छत्तीसगढ़ टीम में जिले के युवा क्रिकेटर सत्यम ने बनाई जगह
पिता का सपना पूरा करने के लिए बना क्रिकेटर
कोरबा 24 मार्च। क्रिकेट खेल में रूचि रखने वाले युवाओं की कमी नहीं है। इस खेल में राज्य अथवा देश के लिए खेलने का सपना सीमित युवाओं का ही पूरा होता है। छोटे शहर के टेस्ट गेंदबाज सत्यम दुबे ने बड़ी छलांग लगाई है। भारत के डोमेस्टिक फार्मेट में एज ग्रुप के सभी प्रतियोगिता में सत्यम ने छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया है। हाल ही में विजय हजारे ट्राफी में भी छत्तीसगढ़ की ओर से खेलते हुए सत्यम ने प्रदेश में अच्छी खासी पहचान बना ली है।
अपने क्रिकेट कैरियर के बारे में युवा सत्यम दुबे ने बताया कि उसने अब तक डोमेस्टिक क्रिकेट में भारत में एज ग्रुप की हर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है। अंडर 23 एज ग्रुप में भारत का डोमेस्टिक क्रिकेट होता है. जो चार दिन के डेज फार्मेट में खेला जाता है। इस साल विजय हजारे ट्राफी में उसने अपने लिस्ट ए करियर का भी डेब्यू किया है। सत्यम ने आगे बताया कि डोमेस्टिक क्रिकेट में यह सीजन काफी अच्छा रहा. वीरेंद्र सहवाग के बाद टेस्ट मैच में भारत की ओर से ट्रिपल सेंचुरी लगाने वाले करुण नायर को गेंदबाजी की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके उमेश यादव के साथ समय बिताने का मौका मिला। जिन्होंने उसे काफी अच्छे टिप्स दिए, बताया कि एक तेज गेंदबाज की ट्रेनिंग किस तरह की होनी चाहिए और कितनी मेहनत करनी पड़ती है। करुण नायर को गेंदबाजी करते हुए, उस मैच में उसने काफी प्रेशर हैंडल किया, जो उसके लिए काफी अच्छा अनुभव रहा। उसने बताया कि रूटीन में ट्रेनिंग और स्ट्रेंथ पर फोकस करना पड़ता है। चार दिनों तक लगातार क्रिकेट खेलने के लिए यह जरूरी है। छोटे शहर से निकलकर बड़ी पहचान बनाने का ख्वाब देखने और क्रिकेट के क्षेत्र में अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को सत्यम कहते हैं कि खुद पर भरोसा रखना सबसे जरूरी है। उसने कभी ये नहीं सोचा कि वह कोरबा जैसे छोटे शहर से है, इसलिए बड़े लेवल पर नहीं खेल सकता। यदि कोरबा में रहकर वह इतना कर सकता है तो कोई भी युवा अच्छा क्रिकेटर बनने का सपना जरूर पूरा कर सकता है।
सत्यम के पिता गजानन साहू जिले के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल मुढाली में शिक्षक हैं जबकि मां गृहणी हैं। सत्यम ने क्रिकेट खेलने और कोरबा जैसा छोटे शहर से निकलकर अपनी पहचान बनाने के सवाल पर कहा कि उसके लिए यह काफी बड़ी बात है। खासतौर पर उसके परिवार के लिए यह गर्व का विषय है। उसने कभी नहीं सोचा था कि वह क्रिकेट में करियर बनाएगा। उसके पिता का यह सपना था कि वह क्रिकेट खेले । उसने बताया कि वह आज जो कुछ भी है वह पिता की वजह से है। उन्होंने उसे प्रेरित किया। सत्यम ने बताया कि उसने सबसे तेज गेंद 140 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा की रफ्तार से फेंकी है. अभी वह अपनी रफ्तार पर काम कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के बल्लेबाजों को गेंदबाजी करना काफी अच्छा अनुभव रहा. विजय हजारे ट्रॉफी खेलने के दौरान उसे आइपीएल ट्रायल्स के लिए भी काल आया था लेकिन तब उसके मैच चल रहे थे, इसलिए वह जा नहीं सका। उसका अगला लक्ष्य आइपीएल में खेलने का है। वह भारत का सबसे ज्यादा तेज गति से गेंद फेंकने वाला गेंदबाज बनना चाहता है।