खनन प्रभावित गांवों में जल संकट, मापका ने एसईसीएल महाप्रबंधक को सौंपा ज्ञापन

कोरबा 8 मार्च। गर्मी शुरू होते ही इस क्षेत्र के खनन प्रभावित गांवों में भीषण जल संकट शुरू जो चुका है। भूमिगत खनन के कारण मड़वाढोढ़ा, पुरैना और बांकी बस्ती गांव में पेयजल संकट तो है ही, निस्तारी का भी संकट है और मवेशियों के लिए भी पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस संकट के लिए एसईसीएल को जिम्मेदार ठहराया है और समस्या हल न होने पर कोरबा मुख्यालय के घेराव की चेतावनी दी है। इस संबंध में एक ज्ञापन आज माकपा नेताओं ने एसईसीएल महाप्रबंधक को सौंपा।

उल्लेखनीय है कि खनन प्रभावित गांवों में जल स्तर काफी नीचे जा चुका है। इन गांवों में जब खदान चल रही थी, तब खदान का पानी बोरहोल के जरिये तालाबों में पहुंचाया जाता था, जिससे गर्मी में भी इस क्षेत्र के तालाब लबालब भरे रहते थे और इन गांवों के किसान दोहरी फसल के साथ सब्जी उगा कर अपना जीवन यापन करते थे। लेकिन खनन बंद होने के साथ ही ग्रामीणों की किस्मत पर ताला लग गया, क्योंकि एसईसीएल अब जल आपूर्ति करने की सपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। माकपा नेता प्रशांत झा का कहना है कि एसईसीएल को केवल अपने मुनाफे से सरोकार है और जिन किसानों की जमीन खनन के लिए ली गई है, उनकी समस्याओं से अब वह कोई सरोकार नहीं रखना चाहती। लेकिनअब एसईसीएल को उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने से भागने नहीं दिया जाएगा और आंदोलन से उसे जल आपूर्ति के लिए बाध्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बांकी खदान बंद होने के समय से ही जल आपूर्ति की स्थायी व्यवस्था करने की मांग की जा रही है। यदि बांकी की बंद खदान में भरे पानी का उपयोग किया जाता है, तो संकट को दूर किया जा सकता है। माकपा नेता जवाहर सिंह कंवर के साथ जिर्बोधन कंवर, भारत सिंह, सुरेश, शिवरतन कंवर, मोहपाल सिंह, अजित सिंह, दिलीप चौहान, जितेंद्र, उपेंद्र कंवर, कमलेश आदि की अगुआई में मड़वाढोढ़ा, पुरैना और बांकी बस्ती के ग्रामवासियों ने आज कोरबा महाप्रबंधक को अपना ज्ञापन सौंपा और जल संकट दूर न होने पर मुख्यालय के घेराव की चेतावनी दी।

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