कोरबा 5 सितंबर। प्रदेश सरकार ने कुछ हद तक मांगों को स्वीकार कर लिया है। जिसके चलते अधिकारी.कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त हो गई और अब वे काम पर लौट आए हैं। जबकि सरपंच संघ अपनी 9 मांगों को लेकर हड़ताल पर डटा हुआ है। उसकी हड़ताल से खासतौर पर पंचायत स्तर के कामकाज खटाई में पड़े हुए हैं। सरपंचों की मांग है कि महंगाई के दौर में उन्हें 20 हजार रुपए मासिक मानदेय दिया जाए। उपसरपंच के लिए भी इसी तरह की मांग रखी गई है।

सेवानिवृत्ति होने पर सरकार से यह वर्ग पेंशन भी चाहता है। तर्क दिया गया है कि जब विधायक और सांसद को यह सुविधा मिल सकती है तो ग्रामीण जनप्रतिनिधि भी इसकी पात्रता आखिर क्यों नहीं रखते। हड़ताल की शुरुआत के दौरान सरपंचों ने साफ तौर पर कहा है कि विधायक और मंत्री अपने वेतन बढ़ाने के लिए दो मिनट में प्रस्ताव पारित कर देते हैं इसलिए सरपंचों के मामले में सरकार को लापरवाही का प्रदर्शन करने के बजाय दरियादिली दिखानी चाहिए। 10 दिन से ज्यादा समय सरपंचों की हड़ताल को हो गया है। पंचायत के सचिवों के हड़ताल पर रहने से वैसे भी वहां कोई काम नहीं हो रहे थे। अब जबकि सचिव काम पर लौट आए हैं तो सरपंच अपनी भूमिका से बाहर हैं। ऐसे में पंचायत और ग्रामीण विकास की योजनाओं के साथ-साथ स्थानीय मामलों में विकास और विभिन्न कार्यों के प्रस्ताव व भुगतान के मसले पर रोड़ा अटका हुआ है।

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