कोरबा मुख्य मार्गों पर आवागमन का दबाव, बढ़ी समस्या

कोरबा 10 जून। बढ़ती आबादी और जरूरत से ज्यादा वाहनों की संख्या में इजाफा होने के कारण औद्योगिक नगर कोरबा में मुख्य मार्गों पर आवागमन का दबाव लगातार बढ़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या शारदा विहार रेलवे क्रासिंग तिराहा से नहर पुल चौराहे तक पेश आ रही है। पिछले सात दिनों से शाम 5 बजने के साथ यहां जाम की समस्या लोग झेल रहे हैं। इस चक्कर में कई तरह की चुनौतियां लोगों के सामने मौजूद आ रही है वहीं जाम को हटाने से लेकर व्यवस्था बहाल करने में ट्रैफिक पुलिस के जवानों को कड़ी मशक्कत से दो-चार होना पड़ रहा है। भरी गर्मी में कोरबा की यह समस्या संबंधित वर्ग के लिए काफी तकलीफदेह बनी हुई है।

सामान्य रूप से यही समझा जा रहा है कि अलग-अलग कारणों से कोरबा में आवाजाही करने वाला वर्ग और विभिन्न श्रेणी के वाहनों की उपयोगिता सड़क पर होने से पावर हाउस रोड के इस हिस्से में जाम लगने की तस्वीर निर्मित हो रही है। इसे बुनियाद कारण माना जा रहा है लेकिन जाम लगने की स्थिति बीते हफ्ते भर से यहां पर कुछ ज्यादा है। दीपावली के सीजन में इस तरह के हालात बनते रहे हैं। इस दृष्टिकोण से अभी जो समस्या लोग फेस कर रहे हैं वह बेमौसम की कही जा सकती है। हालात ऐसे हैं कि शाम पांच बजे से स्थानीय लोग लंबे जाम के नजारे कोरबा की समस्या देखने को मजबूर हो गए हैं। पाम मॉल से लेकर नहर पुल और उसके आगे तक वाहनों के जाम लगने के चक्कर में कई प्रकार की मुसीबत लोगों के सामने बन रही है। जाम में फंसे वाहनों का चालू हालत में रहना और लगातार धुआं छोडऩा गर्मी के मौसम में लोगों पर दोहरी मार से कम नहीं है। एक स्थान पर फंसने के साथ इस तरह की परिस्थितियों से दो.चार होने के कारण कई प्रकार की दिक्कतें उनके सामने हो रही है। ऐसे में यातायात पुलिस के कम से कम चार जवान के साथ.साथ एएसआई स्तर के अधिकारी लगातार बायपास और रेलवे स्टेशन जाने वाले प्वाइंट पर खड़े रहकर ट्रैफिक को संभालने में मशक्कत करते नजर आ रहे हैं। इन सबके के बावजूद हालात सामान्य होने में लगभग 3 घंटे का समय जाया हो रहा है। समस्या के मूल कारणों को जानने का काम जारी है लेकिन इसकी तह मिलना अभी संभव नहीं है।

जानकार बताते हैं कि शहर की सड़कें पहले भी अभी जैसी थी और तब भी उस पर आवागमन होता रहा है। मौजूदा दौर में नहर पुल के आसपास बड़ी दुकानें खुलने और वाहन पार्किंग की सही व्यवस्था न होने के कारण यहां एक तरह से वाहनों को रखने से अवैध कब्जे जैसी स्थिति बन रही है। इसके चक्कर में हर रोज झमेले सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों को लेकर अब सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर अनुमति देने का रास्ता बीते वर्षों में कैसे प्रशस्त हुआ। पावर हाउस रोड के संबंधित रास्ते पर वाहनों का जाम लगने की समस्या न केवल पुरानी है बल्कि अब हर किसी के लिए कष्टकारक साबित होने लगी है। शारदा विहार और संजय नगर रेलवे क्रासिंग के बार.बार बंद होने के कारण विभिन्न हिस्सों में आवाजाही करने वाला वर्ग यहां घंटों इंतजार करता है। ऐसे में गाड़ी आने से पहले और उसके निकलने के बाद आवागमन का दबाव अचानक बढ़ता है। इस वजह से दूसरे हिस्से भी प्रभावित होते हैं। महसूस किया गया है कि लंबे समय से जाम लगने से कई मौकों पर संबंधित समय सारिणी पर लोगों की रेल गाडिय़ां भी छूट जाती है। क्योंकि स्टेशन पहुंचने के लिए जो रास्ते शहर में उपलब्ध हैं वे खुद इस जाम में फंसे हुए हैं। इसलिए मांग की जाती रही है कि समस्या को हल करने के लिए अनिवार्य रूप से शारदा विहार और संजय नगर रेलवे क्रासिंग पर अंडरब्रिज का निर्माण कराया जाए। पिछले कुछ वर्षों से नगर निगम के बजट में इसे शामिल करने के साथ रेलवे की भागीदारी से निर्माण करने का प्रस्ताव जरूर बन रहा है लेकिन बात फाइल से आगे नहीं जा सकी है।

छत्तीसगढ़ की पावर सिटी कोरबा में बिजली घर और कोयला खदानों के साथ-साथ दूसरे कारक मौजूद हैं जो यहां पर वायु प्रदूषण की स्थिति को पैदा करते हैं। बिजली घरों की चिमनियों के अलावा सड़कों पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं कुल मिलाकर जन स्वास्थ्य के लिए खतरा तो है ही लेकिन इसकी चपेट में सबसे अधिक वे लोग आ रहे हैं जो व्यस्ततम प्वाइंट पर रहकर अपनी ड्यूटी निभाते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि इन कारणों से यातायात पुलिस के जवानों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। दूसरी ओर विपरित परिस्थितियों में लगातार काम करने के कारण उनके समक्ष तनाव और चिड़चिड़ेपन जैसी समस्याएं भी बढ़ती जा रही है। चिकित्सकों का मानना है कि इन सब कारणों से क्रोनिक डिसिस का खतरा बढ़ता है और फिर श्वसन तंत्र पर परेशानियों का दायरा भी मजबूत होता है।

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