31 जुलाई 2000 को पुर्नगठन विधेयक के 20 साल : लोकसभा में डॉ. चरणदास महंत, छत्तीसगढ़ का निर्माण किसी वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं

डॉ. चरणदास महंत जो छत्तीसगढ़ राज्य के विधानसभा अध्यक्ष हैं, के द्वारा आज से 20 वर्ष पहले 31 जुलाई को बतौर संसद सदस्य लोकसभा में भाषण दिया गया था। उन्होंने बड़े ही हर्ष के साथ कहा था कि छत्तीसगढ़ की 2 करोड़ जनता का सपना साकार होने जा रहा है। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के लिए अहिंसक एवं शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रणेता व सहभागी माधव राव जी सप्रे, पंडित सुंदरलाल शर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल, विश्वनाथ तामस्कर, डॉ. राघवेन्द्र राव, बिसाहूदास महंत, लोचन प्रसाद पाण्डेय, पवन दीवान, वीरनारायण सिंह, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बृजलाल वर्मा, छेदीलाल बैरिस्टर, चंदूलाल चंद्राकर, केयर भूषण, पुरूषोत्तम कौशिक, विद्याचरण शुक्ल, दिग्विजय सिंह के साथ-साथ सभी सांसद, विधायक, छत्तीसगढ़ महासभा, भात्र संघ, संघर्ष मोर्चा, छत्तीसगढ़ मंच, गोंड़वाना पार्टी विकास मंच, पिछड़ा वर्ग समाज पार्टी, छत्तीसगढ़ फौज, छत्तीसगढ़ धरना के सभी सदस्यों को नमन करते हुए कहा था कि अब छत्तीसगढ़ की माटी में समृद्धि के नए पुष्प खिलेंगे। गणतंत्र (राज्य) भले ही छोटा क्यों न हो, यदि वह समृद्धशाली हैं तो उसी प्रकार शोभा पाता है और पूजा जाता है। जिस प्रकार दूध देने वाली गाय अपने बछड़े के साथ सभी स्थानों पर पूजनीय है।
डॉ. चरणदास महंत ने कहा था कि भौगोलिक दृष्टिकोण से केरल से 6 गुना और हिमाचल प्रदेश से 5 गुना बड़े छत्तीसगढ़ राज्य में अपार संपदाएं हैं। 3 प्राकृतिक खंडों, सतपुड़ा का उच्च समभूमि भाग, महानदी एवं सहायक नदियों का मध्य भाग और बस्तर के पठार में फैला छत्तीसगढ़ धान की 10 हजार प्रजातियों से एक अलग पहचान विश्वभर में प्राप्त करता है। विश्व में मात्र धान की 12500 प्रजातियां पाई जाती है जबकि 10 हजार प्रजातियां मात्र छत्तीसगढ़ में है। वन के मामले में समृद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश खनिज की दृष्टि से एशिया का सर्वाधिक संपन्न क्षेत्र है। यहां का लोहा गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ है। तीन अयस्क, क्वार्टाजाइट, हीरा, एलोक्जन्ट्राटस, कोरंडम शत प्रतिशत है। बस्तर में सोने का भंडार पाया गया है।

सन 1741 से 1818 तक भोसलों का शासन यहां रहा और 1818 से स्वतंत्रता प्राप्ति तक अंगे्रजों का शासन था। इस बीच 1820 में एग्नू ने छत्तीसगढ़ प्राप्ति की कल्पना की। अनेक खंडों में राजाओं का वर्चस्व के मध्य सीपी बरार के अधीन छत्तीसगढ़ ने अपनी छटपटाहट को महसूस किया जिसे छटपटाहट से मुक्ति देकर एक स्वतंत्र छत्तीसगढ़ का अभ्युदय महापुरूषों के प्रयासों से सफल हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने महान आत्माओं की कल्पनाओं को साकार किया जिसके हम सभी सदैव आभारी रहेंगे। और आखरी में डॉ. चरणदास महंत ने बड़े ही एक अलग अंदाज में अपनी बात रखते हुए कहा कि अंत में मैं सदन से प्रार्थना करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ का निर्माण, किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय, राजनीति दल, कुर्सी प्राप्त करने अथवा वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं वरन उस आदमी के लिए हैं :- जो खेत जोतता है, जो फसल बोता है, जो फसल उगाता है, जो फसल काटता है, फिर भी अपने परिवार के लालन-पालन से वंचित रह जाता है। उस आदमी के श्रम को सम्मान देने, उसके आर्थिक और समाजिक उत्थान को दिशा देने और उसे समृद्ध बनाने और संरक्षण प्रदान करने के पुण्य विचार के साथ इस छत्तीसगढ़ राज्य को, उस आदमी को यह पवित्र सदन समर्पित करें। डॉ. महंत ने कहा – हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि छत्तीसगढ़ की माटी उर्वरा है। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ भारत के एक समृद्धशाली राज्य के रूप में उभरेगा जो सत्य, अहिंसा और प्रेम का प्रतीक बनेगा और इसी भावना के साथ सर्वानुमति से इस विधेयक को पास करें। इस प्रार्थना के साथ मैं मध्यप्रदेश पुर्नगठन विधेयक 2000 का समर्थन करता हूं। आज 31 जुलाई 2020 को बीस साल बाद इस विधेयक को याद करते हुए डॉ. महंत कहते है कि पूर्वजों और पुरखों के देखे सपनों को पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।