बड़ा खतरा: मोबाइल इयरफोन से बहरेपन का शिकार हो रहे युवा…!

अहमदाबाद। मोबाइल इयरफोन युवाओं की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। इससे वे बहरेपन का शिकार हो रहे हैं। अगर कोई 7 दिनों तक रोजाना 8 घंटे से अधिक 60 डेसिबल से ज्यादा शोर के संपर्क में रहता है, तो आंशिक या पूर्ण बहरापन का खतरा होता है। इयरफोन 80 से 120 डेसिबल ध्वनि निकालते हैं। अहमबादबाद के सरकारी अस्पताल के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. नीना भलोदिया का कहना है कि 60 डेसिबल तक का शोर आरामदायक स्तर माना जाता है। कान की समस्याओं को लेकर औसतन 100 में से 30 लोग एक या दोनों कानों में बहरेपन से पीड़ित हैं। जांच से पता चला कि ये 30% लोग अपने कानों में इयरफोन लगाकर पूरी आवाज में संगीत सुन रहे थे। 20% लोगों को तो यह भी पता नहीं कि उनकी सुनने की क्षमता कम हो चुकी है। डॉ. भलोदिया के अनुसार, दिन में 8 घंटे तक इयरफोन का इस्तेमाल खतरनाक है।
केस-1: 15 वर्षीय किशोर
खेलत समय भी अपने ईयरफोन लगाकर पूरी आवाज में गाने सुनता था। शुरुआत में उसे सिरदर्द था, लेकिन सुनने की क्षमता कम होने के बाद ऑडियोलॉजी जांच से पता चला कि उसके कान के पर्दे को नुकसान पहुंचा है।
केस-2: 30 वर्षीय युक्क रोज ईयरफोन लगाकर फिल्में देखता था। इससे उसे सिरदर्द होने लगा। कोई सामान्य आवाज में भी बोलता तो वह सुनाई नहीं देती थी और यह स्पष्ट नहीं होता था कि आवाज कहां से आ रही है। कान के डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहने के कारण दोनों कानों से 40 से 50% सुनने की क्षमता खो चुका था।
ध्वनि 85 डेसिबल से अधिक तो बहरेपन का खतरा
ध्वनि तरंगों को कान के जरिए प्राप्त कर मानव मस्तिष्क विशिष्ट तरीके से उसे डीकोड करता है। यदि ध्वनि 85 डेसिबल से अधिक है और लंबे समय तक सुनाई देती है, तो बहरेपन का खतरा होता है।
डॉ. नीना भालोदिया, ईएनटी विशेषज्ञ, अहमदाबाद
( साभार )