तिरछी नजर 👀 : रामअवतार तिवारी

महतारी और माता पार लगाएगी…..

लगता है भूपेश बघेल का छत्तीसगढिय़ा कार्ड और कौशल्या माता मंदिर भाजपा में तो चल गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम सभा में कहा कि माता कौशल्या का जन्मस्थली है और बड़ा मंदिर है, राम भगवान हम सबको प्रिय है प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गदगद है। क्योकि अभी तक अजय चंद्राकर सहित कई नेता कौशल्या माता के जन्म स्थल को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे थे प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद यह विवाद एक तरह से खत्म हो गया और भूपेश बघेल श्रेय ले गए इसी तरह छत्तीसगढ़ महतारी का शानदार प्रतिमा और हर कार्यालय में तस्वीर लगाने वाली भूपेश सरकार के पिच पर खेलते हुए भाजपा ने परिर्वतन यात्रा की गाड़ी में छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर लगाकर यह संकेत दे दिया की प्रदेश में छत्तीसगढिय़ा वाद सम्मान करते है। तमाम सर्वे में भी छत्तीसगढिय़ा वाद चलने की बात कही गई है और इसका सबसे बड़ा चेहरा बनने की कोशिश में सभी नेता लगे है।

ओ पी रायगढ़ से लड़ेंगे

आईएएस की नौकरी छोड़ कर राजनीति करने वाले ओ पी चौधरी को रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी घाषित करने की अटकले तेज हो गई है। रायगढ़ की सभा मेें ओ पी को मिले महत्व के बाद चंद्रपुर जाने की संभावना कम हो गई है वैसे भी चंद्रपुर में जुदेव परिवार की बहु गत विधानसभा चुनाव के बाद लगातार सक्रिय है बच्चों चंद्रपुर के स्कुल में दाखिला भी करा दिया है जुदेव परिवार को भी चंद्रपुर से टिकिट मिलने की संकेत मिल गए है। गुजरात व कर्नाटक की तरह कोई नया प्रयोग करने से उठने वाले बगावत के संकेत के बाद भाजपा के दिग्गज नेताओं के चेहरे में चमक दिखने लगी है

बाबा का डैमेज कंट्रोल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रायगढ़ में हुई आम सभा के दौरान उप मुख्यमंत्री टीएस बाबा ने केन्द्र सरकार के तारीफ के पुल बांध दिये। ‌ उन्होंने कहा कि जो मांगते हैं मिल जाता है। इस बयान का राजनीतिक विश्लेषक कई अर्थ निकाल रहे हैं ।कई सुनियोजित बता रहा है तो कोई राजनीतिक आत्मघाती। भाजपा दफ्तर में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की समीक्षा के लिए बैठे मीडिया टीम व दिल्ली से आई टीम ने भाषण खत्म होने के बाद सारे टीवी चैनलों का समीक्षा शुरू कर दिया। राष्ट्रीय चैनल तो सनातन धर्म और घमंडी गठबंधन में लग गया। स्थानीय मीडिया को कुछ नया देने में स्थानीय लोग लग गए हैं। भाजपा की टीम ने माना कि आज सबसे अच्छा बाबा बोले। तत्काल टीएस बाबा का फुटेज निकालो और सोशल मीडिया में डालों। कुछ ही देर में बाबा का बयान वायरल होने लगा। इधर कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता सकते में आ गए। रायपुर दौरे में आई कांग्रेस के प्रभारी शैलेजा से इसकी शिकायत की गई। दिल्ली तक केन्द्र सरकार द्वारा की गई उपेक्षा तमाम जानकारी पहुंचा दी गई। शुक्रवार दिनभर टिकट को लेकर सीएम हाउस में दिग्गज नेताओं एक साथ चली बैठक के बाद शाम को टीएस बाबा ने सफाई संदेश जारी कर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया।

भाजपा में ठाकुरों का प्रभाव

राजा राजवाड़े कभी कांग्रेस के समर्थक रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे कांग्रेस के राजनीति में ठाकुरों का प्रभाव कम होता जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में ठाकुर नेताओं का भाजपा में बोल-बाला रहने की संभावना है। भाजपा की पहली सूची में सामान्य वर्ग से एक मात्र विक्रांत सिंह को टिकट मिली है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राजनांदगांव से चुनाव लडऩे की घोषण कर दी है। अकलतरा से सौरभ सिंह टिकट पक्की मानी जा रही है। बेलतरा विधायक रजनीश सिंह पिछले 5 साल से पार्टी का झंडा उठाकर संघर्ष कर रहे हैं इसलिए उनकी भी टिकट तय मानी जा रही है। नई सूची में जगदलपुर, बेेमेतरा और धर्मजीत सिंह व जूदेव परिवार को तवज्जों मिलने के संकेत है।

पहले गरम फिर नरम..

पीयूष गोयल यहां आए, तो सरकार पर चावल घोटाले में संलिप्तता का आरोप मढ़ गए। बाद में उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ अलग से चर्चा की। गोयल ने उन्हें सलाह दी कि इस मुद्दे को ठीक से प्रचारित किया जाए।
इन सबके बीच केन्द्रीय खाद्य मंत्री गोयल से अग्रवाल समाज का एक प्रतिनिधिमण्डल मंडल भी मिलने पहुंचा। बताते हैं कि प्रतिनिधि मंडल में एक राइस मिलर भी था जिनके यहां आईटी ने रेड की और उन्हें घोटाले का मुख्य सूत्रधार माना जाता है।
गोयल जाते-जाते स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से मिले और उनके साथ ही दिल्ली रवाना हुए। गोयल के तेवर पहले गरम थे बाद में नरम पड़ गए।

अंत भला तो सब भला..

पीएम नरेंद्र मोदी का रायगढ़ दौरा जिले के अफसरों के लिए काफी थकाऊ रहा। भारी बारिश के बीच सभा की तैयारियां काफी कठिन थी। कलेक्टर ने खड़े रहकर एक रात में सौ मीटर मजबूत सड़क का निर्माण कराया। इसी सड़क पर पीएम नरेंद्र मोदी रथ पर सवार होकर निकले।

दिल्ली में अटकी कृपा

भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बुधवार को प्रस्तावित बैठक अचानक क्यों रद्द कर दी गई ? सारे नेता ख़ामोश है। जवाब किसी के पास नहीं है। बैठक दिल्ली में होनी थी। समिति के सारे सदस्य वहाँ मौजूद थे। पहले सभी लोग जेपी नड्डा के घर जुटे। वहाँ प्रारंभिक चर्चा के बाद नड्डा सीधे अमित शाह के बंगले पहुँचे। उनके सारे प्रस्ताव वहीं दफन हो गये और बैठक बेमुद्दत टल गई। अब प्रत्याशियों की दूसरी सूची को लेकर नेताओं के अलग-अलग बयान आ रहे हैं। समझने वाले समझ गये कि रामभरोसे रहने वाली छत्तीसगढ़ भाजपा अब दिल्ली-भरोसे हो गई है। कृपा वहीं अटकी है।

चलो रायपुर की ओर

रायपुर में कांग्रेस और भाजपा में डेढ़ दर्जन नेता ऐसे हैं, जो यहाँ की चार सीटों को छोड़कर दशकों से आस-पास और दूसरे जिलों में चुनाव लड़ते रहे हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि दूसरे ज़िलों के नेता रायपुर की सीटों पर दावा ठोंक रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या रायपुर के नेता कमजोर पड़ रहे हैं? मौजूदा तस्वीर तो यही बयान कर रही है। मसलन, भाजपा में रणविजय सिंह जूदेव रायपुर पश्चिम से टिकट माँग चुके हैं तो देवजी पटेल धरसींवा से उत्तर शिफ्ट होने की कोशिश कर रहे हैं। देवजी रायपुर के ही बाशिंदे हैं। कांग्रेस-भाजपा दोनों के टिकट पर चुनाव हार चुके मोतीलाल साहू इस बार भाजपा के टिकट पर रायपुर ग्रामीण से प्रयासरत हैं। वे महासमुंद से आते हैं। असल में नेताओं का मानना है कि राजनीति के लिए रायपुर की सीटें काफ़ी सुविधाजनक है। पाँच साल जनता के काम न भी करें तो कोई फर्क नहीं पड़ता। बस लोगों के शादी-ब्याह, छठी-तेरहवीं में हाज़िरी बजाते रहो। बाक़ी समय ठेकेदारों, सप्लायरों, लाइजनरों और रियल एस्टेट वालों के साथ ही बिताना है।

न ब्यूरोक्रेसी बदलती है, न पुलिस

यह कहा जाता है कि सरकार किसी की भी रहे ब्यूरोक्रेसी यानी नौकरशाही में कोई बदलाव नहीं आता। आम आदमी का तो यह पुराना अनुभव है। सत्ता से जुड़े लोगों को भी कुछ दिनों बाद यह बात समझ में आ जाती है कि नौकरशाह न किसी की सुनते हैं न किसी के कहने से कुछ करते हैं। उन्हें जो ठीक लगता है वो वही करते हैं। अपने को सबसे ईमानदार समझने वाले नौकरशाहों के बारे मे भी यह कहा जाता है कि अपना कोई काम कराना हो तो वो कड़े से कड़े नियमों की भी तोड़ निकाल लेते हैं। लेकिन किसी दूसरे का कोई काम करना हो तो सीधे- सरल नियम को भी पेचीदा बना देते हैं। अभी तो आम आदमी की बात छोड़ दें, सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों की भी यह आम शिकायत है कि ज्यादातर अफसर फोन नहीं उठाते और न काल बैक करते। कभी फोन उठा लिए और उन्हें छोटा-मोटा काम बता दो तो तत्काल नियम का पेंच बता पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं। पिछली सरकार के समय भी लोगों की यही शिकायत थी। पिछली सरकार में सबसे ज्यादा नियम बताने वाले एक अफसर ने खुद को पदोन्नति दिलाने सभी राज्यों का नियम खंगाल डाला था। बाद में उन्हें उत्तराखंड में अपने मन माफिक नियम मिल भी गया और उसी का हवाला देकर उन्होंने पदोन्नति पा ली। बाद में उन्होंने संविदा नियुक्ति भी हासिल कर ली। इस सरकार में भी कई अफसर नियमों की तोड़ निकाल कर एक के बाद दूसरा पद हासिल कर रहे हैं। लेकिन दूसरों के लिए आपत्ति लगाने में पीछे नहीं रहते।
पुलिस के बारे में भी ज़्यादातर लोगों का यह मानना है कि पहले और अब में कोई बदलाव नही हुआ है। पहले भी पुलिसिंग को लेकर बार-बार यह कहा जाता था कि आम आदमी से पुलिस सम्मान से पेश आए और अपराधियों में ऐसा खौफ हो कि आपराधिक घटनाएं ना हों या कम हों। लेकिन होता इसके ठीक उलट था। लगभग वैसा ही अनुभव बहुत सारे लोगों का इस सरकार में भी है।

तिरछी-नज़र@रामअवतार तिवारी, सम्पर्क-09584111234

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