कोरबा मेडिकल कालेज को नहीं मिली मंजूरी, फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर व इक्विपमेंट की कमी

कोरबा 30 अक्टूबर। नए सत्र से कोरबा में मेडिकल कालेज शुरू होने की उम्मीद पर पानी फिर गया है। फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर व इक्विपमेंट की कमी बताते हुए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग नेशनल मेडिकल कमीशन एनएमसी ने अनुममति नहीं दी। इसकी वजह से राज्य शासन समेत एमबीबीएस की पढ़ाई की तैयारी में लगे विद्यार्थियों को झटका लगा है। समय रहते एनएमसी की मापदंडों को पूरा करने की जगह जिम्मेदार अधिकारी आपस में उलझते रहे। अब इसका खामियाजा क्षेत्र के लोगों को उठाना पड़ेगा। यदि सब कुछ ठीक रहा तो अब छह माह बाद ही एनएमसी की हरी झंडी मिल सकेगी।

छत्तीसगढ़ में कोरबा, महासमुदं व कांकेर में नए सत्र से राज्य शासन ने एमबीबीएस कक्षाएं शुरू करने की पूरी तयैारी कर ली थी। प्रत्येक कालेज में 100-100 सीट निर्धारित किया गया था। अनुमति नहीं मिलने से छात्र-छात्राओं में निराशा देखी जा रही है। एक मात्र कांकेर को एनसीबी ने स्वीकृति दी है। कोरबा और महासमुंद को स्वीकृति नहीं देने से 200 सीट का झटका लगा है। जिले में मेडिकल कालेज खुलने की उम्मीद पर सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन एनसीबी की ना ने मंशा पर पानी फेर दिया। जिले में मेडिकल कालेज की मांग लंबे समय से की जा रही थी। जिसे देखते हुए राज्य शासन डेढ़ साल पहले इसकी घोषणा की थी। कालेज प्रबंधन को जिला अस्पताल के अलावा बालाजी ट्रामा सेंटर की भी जिम्मेदारी दी गई है। अस्पताल के संचालन में सिविल सर्जन और डीन के बीच वैचारिक मतभेद का असर कालेज केा मूर्तरूप देने की तैयारी पर पड़ा। बहरहाल कालेज खोलने की अनुसंशा राज्य सरकार करती है लेकिन उसे संचालन की अनुमति राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग प्रदान करता है। जिले में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आइटी कालेज के पचास फीसदी हिस्से को मेडिकल कालेज के लिए स्वीकृति भी दी गई। मेडिलकल कालेजके डीन वायडी बड़गैया का कहना है कि आवशकता के अनुसार मेडिकल इक्विप मेंट खरीदी देरी से हुई। अभी भी कई सामानों की खरीदी की जानी है। इसके लिए राज्य सरकार से दो करोड़ राशि भी मिल चुकी है। खरीदी की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ मेडिकल बोर्ड को दी गई है। उपलब्ध संसाधन में बतौर लेक्चरर 60 डाक्टर्स स्टाफ की जरूरत है। जिले मेडिकल कालेज में अब तक 40 स्टाफ की नियुक्ति की गई है। उपलब्ध स्टाफ रायगढ़, जगदलपुर, बिलासपुर और रायपुर से स्थानांतरित किए गए हैं। इनमें कई कर्मचारियों ने अभी तक ज्वानिंग नहीं की है। कालेज शुरू नहीं होने कर्मचारियों को छह माह का अतिरिक्त समय मिल गया है।

मेडिलकल कालेज की इंफ्रास्ट्रक्चर को राज्य शासन ने जून माह में ही मूर्तरूप दे दिया था। इस समय कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम में था। मरीजों की इलाज के लिए डाक्टर की टीम कमान संभाला था। आरटीपीसीआर कोरोना जांच की जिम्मेदारी भी जिला स्वास्थ्य विभाग मेडिकल कालेज प्रबंधन को दयिा था। अगस्त माह में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की टीम ने मेडिकल कालेज के संसाधनों का जायजा लिया था। जिला अस्पताल के अलावा आइटी कालेज में चल रही तैयारी के बारे में जानकारी ली थी। टीम ने उसी समय सुविधाओं की कमी के बारे में कालेज प्रबंधन को बता दिया था। मेडिकल कालेज की शिक्षा सत्र की शुरूआत आम तौर पर मई माह में होती है। कोरोना काल के कारण इस बार समय पर सत्र शुरू नहीं हुई। नए सत्र की शुरूवात मई माह में होगी। इस लिहाज से देखा जाए तो जिला मेडिकल कालेज प्रबंधन के फिर से अपना परफारर्मेंस देने के लिए छह माह का समय है। मेडिलकल कालेजे की डीन बड़गैया की माने तो चार माह का समय तैयारी के लिए काफी है। इस अवधि में संसाधन की कमी को पूरी कर ली जाएगी। राज्य मेडिकल बोर्ड से अनुरोध किया गया है कि सामानों की खरीदी तत्परता से करे।

सुविधाओं की कमी को देखते हुए मेडिकल कालेज प्रबंधन ने जिला खनिज न्यास से सहयोग की आस लगाई हैं। आइटी कालेज के इंफ्रास्ट्रक्चर को मेडिलक कालेज के अनुरूप ढालने के लिए दो करोड़ की मांग की है। उक्त राशि से लैबए आपरेशन थियेटर रूप को अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का स्वरूप दी जाएगी। जिला खनिज न्यास से अब तक विभिन्ना निर्माण कार्य कार्यों के लिए रााशि को पानी की तरह बहाया गया है। ऐसी कई बिल्डिंग हैए जो निर्माण के बाद उपयोगहीन है। जिला मेडिकल कालेज प्रबंधन के संसाधन की कमी को पूरा करने में खनिज न्यास का पर्याप्त सहयोग होता तो संभवतः मेडिकल कालेज की शुरूवात इसी सत्र से हो सकती थी।

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