गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गये गोबर से दो हजार वर्मी टैंको मे जैविक खाद बनना हुआ शुरू

➡️ जैविक खाद से बिहान समूह की दो हजार से अधिक महिलाएं हो रही स्वावलंबी


कोरबा 14 सितंबर 2020. राज्य शासन की महत्वपूर्ण एवं किसान हितैषी गोधन न्याय योजना जिले के गोबर विक्रेताओं के लिये बहुत ही लाभदायक साबित हो रही है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत जिले के गौठानो मे खरीदे गये गोबर से जैविक खाद बनना भी अब शुरू हो चुका है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत स्वसहायता समूह की महिलायें गौठानो मे जैविक खाद बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस कोरोना काल मे समूह की महिलाओें को जैविक खाद बनाने से आय का अतिरिक्त साधन मिल रहा है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत जिले मे अब तक 29 हजार क्विंटल से अधिक गोबर गौठानो मे खरीदा जा चुका है। खरीदे गये गोबर से दो हजार से अधिक वर्मी टैंको मे जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। गौठानो मे बनाये गये वर्मी कम्पोस्ट टैंक मनरेगा के तहत बनाया गया है। वर्मी टैंक बनाने मे बिहान समूह की महिलाओं का योगदान रहा है इससे महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबन की राह भी दिख रही है। विकासखण्ड पोड़ी उपरोड़ा के ग्राम पंचायत सिंघिया गौठान मे एकता समूह महिलाओं द्वारा एक हजार 400 किलो से अधिक गोबर को वर्मी टैंक मे भरकर जैविक खाद बनाना शुरू कर दिया गया है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुंदन कुमार ने बताया कि गौठानो मे संग्रहित गोबर से गुणवत्ता पूर्ण वर्मी खाद बनाने के लिये महिला समूहों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। महिलाओं एवं गौठान समिति के सदस्यों को वर्मी खाद बनाने के लिये कृषि विभाग से प्रशिक्षित अधिकारियों द्वारा जनपद पंचायत स्तर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होने बताया कि वर्मी खाद बनाने के लिये जिले की 200 स्वसहायता समूहो की दो हजार महिलायें काम कर रहीं हैं जिससे उन्हें आय का अतिरिक्त साधन भी मिल रहा है। श्री कुंदन कुमार ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के द्वारा जिले मे लगभग एक हजार 880 वर्मी कम्पोस्ट टैंक का निर्माण किया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट टैंक मे से अधिकांश पूर्ण हो चुके हैं इन टैंको मे बड़े पैमानो पर केंचुआ खाद बनायी जा रही है। उन्होने बताया कि एक वर्मी टैंक मे चार क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन हो सकेगा। गौठानो मे वर्मी खाद बनाकर दो हजार से अधिक महिलायें आजीविका संवर्धन से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहीं हैं। महिलायें स्वरोजगार की दिशा मे आगे बढ़ते हुये ग्राम विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने मे महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं।

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