किसी अजूबे से कम नहीं है हमारी राष्ट्रीय तितली
बिलासपुर। क्या आप जानते हैं कि भारत ने 2021 में एक राष्ट्रीय तितली चुनी है ? भारत में तितलियों की लगभग 1500 प्रजातियाँ हैं। कुछ भारतीय राज्यों ने अपने राज्य की तितलियों का नाम भी रखा है, लेकिन कुछ बरस पहले, पहली बार हुआ कि किसी राष्ट्रीय तितली का चयन किया गया है। 60,000 से अधिक वोटों के साथ, ऑरेंज ओकलीफ बटरफ्लाई (Orange oakleaf (Kallima inachus) butterfly) के लिए एक शानदार जीत थी। यह असाधारण तितली छत्तीसगढ़ राज्य के अचानकमार टाईगर रिजर्व में अपनी मौजूदगी से इस बात का प्रमाण दे रही है कि उसके अनुकूल जंगल की आबो हवा है। अचानकमार में बड़ी संख्या में मौजूद इस छद्मभेषी तितली को देखना और कुदरत के करिश्में को करीब से महसूस करना किसी अजूबे से कम नहीं होता।
यह तितली (Butterfly) छलावरण में असली माहिर है। जब इसके पंख बंद हो जाते हैं तो यह रंग और आकार दोनों में एक मृत पत्ते के समान दिखाई देती है। यह शिकारियों से छिपने के साधन के रूप में इस भेस का उपयोग करती है और जब यह किसी पेड़ या पत्तों के कूड़े के बीच जमीन पर होती है, तो इसे पहचानना बेहद मुश्किल होता है। रंग में अंतर होता है और पंखों के नीचे का रहस्यमय पैटर्न एक तितली से दूसरी तितली में बहुत भिन्न होता है, जिससे शिकारियों के लिए इसे पहचानना और भी कठिन हो जाता है। इसकी नसें अक्सर गहरे रंग की होती हैं और पत्ती के केंद्रीय तने और शिराओं जैसी होती हैं। हालाँकि, इस रणनीति में एक खामी है। जब यह तितली धूप का आनंद लेने का निर्णय लेती है और अपने पंख खोलती है तो उसके ऊपरी पंखों पर अधिक चमकीले रंगों के कारण वह छिप नहीं पाती है। इसका परिणाम यह होता है कि इस प्रजाति पर नियमित रूप से, विशेषकर पक्षियों द्वारा हमला किया जाता है।
कल्लिमा इनैचस (Kallima inachus) एक मजबूत उड़ने वाली और 60-90 मिमी पंखों वाली मध्यम-बड़ी तितली है। यह लैंगिक रूप से द्विरूपी है और मादा नर से बड़ी होती है, उसका रंग भिन्न होता है और अग्र शीर्ष पर एक लंबा बिंदु होता है। यह प्रजाति पॉलीफेनिक है और इसके स्वरूप में मौसमी भिन्नता होती है, गीले मौसम का रूप शुष्क मौसम के मुकाबले थोड़ा छोटा होता है। दोनों लिंग केवल कभी-कभार ही फूलों के रस के लिए जाते हैं और इसके बजाय पेड़ के रस और सड़ते फलों को अधिक प्राथमिकता देते हैं। रस खाते समय वे आमतौर पर उल्टा बैठते हैं और इससे यह भ्रम बढ़ जाता है कि वे एक मृत पत्ती हैं।
इसका सामान्य नाम इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं लेकिन इसे ऑरेंज ओक लीफ (Orange oakleaf) या डेड लीफ बटरफ्लाई कहा जाता है।
आपको बताते चलें कि वर्ष 2020 में देश में राष्ट्रीय तितली चुनने के लिए वोटिंग हुई। ऑनलाइन वोटिंग के आधार पर तितलियों की तीन शीर्ष प्रजातियों के प्रस्ताव को पर्यावरण और वन मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था । वर्ष 2021 में वोटिंग के आधार पर ऑरेंज ऑकलीफ (Orange oakleaf) बटरफ्लाई को भारत की राष्ट्रीय तितली घोषित किया गया । भारत में कुल 1500 प्रकार की तितलियां पाई जाती हैं।
देश के तितली विशेषज्ञों के समूह ने पिछले कुछ वर्षों में जंगलों, बागों आदि स्थानों पर तितली सर्वे शुरू किया था। लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय पक्षी और पुष्प की तरह राष्ट्रीय तितली चुनने का विचार आया था । देश भर से आंकड़े एकत्रित करने के बाद तितली विशेषज्ञों की टीम ने आंतरिक मतदान द्वारा सात तितलियों की अंतिम सूची तैयार की थी जिसमें से एक तितली वोटिंग के आधार पर राष्ट्रीय तितली घोषित होनी थी । तितली विशेषज्ञों ने इसमें यह ध्यान रखा कि प्रजाति न तो विलुप्त हों और न ही साधारण। जिन चयनित सात प्रजातियों के लिए वोटिंग हुई उनमें कृष्णा पीकॉक, कॉमन जेज़बेल, ऑरेंज ओकलीफ, फाइव बार स्वॉर्ड टेल, कॉमन नवाब, यलो गोर्गन और नॉर्दन जंगल क्वीन का नाम शामिल है।
छत्तीसगढ़ राज्य के अलग-अलग वन क्षेत्रों की जैव विविधता और वानस्पतिक महत्ता के अलावा वहां के जीव-जंतुओं की अपनी खासियत रही है। ऑरेंज ऑकलीफ (Orange oakleaf) बटरफ्लाई राज्य के कुछ ही वन क्षेत्रों खासकर बस्तर, सरगुजा के अलावा कवर्धा जिले के भोरमदेव वाइल्डलाइफ सेंचुरी में रिकार्ड की गई है। राज्य के वाइल्डलाइफ फोटो जर्नलिस्ट सत्यप्रकाश पांडेय की माने तो मुंगेली जिले के अचानकमार टाईगर रिजर्व क्षेत्र में ऑरेंज ओक लीफ तितली की संख्या काफी है जो यहां की प्रतिकूल जलवायु का परिणाम है।
तितलियों की दुर्लभ और सामान्य प्रजातियों के लिए राज्य का अचानकमार टाईगर रिजर्व काफी सम्पन्न दिखाई देता है। यहां तितलियों की दुर्लभ प्रजातियों में ऑरेंज ऑकलीफ (Orange oakleaf) के अलावा कॉमन मैप, ब्लू मॉरमॉन, बैंडेड पीकॉक जैसी कई तितलियाँ शामिल हैं।