गौठान से महिलाओं को मिल रहा आर्थिक संबल
गौठान से जुड़कर महिलाएं स्वावलंबी बनकर निरंतर उन्नति की राह पर हो रही अग्रसर
कोरबा 27 मई 2023. प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के तहत निर्मित गौठान ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार का प्रमुख केंद्र बना है। गौठान में शासन की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन करके महिला समूहों को विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। जिससे समूह की महिलाएं आर्थिक दृष्टि से मजबूत हुई है एवं अपने व अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनी है।
इसी कड़ी में करतला जनपद पंचायत के कोटमेर गौठान में संचालित अनेक रोजगार मूलक गतिविधियों से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं स्वालम्बन के पथ पर अग्रसर हो रही है। घर के काम काज में अपना समय व्यतीत करने वाली इन महिलाओं के पास आजीविका का अन्य कोई साधन नही था। ये महिलाएं घरेलू कार्याे के साथ ही रोजी मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते थे। सीमित आय होने के कारण उन्हें सदैव आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। जिससे वे चाह कर भी परिवार की आय बढ़ाने में अपना योगदान नही दे पा रही थी। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में बढ़ोत्तरी करने की मंशा रखने वाली इन महिलाओं के पास आजीविका का जरिया नही होना मुख्य समस्या थी। प्रदेश सरकार ने महिलाओं की इस समस्या को भली भांति समझा और उनको उनके घर के पास ही रोजगार का साधन उपलब्ध कराकर उनकी समस्या को दूर किया। ग्रामीण महिलाओं को गौठान के माध्यम से नियमित रोजागार का साधन मिला है। जहां वे गोबर खरीदी, जैविक खाद निर्माण, साग सब्जी उत्पादन, मुर्गी बकरी पालन जैसे अनेक गतिविधियों का संचालन कर आय कमा रहे है।
कोटमेर गौठान में योजनांतर्गत अब तक गौपालकों से 673 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। खाद विक्रय का भुगतान किसान व पशुपालकों को सीधे उनके खाते में किया गया है।गौठान में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण कर रही सरस्वती समूह की महिलाओं द्वारा 248 क्विंटल खाद का निर्माण किया गया है। जिसके अंतर्गत 171 क्विंटल खाद का विक्रय किया गया है। वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय से उन्हें लगभग 68 हजार का लाभ हुआ है। साथ ही गौठान समिति को 95 हजार का आमदनी हुई है। इसी प्रकार जय माँ दुर्गा व जय माँ उमा समूह की महिलाओं द्वारा साग-सब्जी उत्पादन का कार्य किया जा रहा है।
समूह द्वारा गौठान में मूंगफली, आलू, टमाटर, सहित बरबट्टी जैसे अन्य मौसमी सब्जियों का उत्पादन किया गया था। जिसके विक्रय से उन्हें 1 लाख से अधिक की आमदनी हुई है। उनके द्वारा उत्पादित साग सब्जियों को स्कूल, आंगनबाड़ी सहित स्थानीय बाजारों में विक्रय किया गया है जिससे उन्हें नकद आय प्राप्त होती थी। अब ये महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम बन रही है। साथ ही अपनी परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाकर सुदृढ़ कर रही है। महिला समूह की दीदियों का कहना है कि गौठान से उन्हें आर्थिक संबल मिला है। जिससे वे स्वालम्बी बनकर निरंतर उन्नति की राह पर अग्रसर हो रही है।