गौमुखी सेवाधाम सम्मानित, सचिव योगेश जैन ने प्राप्त किया सम्मान
कोरबा 16 नवम्बर। भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती को पूरे भारत वर्ष में “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर कलेक्टोरेट परिसर के सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में जनजातीय क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था गौमुखी सेवा धाम, देवपहरी को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री लखनलाल देवांगन द्वारा संस्था को सम्मानित किया गया। संस्था के प्रतिनिधि के रूप में यह सम्मान सचिव योगेश जैन एवं सहसचिव डॉ. राजीव गुप्ता को प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
सचिव योगेश जैन ने गौमुखी सेवा धाम के उद्देश्य, स्थापना एवं सेवा कार्य के बारे में बताया गया कि- गौमुखी सेवा धाम संस्था की स्थापना 15.09.2000 को पर्वतीय अंचल देवपहरी में की गयी थी। यह परियोजना वनवासी बंधुओं के सर्वांगीण विकास व उन्हे मुख्य धारा से जोड़ने के लिये कार्य कर रही है। 40 गांवों मे रहने वाले लाभार्थी वनवासी बंधुओं की कुल संख्या लगभग 20,000 है। दुर्गम पर्वतीय अंचल में विकास की मुख्य धारा से अलग थलग पड़े वनवासी बंधुओं के उत्थान के लिये सेवा प्रकल्प की स्थापना की गई व मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराकर पांच आयामों में सेवा कार्य प्रारंभ किया गया।
समिति द्वारा प्रारंभ किये गये सेवा कार्य के पांच आयाम हैंः-
1.धर्म जागरण व आध्यात्मिक विकास
2.सामाजिक पुनर्रचना
3.स्वास्थ्य सेवा
4.शिक्षा व नैतिक विकास
5.आर्थिक विकास
संगठन के 5 हाईलाइटेड सेवा प्रोजेक्ट हैंः-आध्यात्मिक जागरण का कायर्रू- ग्राम देवपहरी में मां सिद्धिदात्री मंदिर की स्थापना, 40 गावों के प्रत्येक घर में रामायण वितरण के साथ क्षेत्र में धर्मजागरण का कार्य प्रारंभ व धर्मांतरण पर रोक के लिये प्रभावी पहल, सामाजिक बुराई दृ मुख्यतरू शराब के विरूद्ध जनजागरण।
सामाजिक पुनर्रचना का कार्य – सामाजिक पुननिर्माण हेतु ग्रामीणों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण शिविर जैसे ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रतिवर्ष माई मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें महिलाओं के स्वालंबन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य प्रशिक्षण तथा सांस्कृतिक एवं खेल कूद कार्यक्रम किये जाते हैं। पुरूषों के प्रशिक्षण हेतु साधना शिविर का आयोजन किया जाता है जिसमें ग्राम विकास की आगामी योजनाओं के अनुरूप विशेषज्ञों को बुलाकर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा सामाजिक संरचना सुदृढ़ करने हेतु निर्धन कन्या विवाह आयोजन एवं चौत्र व शारदीय नवरात्रि, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी आदि विभिन्न पर्वों पर ग्रामीणों के साथ उत्सव व सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद आदि का आयोजन किया जाता है।
स्वास्थ्य संबंधी सेवाएंः- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ्य मन निवास करता है अतः ग्रामीण स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण माना गया। सन् 2004 में ग्रामोदय केन्द्र में सर्व उपकरण युक्त चार शय्या अस्पताल छ. ग. के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह द्वारा उद्घाटित किया गया है जिसमें बहुत से रोगी,पीड़ित ग्रामवासियों को मुफ्त चिकित्सा प्राप्त हो रही है। समय- समय पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता है जिसमें जिले के चिकित्सा विशेषज्ञ अपनी सेवाएं देते हैं। समिति के पास एक चलित चिकित्सालय वाहन है जिससे दूर दराज के गांवों में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता है। एक एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध है जिसके द्वारा गंभीर मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा के बाद जिला अस्पताल भेजा जाता है। प्रकल्प के प्रारंभ से ही ओड़ीसा प्रांत से आकर कठिन परिस्थितियों में भी रहकर डा देवाशीष मिश्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विवाह होने पर उनकी पत्नी डाक्टर पत्नी ने भी सेवा कार्य में उन्हे सहयोग प्रदान किया।
शैक्षणिक विकास का कार्यः- समिति आश्रम केन्द्र में वनवासी बच्चों के लिए कक्षा पहली से दसवी तक आवासीय विद्यालय संचालित है, जहाँ शासन द्वारा स्वीकृत पाठ्यक्रम के अतिरिक्त योग, बागवानी, कम्प्यूटर आदि को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सके तथा वे संस्कारयुक्त शिक्षा ग्रहण कर समाज की मूलधारा से जुड़ सकें।
आर्थिक विकास का कार्य- आर्थिक विकास हेतु पारंपरिक कृषि को आधुनिक कृषि में बदलने का प्रयास किया जा रहा है प्रतिवर्ष किसान मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें उन्नत किस्म के बीजों का निशुल्क वितरण, आधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण, अतिरिक्त आय वाली खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। इसके अलावा गौपालन, कपड़ा बुनाई-सिलाई जैसे ग्रामीण उद्योगों के लिए प्रोत्साहन, प्रशिक्षण एवं सहयोग द्वारा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस परियोजना की उपलब्धियां हैं- प्रकल्प के कार्यों से क्षेत्र में पर्याप्त सकारात्मक सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन आया है। लोगों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार आया है। धर्म के प्रति आस्था व धार्मिक कार्यों में वृद्धि हुई है, एवं धर्म परिवर्तन पर प्रभावी रोक लगी है। प्रत्येक 40 ग्रामों में ग्रामीणों की मांग पर देवालय की स्थापना की गयी है। एवं रामायण आदि धार्मिक ग्रंथों का प्रत्येक बनवासी परिवार में वितरण किया गया है।
शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधा का इस क्षेत्र में नितांत अभाव था। प्रकल्प के कार्यों से इनका विस्तार एवं लोगों मे शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आई है। लोगों मे शराब आदि बुराईयों के प्रति झुकाव कम हुआ है। कृषि की गुणवत्ता में और खान पान के स्तर में सुधार आया है। लोगों द्वारा सब्जियों के उत्पादन एवं भोजन में दाल-सब्जियों के प्रयोग करने की आदत विकसित हुई है। जिससे वे अधिक पौष्टिक भोजन ग्रहण कर रहे हैं। इस कार्य से दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में निवासरत बनवासी बंधु सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं। उनके जीवन स्तर में काफी सुधार आया है।