नाराज विस्थापितों ने सीजीएम कार्यालय के गेट पर जड़ा ताला

कोरबा 15 दिसम्बर। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के दीपका क्षेत्रीय कार्यालय में आज सुबह भूविस्थापितों ने ताला जड़ दिया। वे कई तरह की समस्याओं से परेशान हैं। उन्होंने प्रबंधन को तीन महीने का अल्टीमेटम दिया था। समय सीमा पार होने पर पहले चरण में तालाबंदी कर आक्रोश दिखाया गया। प्रदर्शन के कारण कई अधिकारी व कर्मी मौके पर फंसे रहे। जबकि इससे पहले यहां पहुंचे कार्मिकों को कार्यालय जाने में आसानी हुई।

दीपका क्षेत्र की खदान का विस्तार करने के साथ आसपास के कुछ गांव के लोग प्रभावित हुए हैं। बड़ी संख्या में भूविस्थापितों को अपनी जमीन से अलग होना पड़ा है और अरसे बाद वे रोजगार व पुनर्वास के साथ-साथ दूसरे मसलों को लेकर परेशान हैं। ऐसे लोगों की संख्या सैकड़ों में है। भूविस्थापितों के साथ उनका परिवार भी ऐसे मसलों से दो-चार हो रहा है। भूविस्थापितों ने समस्याओं से पार पाने के लिए संगठन बना रखे हैं और उनके बैनर पर संघर्ष शुरू किया है। सरकार, प्रशासन और एसईसीएल को इस बारे में लगातार जानकारी दी जाती रही लेकिन कोई नतीजे नहीं आए। सितंबर में भूविस्थापितों की ओर से एसईसीएल प्रबंधन को चेतावनी दी गई थी कि वह अधिकतम तीन महीने में उनकी मांगों का समाधान खोजने और राहत देने के बारे में सोचे। ऐसा नहीं होने पर विस्थापितों को अगले कदम उठाने पड़ेंगे। विस्थापितों को लग रहा था कि चेतावनी का असर होगा जबकि प्रबंधन इस मानसिकता में रहा कि पत्र देने के बाद विस्थापित इस मामले को भूल जाएंगे। यह सोचना दोनों स्तर पर गलत साबित हुआ। यही वजह रही कि 90 दिन की समयसीमा पार होने पर भूविस्थापितों ने पहले चरण के अंतर्गत आज सुबह दीपका सीजीएम कार्यालय के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया। उन्होंने यहां जमकर नारेबाजी की।

प्रदर्शन करने वालों में महिलाएं भी शामिल थीं। उनकी नाराजगी इस विषय को लेकर रही कि अपने कामकाज और टारगेट पूरे करने के साथ एसईसीएल के अधिकारी कोल इंडिया से लेकर सरकार के स्तर से वाहवाही बटोर रहे हैं लेकिन हमारे बारे में कुछ नहीं सोच रहे हैं। प्रदर्शन को देखते हुए मौके पर एसईसीएल का सुरक्षा तंत्र और पुलिस भी डटी रही। इन सबके बावजूद भूविस्थापित अपने तेवर दिखाते रहे। सभी क्षेत्रों में हैं इस तरह की समस्याएं न केवल कोरबा बल्कि एसईसीएल के छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में अन्य क्षेत्रों में भी भूविस्थापितों को लेकर इस प्रकार की समस्याएं बनी हुई है। तमाम कवायद के बावजूद वहां आए दिन प्रदर्शन होना आम बात है। जबकि समस्याओं को हल करने के लिए अलग से विभाग बना हुआ है और इस प्रकार के दावे किये जाते रहे हैं कि कंपनी की प्रतिबद्धता सभी के हितों का संरक्षण करने को लेकर है।

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