कही-सुनी @ रवि भोई

कही-सुनी (30 MARCH-25) : रवि भोई
क्या भूपेश बघेल की गिरफ्तारी होगी ?
ईडी के बाद सीबीआई के छापे से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भविष्य को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कोई कह रहा है केंद्रीय एजेंसियां भूपेश बघेल को गिरफ्तार कर लेंगी, तो कुछ कह रहे हैं अभी गिरफ्तारी नहीं होगी। 2028 के विधानसभा चुनाव के पहले कुछ एक्शन हो सकता है। नतीजा चाहे जो हो, भूपेश बघेल के निवास पर एक पखवाड़े के भीतर दो बार केंद्रीय एजेंसियों के छापे से राज्य का राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। भूपेश बघेल के साथ उनके राजनीतिक सलाहकार रहे विनोद वर्मा, ओएसडी, भूपेश राज में प्राइम पोस्ट पर रहे चार आईपीएस और दो एडिशनल एसपी के यहां सीबीआई के छापे से लोगों की नजर में पिछली सरकार महाभ्रष्ट दिखने लगी है। राज्य बनने के बाद पहली बार सीबीआई ने आईपीएस अफसरों पर हाथ डाला है। सीबीआई के एक्शन से अभी तो आईपीएस अफसरों की साख पर बट्टा लग गया है। सीबीआई की कार्रवाई के बाद अफसरों के निलंबन का कयास लगने लगा है। ऐसा होता है तो छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक घटना हो जाएगी। शराब घोटाले के बाद महादेव एप का जिन्न जागने से फिलहाल तो भूपेश बघेल की मुसीबतें बढ़ गई हैं। अब आने वाले समय में भूपेश बघेल इसका कितना राजनीतिक फायदा उठा सकते हैं, यह तो समय बताएगा? भूपेश बघेल पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हैं। इस छापे का पंजाब कांग्रेस पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लोग इसका भी आंकलन कर रहे हैं। वैसे भ्रष्टाचार की लपटों में एक पूर्व मुख्यमंत्री और आईपीएस अफसरों के घिरने से छत्तीसगढ़ में गड्डा ही गड्डा नजर आने लगा है।
महादेव एप मामले में बचे दो आईपीएस
चर्चा है कि महादेव एप मामले में सीबीआई के रडार में आने से दो आईपीएस बाल-बाल बच गए। भूपेश बघेल के राज में दोनों आईपीएस रायपुर और दुर्ग जिले में पदस्थ रहे और महादेव एप को लेकर चर्चा में भी रहे। कहते हैं सुर्ख़ियों में नहीं रहने के कारण ये दोनों आईपीएस अफसर सीबीआई की नजर में नहीं चढ़े, भले ही शुरूआती दिनों में इनके नाम उछले थे। अब लोग इसे किस्मत का खेल बता रहे हैं। पिछले दिनों सीबीआई ने छत्तीसगढ़ कैडर के चार आईपीएस आरिफ शेख, डॉ आनंद छाबड़ा, डॉ अभिषेक पल्लव और प्रशांत अग्रवाल के निवास पर छापे की कार्रवाई की।
छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में दो अध्यक्ष
खबर है कि छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में अब दो अध्यक्ष होंगे। मंडल में जेनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन के अध्यक्ष डॉ रोहित यादव रहेंगे। ट्रांसमिशन के अध्यक्ष सुबोध सिंह होंगे। राज्य बनने के बाद यह पहला मौका है कि जब विद्युत मंडल में दो अध्यक्ष काम देखेंगे। अब तक ट्रांसमिशन,जेनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन के प्रबंध संचालक अलग-अलग थे। छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में दो अध्यक्ष पदस्थ करने के पीछे विष्णुदेव साय सरकार की जो भी मंशा हो, पर मंडल में दो अध्यक्ष की पदस्थापना को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोग इसे छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के निजीकरण की दिशा में कदम बता रहे हैं। अब आने वाले समय में ही साय सरकार की रणनीति सामने आएगी।
अभिषेक माहेश्वरी को चाहने वाले भाजपा में भी
कहते हैं महादेव एप मामले में एएसपी अभिषेक माहेश्वरी के निवास पर सीबीआई के छापे से भाजपा के कुछ लोगों को गहरा सदमा लगा है। बताते हैं भाजपा के भीतर ही कुछ लोग अभिषेक माहेश्वरी की अच्छी पोस्टिंग के लिए लगे थे। चर्चा है कि इन लोगों ने सरकार के नीति-निर्धारकों से अभिषेक माहेश्वरी की मेल-मुलाक़ात भी करवाई थी और अचानक सीबीआई के छापे से वे भौंचक हो गए। हल्ला है कि भूपेश बघेल के राज में अभिषेक माहेश्वरी की सरकार में तूती बोलती थी। खबर है कि अभिषेक माहेश्वरी की पोस्टिंग बस्तर में थी, पर वे ज्यादातर समय राजधानी में ही नजर आते थे।
आधे से अधिक जिलों के कलेक्टर बदलेंगे ?
चर्चा है कि पांच अप्रैल के बाद राज्य के आधे से अधिक जिलों के कलेक्टर बदल सकते हैं। मंत्रालय स्तर पर भी कुछ अफसरों के विभागों में हेरफेर की कयास लगाई जा रही है। रायपुर, बिलासपुर, मुंगेली, समेत कुछ अन्य जिलों के कलेक्टरों को बदले जाने की हवा उड़ रही है। रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह मंत्री ओ पी चौधरी के साथ कुंभ स्नान के बाद सुर्ख़ियों में आ गए हैं। भाजपा की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले गौरव सिंह भूपेश बघेल के राज में कुछ -कुछ महीनों के लिए दो-तीन जिलों के कलेक्टर रहे। बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण की पोस्टिंग चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के दौरान की थी। साय सरकार ने उन्हें यथावत रखा।अवनीश शरण सचिव स्तर पर पहुंच गए हैं। मुंगेली कलेक्टर राहुल देव जुलाई 2022 से वहां पदस्थ हैं। भूपेश बघेल के राज में पोस्टिंग के चलते इनके बदले जाने की चर्चा है। अब देखते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की छत्तीसगढ़ यात्रा के बाद किस तरह से प्रशासनिक उलटफेर होता है।
भाजपा नेता नरेश गुप्ता छाए
भूपेश बघेल और आईपीएस अफसरों के घर पर सीबीआई छापे के बाद भाजपा नेता नरेश गुप्ता काफी चर्चा में हैं। नरेश गुप्ता ने इस साल 18 फ़रवरी को महादेव एप में भ्रष्टाचार और महादेव एप के प्रमोटरों का पुलिस अफसरों से संबंध को लेकर सीबीआई के डायरेक्टर को पत्र लिखा था। नरेश गुप्ता ने शिकायत में जिन नेता और अफसरों के नामों का उल्लेख किया था, सीबीआई ने उन्हीं के यहां कार्रवाई की। इससे नरेश गुप्ता सुर्ख़ियों में आ गए हैं। बताते हैं भूपेश बघेल व अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई की दिल्ली टीम ने कार्रवाई की। सीबीआई की टीम शिकायत के आधार पर सबूत जुटाए। बताते हैं सीबीआई की टीम कार्रवाई से करीब एक पखवाड़े पहले छत्तीसगढ़ में सक्रिय थी।
विधायक पति भाजपा से निष्कासित
कहते हैं डॉ रमन सिंह के राज में संसदीय सचिव रह चुके सिद्धनाथ पैकरा की राजनीतिक आकांक्षा अचानक जाग गई और वे बलरामपुर जिला पंचायत में अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतर गए। भाजपा के बहुमत वाले जिला पंचायत में उनकी हार तो तय थी, सो हार गए। सिद्धनाथ पैकरा की पत्नी उद्धेश्वरी पैकरा सामरी से भाजपा की विधायक हैं। 2023 के चुनाव में भाजपा ने पराजय के डर से सिद्धनाथ पैकरा की टिकट काटकर उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाया और वे जीत गईं। पार्टी के फैसले के खिलाफ जाने के कारण भाजपा ने सिद्धनाथ पैकरा को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
आईपीएस के काल डिटेल से सीबीआई वाले सांसत में
कहते हैं महादेव एप में उलझे एक आईपीएस का काल डिटेल देखकर सीबीआई के अफसर चक्कर खा गए। बताते हैं ये अफसर अपने बैच मैट से रोजाना कई-कई बार बात करते रहे हैं। महादेव एप के फेर में पड़े अफसर अपने जिस बैच मैट से बात करते थे, वे आजकल भाजपा सरकार में बड़े पावरफुल हैं। खबर है कि अब सीबीआई वाले बातचीत के कारण तलाशने में लगे हैं। वैसे महादेव एप वाले अफसर भूपेश राज में पावर में थे तो उन्होंने अपने बैच मैट की मदद की थी, शायद वे अब कर्जा उतार रहे हों। जो भी हो, काल डिटेल चर्चा का विषय है।
बड़े नक्सली नेता दुबके
कहते हैं कि सुरक्षाबलों के आक्रामक तेवर से घबरा कर नक्सलियों के बड़े नेता दुबक गए हैं या बस्तर इलाका छोड़कर चले गए हैं। खबर है कि नक्सलियों के टाप लीडर बस्तर और आंध्रप्रदेश के अपने ठिकानों को छोड़कर विदेश चले गए हैं। चर्चा है कि कुछ नेपाल और श्रीलंका चले गए हैं। बड़े नेता और रणनीतिकार न होने से सुरक्षाबलों के हाथों नक्सली लगातार मारे जा रहे हैं। बस्तर में जवान लगातार आपरेशन चला रहे हैं और पहले के मुकाबले सुरक्षाबलों की संख्या भी काफी बढ़ गई है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)