सांसद अरूण साव ने संसद में छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मुद्दा उठाया

शुभांशु शुक्ला

मुंगेली 10 फरवरी। सांसद अरूण साव ने संसद में छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मुद्दा उठाया है। बिलासपुर में बजट सत्र के दौरान सदन में कहा कि अभिभाज्य मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ी को विशेष दर्जा हासिल रहा है। अब छत्तीसगढ़ देश का 26 वां राज्य है। इसकी लोककला संस्कृति का अपना वैभव है। क्षेत्र संसाधनों से भरा है। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ी को विशेष पहचान से दूर रखा गया है । 

                संसद में सांसद अरूण साव ने अपने भाषण में छत्तीसगढ़ी को नियम 377 के तहत संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने की मांग को पुरजोर तरीके से रखा। अरूण साव ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ को देश का 26 वां राज्य बनाया।  श्री साव ने कहा कि सांस्कृतिक रूप से छत्तीसगढ़ की अपनी एक अलग पहचान और इतिहास है। इसी तरह छत्तीसगढ़ी भाषा का इतिहास भी समृद्धिशाली के साथ गौरवशाली भी है। राज्य की बहुसंख्यक जनता की भाषा अन्य क्षेत्रीय बोलियों के साथ सम्पर्क भाषा छत्तीसगढ़ी भाषा ही है। राजकीय प्रयोजनो के लिए उपयोग की जाने वाली भाषा के रूप में हिन्दी के अलावा छत्तीसगढञ को मान्यता दी गयी है। प्रदेश में हर साल 28 नवम्बर को राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में छत्तीसगढ़ी को आठवी अनुसूची में शामिल होने की सभी आवश्यकताएं पुरी करती है।

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