ट्रंप निभाएं पूर्व अफगान सहयोगियों से किया वायदा : एलियट एकरमैन

न्यूयार्क। अमेरिकी सेना के पूर्व खुफिया अधिकारी एलियट एकरमैन ने अपने संस्मरण में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पूर्व अफगान सहयोगियों से किया गया वायदा निभाने की मांग की है।

उन्होंने एक लेख में बताया है कि मैंने 2008 और 2011 के बीच अमेरिकी मरीन कोर अधिकारी के रूप में अफगानिस्तान में काम किया था। स्पेशल ऑपरेशन यूनिट के अधिकारी अमेरिकी नहीं बल्कि अफगानी यूनिफार्म पहनते थे। यूनिफार्म के माध्यम से अमेरिकियों और अफगानियों की एकजुटता का यकीन दिलाया जाता था। लेकिन साढ़े चार साल पहले अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के साथ वह वादा टूट गया। अमेरिका के पास आज उस वचन को आंशिक तौर पर निभाने का मौका है।

उन्होंने आगे लिखा है कि अमेरिका के आखिरी सैनिक विमान ने अगस्त 2021 में काबुल छोड़ा था। लेकिन वापसी पूरी नहीं हुई थी। हमारे 1600 से अधिक अफगान सहयोगी विदेशों में फंसे रह गए। वे अमेरिका में बसने की कोशिश कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने रिफ्यूजी एडमिशन प्रोग्राम बंद कर अमेरिका में उनका प्रवेश रोक रखा है। अगर यह निर्णय नहीं बदला गया तो हमारे पुराने सहयोगियों के साथ एक और विश्वासघात होगा। अफगान शरणार्थी हमारे साथ मिलकर लड़ने वाले अफगान मिलिट्री के अफसर हैं। उनमें महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले एक्टिविस्ट भी शामिल हैं। उनमें अमेरिकी सैनिकों की पत्नियों और बच्चों सहित कई अमेरिकी नागरिकों के परिजन हैं।

एकरमैन के अनुसार, तालिबान ने हमारे सहयोगियों को खोजकर मारने के लिए उनकी सूची बनाई है। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और अफसरशाही की ढील के कारण बाइडेन सरकार उन्हें अमेरिका लाने में नाकाम रही है। अपने चुनाव अभियान में डोनाल्ड ट्रम्प ने वापसी के लिए राष्ट्रपति बाइडेन की तीखी आलोचना की थी। ट्रम्प की दलील थी कि अमेरिका को अफगानिस्तान से निकलना चाहिए लेकिन बाइडेन सरकार ने हड़बड़ी में वापसी की है। अब ट्रम्प स्वयं बाइडेन की गलती दोहरा रहे हैं।

एकरमैन के अनुसार बाइडेन सरकार की यह कहते हुए आलोचना की गई थी कि अपने अफगान सहयोगियों को छोड़ने से अमेरिका की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा है। यह आलोचना उस समय सही थी और अब भी सही है। ट्रम्प प्रशासन के पास अपने सहयोगियों का जीवन बचाने का अच्छा मौका है। ऐसे अफगानियों को अमेरिका लाकर ट्रम्प स्वयं को बाइडेन से अलग दिखा सकते हैं।

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