बिल्ली को दूध की रखवाली


न्यूज एक्शन । लोकतंत्र का महापर्व मतगणना के साथ निपट गया । 23 मई को हुई मतो की गणना ने एकबार फिर मोदी सरकार को सत्ता के सिंहासन पर  पूर्ण बहुमत के साथ विराजमान कर दिया । पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इसबार भी मोदी लहर की सुनामी में विरोधी दल नस्तोनाबूत हो गए । मोदी मैजिक ऐसा चला कि कमजोर माने जा रहे भाजपा प्रत्याशियों ने दिग्गज नेताओं को हरा दिया । मगर कोरबा लोकसभा सीट में मोदी लहर को कांग्रेस ने बेअसर कर दिया । भाजपा प्रत्याशी ज्योतिनंद दुबे को हार का सामना करना पड़ा है । हर हार के बाद पराजय के कारणों की समीक्षा जरूर होती है ताकि भविष्य में इन कारणों का निदान कर विजयश्री को प्राप्त किया जा सके । कोरबा सीट पर हुई भाजपा की हार ने ‘ बिल्ली को दूध की रखवाली की ‘ कहावत को चरितार्थ कर दिया है । पार्टी के भीतरखाने में हार का कारण भीतरघात का हल्ला है , यानी जिन भाजपा पदाधिकारियों पर भाजपा को जिताने का जिम्मा था , उनमें से कुछ ने यह जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई । चाहे मंडल हो या शहरी क्षेत्र के पदाधिकारी कईयों को भीतरघात के चश्मे से देखा जाने लगा है ।चर्चा तो यह भी है कि ऐसे भीतरघातियों की शिकायत ऊपर तक की जाएगी । बहरहाल चुनाव तो निपट गया अब चुनाव की चर्चा और हार जीत के कारणों पर गुफ्तगू होती रहेगी ।

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