मौसम का बदलाव लोगों के स्वास्थ्य पर: अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

कोरबा 13 अगस्त। मौसम में बदलाव का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। अस्पतालों में मरीजों की भीड़ जुट रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रोगियोंकी संख्या इतनी बढ़ गई है कि प्रबंधन को वार्ड के बाहर बिस्तर लगाना पड़ा है। एक पखवाड़े से मौसम में उतार-चढ़ाव जारी है। कुछ दिन पहले तेज धूप, फिर हल्की बूंदा.बांदी और अब तीन दिनों से रूक-रूककर हो रही बारिश ने लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है। लोग सर्दी, खांसी, जुकाम, उल्टी, दस्त, वायरल फीवर से ग्रसित हो रहे हैं। इलाज के लिए लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। इससे शासकीय व निजी अस्पातलों के ओपीडी एवं आईपीडी काउंटर में पर्ची कटाने के लिए मरीजों की लंबी कतार लग रही है।

शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ओपीडी मरीजों की संख्या 550 से अधिक पहुंच रही हैं। सामान्य तौर पर यहां मरीजों की संख्या 400 के करीब रहती है। एक हफ्ते के भीतर लगभग तीन हजार से अधिक मरीजों ने उपचार कराया है। ओपीडी में आए अधिकांश मरीज मौसमी बीमारी से पीडि़त है। स्थिति यह है कि जिला अस्पताल में सर्जिकल, महिला व पुरूष वार्ड में बिस्तर खाली नहीं है। प्रबंधन को मरीजों के लिए वार्ड के बाहर बिस्तर लगाने पड़ रहे और वह भी खाली नहीं है। कई मरीजों को बिस्तर के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, बिस्तर की कमी की वजह से कुछ मरीजों को निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है। इधर निजी अस्पतालों में भी भीड़ अधिक है। मरीजों को चिकित्सकों के द्वारा उपचार सलाह और दवाई दी जा रही है। मौसम की सबसे अधिक मार बच्चों पर पड़ी है। तेज बुखार, सर्दी, खांसी, उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं आ रही है। वायरल फीवर चार से पांच दिन तक बच्चों को परेशान कर रहा है। स्थिति यह है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बिस्तरों की संख्या 350 तक पहुंच गई है। पहले यहां बिस्तरों की संख्या 100 थी। जिले में समय के साथ जनसंख्या भी बढ़ी है।

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं समय पर नहीं मिलने की वजह से मरीज निजी अस्पताल जाने को मजबूर हो रहे हैं। मरीज व परिजनोंं को मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है। सबसे अधिक परेशानी गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार को हो रहा है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के केवल एक ही पर्ची काउंटर है। इसी काउंटर से खून, यूरिन, एक्स.रे, सोनोग्राफी, दांत सहित सभी जांच के लिए निर्धारित शुल्क जमा करना पड़ता है। इसके बाद मरीज इलाज करना पड़ रहा है। इसके लिए मरीज व परिजनों को लंबी कतार में खड़े होकर एक से डेढ़ घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। महिला व पुरूष का भले ही कतार अलग लग रही है, लेकिन पर्ची एक ही खिड़की पर दी जा रही है। ऐसे में बुजुर्गो को भी इसी लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है।

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