राईस मिलर्स कर रहे मनमानी
न्यूज एक्शन। धान खरीदी की मियाद पूरी होने के बाद उपार्जन केंद्रोंं में जमा धान का उठाव मिलर्स द्वारा किया गया है। धान को कस्टम मिलिंग के लिए संबंधित राईस मिल में भेजा गया है। नियमों के मुताबिक कस्टम मिलिंग उपरांत चावल एवं बारदान शासन के पास जमा किए जाने की प्रक्रिया भी चल रही है, लेकिन इसमें कुछ राईस मिलर्स ने झोलझाल शुरू कर दिया है। मानक से अधिक कनकी चावल के साथ खाद्य आपूर्ति निगम को भेजा जा रहा है। जिससे शासन को भारी चपत लग रही है। इस तरह की शिकायत तो कोरबा शहर में सुनने को नहीं मिल रही है, लेकिन कटघोरा और छुरी क्षेत्र में इस तरह की गड़बड़ी की चर्चा जमकर बनी हुई है। शासन के नियमों के अनुसार राईस मिलर्स को 27 प्रतिशत कनकी देना है। परंतु राईस मिलर्स 35 से 40 प्रतिशत तक कनकी भेज रहे हैं। छुरी और कटघोरा में कुछ राईस मिलर्स ने सांठगांठ के बूते यह गड़बड़झाला शुरू किया है। वहीं क्षेत्र के कुछ दबंग टाईप राईस मिलर्स ने राजनीतिक संरक्षण की धौंस दिखाकर मामला सेट किया है। मंत्री से संत्री तक पहुंच बताकर मानक से अधिक कनकी चावल के साथ भेज दिया जा रहा है। वैसे भी राईस कस्टम मिलिंग को लेकर कई तरह की अनियमितताएं सामने आती रही हैं। उसमें से अधिक मात्रा में कनकी भेजा जाना भी एक है। खासकर कटघोरा और छुरी क्षेत्र में इसका बोलबोला है। मिलर्स द्वारा भेजे जा रहे चावल की जांच में इसका प्रमाण मिल सकता है। इसी तरह उच्च क्वालिटी के चावल के बजाए दोयम दर्जे के चावल भी भेजे जाने की चर्चा बनी हुई है। लंबे समय से इस तरह की शिकायतें सामने आती रही हैं। मगर सांठगांठ और संरक्षण के कारण कभी भी इन अनियमितताओं पर प्रशासन ने टेढ़ी नजर नहीं की है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या इस अनियमितता को रोकने प्रशासनिक अधिकारी गंभीरता दिखाते है या नहीं।