तिरछी नजर 👀 : रामअवतार तिवारी

ईडी की रेड और बरामदगी…

प्रदेश में ईडी की रेड को लेकर बढ़-चढ़कर दावे किए जा रहे हैं लेकिन चर्चा है कि जिनके यहां हाल ही में रेड डली है, वहां ईडी को ज्यादा कुछ नहीं मिल पाया है । एक बड़े खाद्य अफसर के यहां भी ईडी ने रेड डाली थी । मगर उनके यहां ईडी को मात्र एक लाख रूपए ही मिले । थोड़ा बहुत सोने-चांदी के आभूषण भी थे । ईडी ने रकम तो वापस कर दिया लेकिन कुछ कागजात और मोबाइल ले गए । अब मोबाइल में ही कुछ राज होगा तो देर सबेर सामने आ जाएगा । वैसे मोबाइल पर मैसेज को लेकर अफसर काफी सतर्क हो गए हैं । अब खाद्य अफसर, समीर विश्नोई जैसे लापरवाह होंगे तो ही समस्या आ सकती है।

मास्टर प्लान में खेला

रायपुर के मास्टर प्लान का अंतिम प्रकाशन बिना किसी चिल्लपों के हो गया। मगर चर्चा है कि इस बार जो कुछ हुआ वो पहले कभी नहीं हुआ । बिल्डरों और प्रभावशाली लोगों ने जैसा चाहा, वैसा सबकुछ हुआ । इसमें डायरेक्टरेट के लोगों ने खूब चांदी काटी है।
चर्चा है कि अंतिम प्रकाशन से पहले चालाक अफसरों ने अलग से मैप तैयार कर लिया था और उसे ठीक करने के नाम पर प्रभावशाली लोगों से काफी कुछ बनाया गया ।
यही नहीं,एक मंत्री के नजदीकी रिश्तेदार को भी नहीं छोड़ा। बिल्डरों ने खुलकर न्यौछावर किया। बताते है कि इस खेल में 3 सौ सीआर का खेल हुआ है। खास बात यह है कि सब कुछ राजी खुशी से हुआ । हद तो तब हुई जब प्रकाशन के बाद भी मास्टर प्लान की पुस्तक नहीं छपने दिया गया । बताते हैं कि विभाग प्रमुख की फटकार के बाद अब कहीं जाकर मास्टर प्लान की पुस्तक छपने भेजा गया है ।

रिश्तेदारों पर भरोसा

पूर्व शिक्षा मंत्री व कांग्रेसी विधायक प्रेम साय सिंह टेकाम ने अपनी पत्नी को विशेष सहायक बनाकर एक बड़ी गलती कर दी थी। जिसे बाद में उन्होंने सुधार लिया था लेकिन नंद कुमार साय उसी राह पर चल पड़े हैं। नंद कुमार साय को छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। नियुक्ति के बाद साय जी ने विशेष सहायक के रुप में मोरध्वज पैकरा को नियुक्त कर दिया है। मोरध्वज पैकरा भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के सह प्रभारी हैं और रिशते में दामाद हैं। उसी तरह परिवर्तन पैकरा को निजी सहायक नियुक्त किया है वह भी करीबी रिश्तेदार है। अब विरोधी आदेश की प्रति लेकर जगह-जगह घूम रहे हैं।

विधायक पत्नियों की सक्रियता

कांग्रेस के एक दर्जन विधायकों की स्थिति खराब होने और टिकट कटने के चर्चाओं के बाद वे जोरदार तरीके से मेहनत कर चुनाव से पहले स्थिति सुधारने में लगे हैं। कुछ विधायक अपनी पत्नी को सार्वजनिक कार्यक्रमों में लेकर जाने लगे हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाषण, सामाजिक समीकरण की राजनीति को समझाने में लगे हैं ताकि टिकिट कटने पर पत्नी को आगे कर सीट बचा ली जाये। अब इसको लेकर पार्टी का क्या रूख रहता है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।

धर्म संकट में धर्मजीत

जोगी कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह रविवार भाजपा में शामिल हो रहे हैं। धर्मजीत को डॉ.रमन सिंह पर ज्यादा भरोसा है। विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत, उप मुख्यमंत्री टी.एस.बाबा,संसदीय मंत्री रविंद्र चौबे ने भरोसे के सम्मेलन में कांग्रेस में आने का आफर दिया था। धर्म संकट में फसे धर्मजीत सिंह, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर निश्चिंत नहीं हो पा रहे थे। फिर विधानसभा क्षेत्र लोरमी के साहू मतदाताओं के रूख को देखकर भाजपा में जाकर राजनीतिक पारी खेलने का निर्णय लिये हैं। धर्मजीत बिलासपुर शहर, तखतपुर अथवा कोटा विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं। देखना है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव के गृह क्षेत्र के कार्यकर्ता विधायक धर्मजीत सिंह को कितना पचा पाते हैं।

दो नाव की सवारी

विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। लेकिन कुछ अफसर ऐसे हैं जो कि दोनों ही दल में अच्छी पकड़ रखते हैं। और सरकार के बदलने का उनकी सेहत पर असर नहीं पड़ा है। ऐसे अफसर अपने खैरख्वाह नेताओं का समय-समय पर सहयोग करने से नहीं पीछे नहीं रहते हैं।
चर्चा है कि एक बड़े अफसर ने तो पिछले दिनों एक फोन पर संवैधानिक पद पर बैठे एक भाजपा नेता को दस लाख भिजवा दिया। इन सबके बावजूद अफसर को एक के बाद एक जिस तरह मलाईदार प्रभार मिल रहा है,उसकी प्रशासनिक हल्कों में काफी चर्चा है। वैसे यह भी चर्चा आम है भाजपा के ताकतवर लोगों को मदद से ईडी और आईटी का जोखिम कम हो जाता है।

पुलिस में फेरबदल

रिटायर्ड डीजी संजय पिल्ले को संविदा नियुक्ति की फाईल चल रही है। चर्चा है कि उन्हें पुलिस प्रशिक्षण संस्थान में पदस्थ कर डीजी जेल का अतिरिक्त प्रभार दिया जा सकता है।
पुलिस महकमे में यह चर्चा है कि डीआईजी स्तर के तीन जिलों पुलिस कप्तान ने अपनी पोस्टिंग बदलने की गुजारिश की है। बताते हैं कि पुलिस की एक और सूची जल्द जारी हो सकती है।

सबका बजाज

सत्ता और नौकरशाही कैसे होते हैं या समझने के लिए एसएस बजाज की नई रायपुर में नियुक्ति को समझना होगा। आईएफएस अफसर बजाज ने नया रायपुर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसको कांग्रेस के तमाम नेता खराब बताते हैं। बजाज पर यह भी आरोप है कि नई राजधानी की आधारशिला मूर्ति को एक किनारे में पड़ी है। इसीलिए कांग्रेस सरकार आते निलंबित किया गया था। निलंबन के बाद कांग्रेस के मंत्री और तमाम शीर्ष नेता कई महीनो तक मिलने का समय तक नहीं दे रहे थे। बजाज साहब पहले 15 साल भाजपा के थे। अब कांग्रेस के हो गए। यानी बजाज पंखे का यह बहुचर्चित स्लोगन हमारा बजाज छत्तीसगढ़ के राजनीति और नौकरशाह में फिट बैठ रही है। क्योंकि जो पद कल मिला है वह किसी को अभी तक नहीं मिला।

तिरछी-नज़र@रामअवतार तिवारी, सम्पर्क-09584111234

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