विरोधी समर्थकों को कहीं निपटा न दे चुनावी रंजिश

न्यूज एक्शन। विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दल से जुड़े कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों ने अपने पक्ष में जमकर प्रचार प्रसार किया। प्रचार प्रसार के बीच कई स्थानों पर कार्यकर्ताओं व समर्थकों के बीच विवाद के मामले भी सामने आए। अब चुनाव निपट चुका है। प्रदेश में सरकार भी बन चुकी है। अगर अब सरकार बनने के बाद चुनावी रंजिश के विवाद में बखेड़ा खड़ा किया जाए तो विरोधी दल के समर्थकों का निपटना तय है। दर्री में भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है। जिसमें एक पार्टी के समर्थकों पर बंधक बनाकर धमकाने का आरोप लगाया गया। इस विवाद को चुनावी रंजिश से जोड़कर देखा जा रहा है। मामले में स्थानीय नेताओं के खिलाफ एक्ट्रोसिटी व अन्य धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध कर गिरफ्तार किया गया है। एक आरोपी अब भी फरार है। इस घटना के बाद विरोधी खेमे के समर्थकों की सामत आ जाए तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। अगर इस तरह की चुनावी रंजिश चुनाव निपटने के बाद भी जारी रहता है तो फिर यह शांतिपूर्ण व अमन पसंद समाज के लिए हितकर नहीं कहा जा सकता। वैसे भी प्रदेश में नई सरकार के गठन होने के बाद से एक नई संस्कृति का जन्म हुआ है जिसमें कहा तो यह जाता है कि बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। जबकि सरकार इस बात का ढिंढोरा पीट रही है कि बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं होगी। राजधानी से लेकर ऊर्जाधानी तक एक नई संस्कृति जन्म ले चुकी है जो छ.ग. की राजनीति के लिए आने वाले दिनों में खतरा पैदा करेगी।

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