदानों को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रबंधन की सोच है कि भूमिगत खदान से मुनाफा कम है और रिस्क ज्यादा है। इसलिए सभी ओपनकास्ट खदान की भाग रहे है। जबकि ओपनकास्ट की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण व भूमि अधिग्रहण की है। भूमिगत खदान में ये दोनों समस्याएं नही रहती हैं और लंबे समय तक भूमिगत खदान से कोयला निकाला जा सकेगा। साथ ही क्षेत्रवासियों को प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। कोयला मजदूरों के 11 वां वेतन समझौता के संबंध में पूछे गए सवाल पर जेबीसीसीआइ सदस्य लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि बीएमएस इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा है और उसकी कोशिश है कि जल्द वेतन समझौता, पर यह दूसरे यूनियन को मंजूर नही है। अन्य यूनियन ने पहले ही सोच लिया था कि 11 वां वेतन समझौता नहीं होगा। संघ के प्रयास से ही जेबीसीसीआई का गठन किया गया और वार्ता शुरू हुई। 50 फीसद एनजीबी का प्रस्ताव रखा गयाए प्रबंधन ने इसे मजाक बनाते हुए तीन फीसद बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा। बीएमएस का प्रयास है कि जल्द वेतन समझौता किया जाए, ताकि मजदूरों को इसका लाभ मिल सके।   

रेड्डी ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण पर चिंता करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयला आधारित संयंत्र बंद करने भारत पर दबाव बनाया गया, पर प्रधानमंत्री ने देशहित में निर्णय लेते हुए इसे टाल दिया और चरणबद्ध ढंग से वर्ष 2070 तक खदान व कोयला आधारित संयंत्र बंद करने कहा। इसके एवज में वैकल्पिक उर्जा पर जोर देते हुए सोलर एनर्जी व अन्य माध्यम से उर्जा उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। वर्तमान में 35 फीसद उर्जा इसके माध्यम से मिल रही है।

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