छत्तीसगढ़ साहित्य @@ @दूध नदी @@@ ® विजय सिंह Gendlal Shukla July 25, 2020 दूध नदीदूध नदी* की कल कल सेमैने कई बारगड़िया पहाड़ के शिखर को छुआ हैनदी का नाम दूध नदी कैसे पड़ाक्या गड़िया पहाड़ जानता हैया जानते हैं शहर के लोगमुझे पता हैगड़िया पहाड़ की मुंह लगी है दूध नदीगड़िया पहाड़ है तो दूध नदी हैदूध नदी है तो शहर हैदूध नदी को जानने वालेलोग कहां गये ?वे जानते थे दूध की तरह उफनती नदी से उनके खेतों में आती थी हरियालीउनका मानना था इसके पानी में दूध जैसी मिठास हैजिसको चख कर वेनिहाल हो जाया करते थेवे दिन पानी की तरह पारदर्शी और दूध की तरह सुन्दर थे इसलिए शहर में चमक थीऔर यहां बसने वाले का मनफूल की तरह खिला हुआ थादूध नदी को जानने वाले लोगअब शहर में नही रहेनही रहा वह किस्साजब गड़िया पहाड़ का बाघनदी के दूधिया पानी में उतरकर मुंह धोता और नदी की मछलियों से बतियाता रेत में खेलता और पालतू जानवर की तरह वापसचल देता जंगल की ओरआज भी गड़िया पहाड़ के जानवर दूध नदी के पास आते हैं लेकिन उल्टे पांव लौट जाते है जंगल की ओरदूध नदी से नही डरतेगड़िया पहाड़ के जानवरडरते हैं शहर के लोगो सेजहां भीड़ है, शोर शराबा हैबंदूक की आवाज़ हैंदूध नदी कबसेशहर में बह रही हैयह किस हालात में हैं ?कोई नही जनता जबकिदूध नदी के पुल से निकलती है हज़ार – हज़ारकिसम – किसम की गाडि़याँ, लक्जरी बसें और जाने क्या -क्यारोज दिन यही से कितने यात्री पहुंचते है अपने – अपने घरयही से गुजरता है लालबत्ती में बैठे मंत्रियों अधिकारियों का काफिलापढने वाले छात्र – छात्राएं यही से होकर पहुंचते है अपने स्कूल – कालेजआफिस – कचहरी बाजार जाने वाले लोगों का रास्ता भी यही हैऔर तो और सब्जी बेचने वालों की बैल गाडियां भीरोज सुबह धूल उडाती, धड़धड़ाती दूध नदी केउपर से निकलती हैलेकिन किसी के चर्चे मेंकिसी की बातचीत मेंदूध नदी नही आती जबकिबरसो से राजापारा, अन्नापूर्णापारा, भण्डारीपाराऔर शहर के अनेक घरों के चौखट को छूती एक आस लिए, बूंद – बूंद बह रही है दूध नदीकि कभी उसकी आंखों में समुद्र का पानी लहरायेगामुख्य बाजार के लकदक – भागमदौड़ के बीचशहर के पुराने पुल को अपनी बांहों में थामे कब से लोगों के चेहरों को देख रही है दूध नदीकि आयेंगे उसके पास शहर के लोग राजी खुशी पूछेंगे,पूछेंगे हाल – चाललेकिन कोई नही आताआते भी है शहर की सारी गंदगी छोडउसे और मरने के लिए छोड जाते हैं जबकि वे जानते हैकि शहर के हृदय मे बहने वाली इकलौती नदी है दूध नदीशहर के लोग नही जानते ?कि दूध नदी मलाजकंडूम से निकलकर महानदी के सरंगपाल मे मिलती है कि दूध नदी से गुजरती है राष्ट्रीय राजमार्गकि दूध नदी के पूल से एक शहर दूसरे शहर को जोडता हैकि दूध नदी से शहर की पहचान है, मुझे पता है गड़िया पहाड़ शहर का चौड़ा माथा है, जिससे लोगो के चेहरों मे चमक है तोदूध नदी शहर का धडकता हुआ दिल जिससे शहर की सांसें चलती हैं, मुझे दुख हैकि शहर के लोग यह नही जानतेदूध नदी को मै जानता हूँऔर दूध नदी मुझे,जब भी इसके पास से गुजरता हूँयह मुझे पुकारती है इसकी आवाज सुन इसके पास बैठता हूंदेख सकता हूंइसकी आंखों में पानी नही हैदूध नदी कबसे पुकार रही हैजिसे मेरे साथ, गड़िया पहाड़ के अलावाऔर कोई सुनना नहीं चाहता*कांकेर में बहने वाली नदीबंद टाकीज के सामनेजगदलपुर, बस्तर , छत्तीसगढ़094242 85311 Spread the word Post Navigation Previous कोरबा में शनिवार को भी जारी रहा कोरोना का कहर, शहर में फैली सनसनीNext पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरा, फेसबुक लाइव पर की अपनों से अपनी बात Related Articles कोरबा छत्तीसगढ़ प्रेरणा संगठन सुरक्षा प्री-पेड बूथ से ऑटो लेना सुरक्षित और किफायती: उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन Gendlal Shukla December 26, 2024 कोरबा छत्तीसगढ़ प्रेरणा संगठन मिसो ने वृद्ध भिक्षुकों को कंबल वितरित किया’ Gendlal Shukla December 26, 2024 किसान आंदोलन कोरबा छत्तीसगढ़ राजकाज संगठन समस्या हड़ताल जुराली के ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी Gendlal Shukla December 26, 2024