कोरबा मल्टी लेवल पार्किंग : ठेकेदार पहुँचा हाईकोर्ट, निगम की प्रतिष्ठा की फिर उड़ी धज्जियाँ, चीफ जस्टिस ने जमकर लताड़ा
न्यूज एक्शन की बात मुख्य न्यायधीश ने दोहराई
मुख्य न्यायाधीश ने शासकीय अधिवक्ता को जमकर लताड़ा, कहा – “जनता के पैसो को कर रहे बर्बाद, अधिकारीयों की जेब से करवाऊंगा भरपाई”
बड़बोले नेताओं और रबड़ीखोर अधिकारीयों के निकम्मेपन की भेंट चढ़ी परियोजना
कोरबा 11 सितंबर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में नगर निगम कोरबा की प्रतिष्ठा की आज फिर धज्जियां उड़ गई। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कोरबा निगम का पक्ष रख रहे शासकीय अधिवक्ता को जमकर लताड़ लगाई और कहा की जनता का जो पैसा बर्बाद हुआ है उसकी भरपाई आपकी (अधिकारीयों की) जेब से करवाऊंगा। इस दौरान विरोधी पक्ष के वकील दांत दिखाते रहे। बहरहाल जिस प्रकार से उच्च न्यायलय में बीते कुछ माह में निगम की फजीहत हुई है उससे यह स्पष्ट है की कोरबा निगम की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगाने की कोशिश में निगम अधिकारीयों के चाँद सितारे गर्दिश में आ गये हैं।
मामला कोरबा के हृदयस्थल में स्थित अधर में लटकी मल्टी लेवल पार्किंग का है। कई सालों से अधर में लटकी परियोजना को ट्रैक पर लाने के लिए कोरबा नगर निगम आयुक्त ने निर्माण कार्य के ठेकेदार मे. विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी की एस.डी. व पी.जी. की राशि राजसात करते हुए ठेका निरस्त कर दिया था और शेष निर्माण कार्य पूरा करने पुनः निविदा जारी कर दी थी। साथ ही ठेका कंपनी को निगम में कार्य करने से 1 साल के लिए ब्लैकलिस्ट भी कर दिया था। हमेशा की तरह निगम प्रशासन ने ठेकेदार को नोटिस देने के पश्चात भी ठेकेदार द्वारा कार्य शुरू नहीं करने की बात कही। इसके विरोध में ठेकेदार कंपनी ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर करते हुए कहा की निगम की कार्यवाही गलत है। निगम ने बिना कंपनी का पक्ष सुने ही उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया। कंपनी ने अपनी याचिका में कहा की उसने नोटिस का जवाब दिया था जिसे निगम प्रशासन द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया। निर्माण कार्य में हुई लेट लतीफी के लिए ठेकेदार ने जिला प्रशासन को ही दोषी ठहराया है। ठेकेदार का कहना है की ठेका पार्किंग बनाने का हुआ था जिसके अनुरूप वह कार्य कर रहा था। तत्पश्चात जिला प्रशासन द्वारा पार्किंग में अस्पताल बनाने की योजना बना दी गई। अब फिर जिला प्रशासन उसे पार्किंग का ही निर्माण करने निर्देशित कर रहा है। कंपनी ने यह भी कहा की ठेका 2017 है, निगम द्वारा उसे पुराने रेट में ही कार्य करने कहा जा रहा है जो की वर्तमान में उसके लिए संभव नहीं है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा व न्यायाधीश बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच में हो रही थी। दोनों पक्षों की दलील सुनकर मुख्य न्यायाधीश सिन्हा शासकीय अधिवक्ता पर जमकर बरसे। प्रशासन द्वारा पार्किंग में अस्पताल बनाने फिर पुनः उसे पार्किंग बनाने की बात पर श्री सिन्हा ने नाराजगी जताई। उन्होंने प्रशासन का पक्ष रख रहे शासकीय अधिवक्ता को खरी खोटी सुनाते हुए कहा ” आप लोगों ने मजाक बना रखा है। पार्किंग का निर्माण करवाते हो और फिर कहते हो की अस्पताल बना दो। पार्किंग में अस्पताल बन सकता है क्या ? वो भी तब जब 70% कार्य हो चूका है और उसका भुगतान भी किया जा चूका है। उन पैसों का क्या होगा ? जनता के पैसों को बर्बाद किया जा रहा है। आपकी जेब से इन पैसों की भरपाई करवाऊंगा”। न्यायालय ने दोनों पक्षों को दो सप्ताह का समय देते हुए प्रकरण में शपथ पत्र दायर कर अपना पक्ष रखने निर्देशित किया है।
न्यूज एक्शन की बात मुख्य न्यायधीश ने दोहराई
न्यूज एक्शन ने जनवरी 2021 में ही जनकोष को हो रहे नुकसान और प्रशसनिक अधिकारीयों के लापरवाह रवैये को लेकर खबर प्रकाशित की थी। अपनी खबर में हमने यह भी बताया था की किस प्रकार पार्किंग में अस्पताल बनाने की केवल बात की जा रही थी और उसे लेकर जिले की तत्कालीन कलेक्टर और तत्कालीन निगम आयुक्त के बिच ही सामंजस्य नही दिखाई दे रहा था। कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने निगम में सत्तासीन कांग्रेस पार्टी की सरकार की नाकामी छुपाने के लिए बिना कुछ सोचे समझे अस्पताल बनाने की घोषणा कर दी। तब प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार थी। शायद इसलिए अधिकारीयों ने भी चापलूसी करते हुए हां में हां भर दी। फिर क्या था कलेक्टर बदलते रहे और योजना भी। पार्किंग को कभी अस्पताल में परिवर्तित किये जाने की घोषणा होती थी तो कभी व्यवसायिक काम्प्लेक्स। दोष नेताओं का नहीं, उनका काम तो राजनीति करना है पर तकनिकी ज्ञान रखने वाले अधिकारीयों ने भी चुप्पी साध ली और पीठ पीछे चुटकियाँ लेते रहे। अपनी खबर के अंत में न्यूज एक्शन ने जो बात कही थी उसे मुख्य न्यायाधीश ने भी सुनवाई के दौरान दोहराया और कहा ” जो भुगतान कर दिया गया, उन पैसों का क्या होगा ? जनता के पैसों को बर्बाद किया जा रहा है”।
ठेकेदार और प्रशासन, दोनों के दामन में हैं दाग
यहाँ यह बताना आवश्यक है की इस मामले में ठेकेदार और प्रशासन दोनों के दामन ही दागदार हैं। अपनी पूर्व प्रकाशित ख़बरों में हमने बताया था की किस प्रकार ठेकेदार के द्वारा निर्माण कार्य अधुरा छोड़ काम बंद कर दिया गया था। साथ ही तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा था। बता दें की पार्किंग का निर्माण कार्य दिसंबर 2019 से ही बंद कर दिया गया था। लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद जब न्यूज एक्शन ने मामले की पड़ताल शुरू की तो ज्ञात हुआ की ठेकेदार ने किये हुए कार्य का करोड़ो रूपये भुगतान लेकर काम बंद कर दिया है। साथ ही भुगतान मिलने की ख़ुशी में ठेकेदार ने अधिकारीयों को मन भरके रबड़ी मलाई खिलाई है। साथ में यह भी पता चला की शेष कार्य पूरा करने के बजाय ठेकेदार और उस समय निर्माण कार्य देख रहे निगम के एक रबड़ीखोर वरिष्ठ अधिकारी, बची हुई राशि का बंदरबांट करने की साजिश कर रहे थे। इसलिए ही ठेकेदार पर कोई कार्यवाही निगम की ओर से नही की जा रही थी। न्यूज एक्शन ने इस सजिश का पर्दाफाश करते हुए दिसंबर 2020 में खबर चलाई जिससे तत्कालीन निगम आयुक्त के कान खड़े हो गये और भ्रष्टाचार के इस मास्टर प्लान पर ब्रेक लग गया।
कार्य DMF मद का होने के कारण सीधा कलेक्टर कार्यालय के अधीन था पर हैरानी की बात थी की वर्ष 2020 से 2024 तक निर्माण कार्य बंद रहने के बावजूद हर सप्ताह होने वाली समय सीमा की बैठक में ठेकेदार पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही की गई। 4 सालों तक जिला प्रशासन केवल नई नई घोषणाएं करता रहा, कभी अस्पताल बनाने की तो कभी काम्प्लेक्स। प्रदेश में सरकार बदलते ही प्रशासन के तेवर भी बदल गए। छवि चमकाने फाइलें दौड़ाई गई। नव पदस्थ निगम आयुक्त ने मामले में सख्ती तो दिखाई पर आस्तीन के साँप रुपी अपने अधिकारीयों की कारगुजारी से अनजान अब न्यायपालिका की कार्यवाहियों का दंश झेल रहीं हैं। बहरहाल यह पूरा मामला व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धी का है जहाँ कोई बेदाग नही। इसमें दोनों ही पक्ष फायदे में रहे और नुकसान कोरबा की निर्दोष जनता को उठाना पड़ा।
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