शहर के बीच से दौड़ रहे वाहनों से लग रहा जाम, लोगों की बढ़ी समस्या

कोरबा 15 जुलाई। तमाम तरह के संसाधन और सहूलियत के बावजूद कोरबा जिले में शहरी क्षेत्र की जनता भीतरी हिस्से से भारी वाहनों के परिचालन के कारण परेशान हैं। पिछले सप्ताह भर से यह समस्या इस कदर विकराल हो गई है कि कुछ घंटे नहीं बल्कि पूरे दिन कोरबा के एक बड़े हिस्से में वाहनों का जाम लग रहा है। इससे वाहन चालकों के साथ-साथ आम नागरिकों, कारोबारियों और मरीजों को दुष्वारियों से दो-चार होना पड़ रहा है।

इन समस्याओं के मूल में नियम पालन नहीं कराने और रेलवे पर दबाव नहीं बनाने जैसे कारण अहम बताए जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि जिले का राजनीतिक नेतृत्व जनता से जुड़ी इस समस्या को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है। और तो और अधिकारी भी अज्ञात कारणों से मौन साधे हुए हैं। नागरिक हैरान हैं कि आखिर उनके शहर का सरकारी सिस्टम पैरालाइज कैसे हो गया है और इसकी दवा आखिर क्या है। दरअसल नागरिक हफ्ते भर से तो इस तरह की तस्वीरें लगातार देख रहे हैं कि कोल डायवर्सन रोड इमलीडुग्गू से लेकर बुधवारी बाजार तक के हिस्से में कोयला और राखड़ लोड वाहनों का अक्सर जाम लग रहा है। कारण यह है कि इन वाहनों को दो दिशाओं से आगे जाने के लिए पर्याप्त मौके नहीं मिल रहे हैं।

स्टेशन के पास रेलवे क्रासिंग के लगातार बंद रहने की वजह से ऐसी समस्याएं पैदा हो रही है। इसका असर यह हो रहा है कि एक हिस्से में वाहनों की कतार लग जाने से सीएसईबी चौराहे से लेकर तुलसी नगर और राताखार से लेकर कुसमुंडा-बांकीमोंगरा मार्ग पर ऐसी ही स्थिति निर्मित हो रही है। इसके कारण 15 किमी का हिस्सा बुरी तरह से समस्याग्रस्त हो गया है। कोरबा नगर और कोयलांचल कुसमुंडा की जनता इसके चलते त्रस्त है। प्रबुद्ध वर्ग इस तरह के नजारों के लिए व्यवस्था को कोस रहा है। लोगों को मालूम है कि करोड़ों की लागत से औद्योगिक प्रबंधन के द्वारा दर्री बरॉज रूमगरा होकर बालकोनगर-रिस्दी होते हुए बरबसपुर की दिशा में रिंग रोड बनाई गई है। इसी तरह दर्री की दिशा में भारी वाहनों की आवाजाही के लिए ट्रांसपोर्ट नगर, तुलसी नगर, गेरवाघाट होते हुए दूसरा रास्ता तैयार किया गया है। इनका उपयोग करते हुए भारी वाहनों को अलग-अलग दिशा में चलाये जाने की व्यवस्था बनाई गई है लेकिन जानबूझकर शहर के भीतर से हर रोज कोयला और राख लोड वाहनों की आवाजाही कराए जाने से समस्या बढ़ रही है। कहा जा रहा है कि जब रेलवे की व्यवस्था के आगे जिले के अधिकारी हाथ खड़े कर चुके हैं तो फिर इमलीडुग्गू-मुड़ापार वाले रास्ते से भारी वाहनों का परिचालन क्यों कराया जा रहा है। रेलवे के साथ-साथ प्रशासन के अफसरों की हठधर्मिता का बुरा असर इस रास्ते में आवागमन से लेकर रिहायशी क्षेत्र की जनता के हितों पर पड़ रहा है। रोज-रोज कई घंटों के जाम ने लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से त्रस्त कर रखा है।

लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर कौन सी मजबूरी और दबाव में प्रशासन वैकल्पिक रास्तों से भारी वाहनों का परिचालन नहीं करा पा रहा है। स्कूल बस और एंबुलेंस फंस रही समस्याग्रस्त रास्ते पर आये दिन जाम लगे होने के कारण कई तरह की चुनौतियां बनीं हैं। विद्यार्थियों की स्कूल बसों के साथ.साथ मरीजों को अस्पताल पहुंचाने और वहां से घर छोडऩे वाली एंबुलेंस या तो इस रास्ते पर फंस रही है अथवा बहुत लंबा चक्कर लगाकर गंतव्य को जाने के लिए मजबूर हैं। इस पूरी प्रक्रिया में दोनों वर्गों को परेशान होना पड़ रहा है। लोग चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि अगर ऐसे ही दौर में सरकार की ओर से कोई परीक्षा आयोजित की जाती है तो बहुत बड़ी संख्या में परीक्षार्थी अपने केंद्र नहीं पहुंच सकेंगे और उन्हें मन मसोसकर रह जाना पड़ेगा।

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