मुख्यमंत्री सामूहिक कन्या विवाह योजनाः दस्तावेज के अभाव में विवाह से वंचित नहीं रहेंगे कोरवा जोड़े
जिले में 360 जोड़ों के विवाह का लक्ष्य निर्धारित, 21 हजार रूपये कन्या के खाते में होगा भुगतान
कोरबा 20 जनवरी। आधारकार्ड, जाति, जन्म, राशनकार्ड जैसे जरूरी दस्तावेजों की कमी के कारण अब विशेष पिछड़ी जनजाति के कोरवा, बिरहोर, पंडो आदि समुदाय अब मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना से वंचित नहीं होंगे। विभागीय समन्वय से प्रमाणपत्र बनाकर इन्हे योजना में शामिल किया जाएगा। जिले में इस बार 360 जोड़ों के विवाह का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रति जोड़ा 50 हजार रूपये खर्च किया जाएगा। परियोजनाओं में पंजीयन का कार्य शुरू हो गया है।
मुख्यमंत्री सामूहिक कन्या विवाह योजना के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां महिला एवं बाल विकास विभाग ने शुरू कर दी है। केंद्र सरकार के जनमन व भारत विकास संकल्प यात्रा के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए लोगों केंद्र के अलावा राज्य के योजनाओं को जोड़ा जाना है। इसके लिए जनजाति समुदाय का सर्वे भी शुरू हो गया है। बताना होगा कि जंगल और पहाड़ों में रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को आज भी सरकारी योजनाओं लाभ नहीं मिल पाता। योजनाओं में शामिल होने के लिए जिस तरह के वांछित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है उसे कोरवा, पंडों, बिरहोर समुदाय के लोग पूरा नहीं कर पाते। इस वजह से उन्हे योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। इन विसंगतियों को देखते हुए शासन ने अब दस्तावेज बनवाने का दायित्व विभागों को दिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वावधान में प्रतिवर्ष सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है। जिसमें में विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों की संख्या बहुत कम होती है। दस्तावेज की कमी कारण सामूहिक विवाह ही नहीं बल्कि नोनी सुरक्षा, किशोरी जतन आदि जैसी योजनाओं में इनका नाम नहीं जुड़ पाता। शासन ने सामूहिक विवाह में प्रति जोड़े खर्च की जाने वाली राशि को 25 से बढ़ाकर पचास हजार रूपये कर दिया है। इससे नवविवाहित जोड़ों को गृहस्थी की शुरूआत के लिए के बेहतर आर्थिक सहयोग किया जा सकेगा।
विशेष पिछड़ी जनाजाति समुदाय में आज भी नाबालिगों की शादी कर दी जाती है। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से प्रति वर्ष निरीक्षण के लिए टीम गठित की जाती है, इसके बावजूद कम आयु में विवाह के मामले आदिवासी समुदाय से ही आते हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के लोग पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों आज भी निवास करते हैं। उन तक टीम नहीं पहुंच पाती। यदि पता भी चलता है तब तक पारंपरिक रीति से विवाह हो चुकी होती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से प्रति वर्ष जनवरी और अप्रैल माह में दो बार सामूहिक विवाह का अयोजन किया जाता है। इस बार जनवरी के बजाए फरवरी माह में ही विवाह आयोजित की जाएगी। लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लगने के बाद आयोजन में आयोग का प्रतिबंध लग सकता है। महिला एवं बाल विकास प्रमुख ने सभी परियोजनाओं को जनवरी माह के अंत तक पंजीयन कार्य पूरा करने के लिए कहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को विशेष पिछड़ी जनजाति की बस्ती में पहुंच कर विवाह योग्य वर वधू के अभिभावकों से संपर्क करने कहा गया है।
मुख्य मंत्री कन्यादान योजना के तहत पहले 25 हजार रूपये प्रदान की जाती थी। अब यह राशि बढ़कर 50 हजार हो गई है। सामूहिक विवाह में शामिल होने कन्या को पहले एक हजार रूपये का बैंक ड्राप्ट प्रदान किया जाता था। अब राशि बढ़ाकर 21 हजार रूपये कर दी गई है। विवाह के उपरांत बैंक खाता भी खोलने की जिम्मेदारी विभाग की ही होगी। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत इस बार जिले में 360 जोड़ों के विवाह का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों योजना से जोड़न के लिए जनमन के तहत अभियान चलाया जा रहा है। फरवरी माह में विवाह आयोजन किया जाएगा।