Korba Multi-Level Parking : प्रशासनिक बयानों में विरोधाभास.. निर्माण कार्य जल्द शुरू होने की नहीं दिख रही संभावना
नगर के मध्य में चल रही 15 करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना का कार्य पिछले एक साल से बंद, जिला प्रशासन को नहीं कोई परवाह
बिलासपुर के ठेकेदार मे. विकास कंस्ट्रक्शन को मिला है टेंडर। पार्किंग के अलावा कोरबा में ही 3.5 करोड़ की सीसी रोड तथा बिलासपुर में 13.5 करोड़ के ऑडिटोरियम का काम छोड़ रखा है अधुरा
ठेकेदार पार्किंग में 11 करोड़, तो सीसी रोड में 1 करोड़ ले चूका है भुगतान। सीसी रोड की गुणवत्ता शुन्य, कार्य पूर्ण होने के पहले ही रोड का नामोनिशान गायब
पिछले 1 साल से दोनों ही निर्माण कार्य बंद फिर भी साप्ताहिक समयसीमा की बैठकों में आज तक नहीं हुई इस विषय में कोई भी चर्चा
नवनीत राहुल शुक्ला, कोरबा
कोरबा 10 जनवरी। नगर निगम कोरबा और भ्रष्टाचार का चोली दामन का साथ है, इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता। निगम अधिकारीयों की भ्रष्ट कार्यशैली और मनमानियों के किस्से तो अब कोरबा के जनमानस में आम हो चले हैं। वहीं राजनितिक संरक्षण और उच्च अधिकारीयों द्वारा कार्यवाही के अभाव से भ्रष्टाचार में सराबोर इन अधिकारीयों का मनोबल दिनोदिन बढ़ता चला जा रहा है। यूँ तो कहने को अभी कोरबा में IAS अफसरों का जमावड़ा है, जिन्हें कार्यकुशलता के सर्वोच्च शिखर में स्थान दिया जाता है। परन्तु वर्तमान परिदृश्य में तो यह IAS अफसर भी इन भ्रष्ट अधिकारीयों की कठपुतली बने नज़र आते हैं। दुसरी ओर कोरबा की जनता को अपनी मेहनत की कमाई से भरे गए टैक्स के बदले में गुणवत्ताहिन कार्यों का झुनझुना थमा दिया जा रहा है। अब जनता करे भी तो करे क्या? जो जनप्रतिनिधी चुनावो में हाथ जोड़कर, पैरों में गिरकर, बड़े बड़े वादे करके, कसमे खाकर वोट ले लेते है, वो निगम की चौखट लांघते ही इन्ही अधिकारीयों के साथ कम्बल ओढ़कर घी पिने में लग जाते हैं और निगम अधिकारी नित नए कारनामे करते जाते हैं।
इन्ही कारनामों में से एक पर पिछले दिनों हमारे द्वारा खबर प्रकाशित की गई थी जिसमे बिलासपुर के ठेकेदार द्वारा कोरबा नगर को करोड़ो का चुना लगाकर हवा हो जाने व जिला प्रशासन द्वारा तमाशा देखते रहने का खुलासा किया गया था। पिछले संस्करण में हमने बताया था की कैसे बिलासपुर की ठेका कंपनी मे. विकास कंस्ट्रक्शन के द्वारा कोरबा में 15 करोड़ की मल्टीलेवल पार्किंग तथा DMF से स्वीकृत 3.5 करोड़ के सीसी रोड का कार्य पिछले एक वर्ष से अधुरा छोड़ दिया गया है। साथ ही बिलासपुर नगर में भी करोड़ो रूपये के कार्यों को ठेकदार ने आधा अधुरा छोड़ रखा है। मामले की पड़ताल करने पर पता चला की निगम प्रशासन द्वारा ठेकेदार को पार्किंग के कार्य में 11 करोड़, तो सीसी रोड के कार्य में 1 करोड़ रुपयों का भुगतान कर दिया गया है। वहीं आरोप है की DMF से स्वीकृत 3.5 करोड़ के सीसी रोड में ठेकेदार ने गुणवत्ताहिन DPC की थी, जो रोड निर्माण के पहले ही उखड़ गई और आपत्ति किये जाने पर ठेकेदार काम छोड़ कर भाग गया। गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार ठेकेदार ने लगभग 12 करोड़ के भुगतान के एवज में निर्माण कार्य से सम्बंधित अधिकारीयों को भरपेट कमीशन खिलाया है, जिस कारण उक्त अधिकारी भी ठेकेदार को बचाने के लिए निगम आयुक्त व जिला प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं। बता दें की दोनो निर्माण कार्य एक ही अधिकारी की देखरेख में कराए जा रहे है, जो की पूर्व में अपने भ्रष्ट क्रियाकलापों के लिए जेलयात्रा कर चुके हैं।
दोनों लंबित निर्माण कार्यों को लेकर जब हमने निगम तथा जिला प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो उनके बीच भारी विरोधाभास नज़र आया। जहाँ DMF से स्वीकृत 3.5 करोड़ के सीसी रोड का मामला ना ही निगम आयुक्त और ना ही कोरबा कलेक्टर के संज्ञान में था, तो दूसरी ओर मल्टीलेवल पार्किंग को लेकर दोनों ने ही अलग अलग बातें कहीं। बता दें की मल्टीलेवल पार्किंग में ही मैटरनल हॉस्पिटल बनाने का कार्य भी प्रस्तावित है जिसकी घोषणा खुद कोरबा सांसद ज्योत्स्ना महंत के द्वारा की गई थी। अस्पताल निर्माण का कार्य जिले के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मे है, जिस कारण इस विवाद में वह भी एक पक्षकार बन गया है।
पार्किंग में अस्पताल का प्रपोजल भेज दिया गया है, मेडिकल टीम के निरिक्षण का इंतज़ार है – निगम आयुक्त
क्यूंकि मामला निगम से जुड़ा हुआ है इसलिए सर्वप्रथम हमने निगम आयुक्त एस.जयवर्धन से उनका पक्ष जानना चाहा। पार्किंग के विषय में उन्होंने बताया की “पार्किंग में प्रस्तावित अस्पताल का प्रपोजल स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया गया है। जिले में बनने वाले मेडिकल कॉलेज के लिए निरिक्षण पर आने वाली टीम के द्वारा पार्किंग का भी निरिक्षण किया जावेगा। वर्तमान में उनके निरिक्षण का इंतजार है।” वहीं गुणवत्ताहिन सीसी रोड के विषय में उन्होंने कहा की खबर प्रकाशन के पश्चात मामला उनके संज्ञान में आया है। प्रकरण की जाँच के पश्चात ठेकेदार पर उचित कार्यवाही की जाएगी।
अस्पताल का ड्राइंग डिजाईन तैयार, मेडिकल कॉलेज के डीन की अनुशंसा बाकी – सीएमएचओ कोरबा
पार्किंग में प्रस्तावित अस्पताल का निर्माण कार्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराया जाना है। इसलिए हमने सीएमएचओ कोरबा से भी इस विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया की अस्पताल निर्माण के लिए मेडिकल टीम के निरिक्षण की आवश्यकता नहीं है। प्रदेश सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज के लिए डीन की नियुक्ति की गई है। पार्किंग में प्रस्तावित अस्पताल का ड्राइंग डिजाईन तैयार कर उन्हें प्रेषित कर दिया गया है। उनकी अनुशंसा के पश्चात कार्य आगे बढ़ाया जाएगा।
पार्किंग में अस्पताल निर्माण स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी, नगर निगम का इससे कोई सम्बन्ध नहीं – कलेक्टर किरण कौशल
नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की दलीलें सुनने के पश्चात हमने इन विषयों को कोरबा कलेक्टर किरण कौशल के समक्ष प्रस्तुत किया। हमने पिछले एक वर्ष से लंबित दोनों ही निर्माण कार्यों के विषय में उनसे सवाल पूछे। पार्किंग के विषय में कलेक्टर महोदया ने कहा की नगर निगम कोरबा का पार्किंग में प्रस्तावित अस्पताल निर्माण से कोई लेना देना नहीं है। पार्किंग के एक विंग में ही अस्पताल बनना है व अस्पताल का कार्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराया जाना है। नगर निगम को केवल पार्किंग में अस्पताल संचालन हेतु NOC देना है। वहीं DMF से स्वीकृत 3.5 करोड़ के सीसी रोड के विषय में उन्होंने बताया की मामला अब तक उनकी संज्ञान में नहीं आया है। गुणवत्ताहिन निर्माण कार्य होने की शिकायत मिलने पर ठेकेदार पर कार्यवाही की जावेगी। उन्होंने यह भी बताया की साप्ताहिक समयसीमा की बैठकों में एक वर्ष से लंबित इन दोनों निर्माण कार्यों के विषय में अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है।
बहरहाल वर्तमान प्रकरण से जुड़े सभी विभागों व उनके प्रमुखों के बयानों में विरोधाभास स्पष्ट नजर आ रहा है। इससे भी ज्यादा चिंता का विषय तो यह है की करोड़ो की लागत से बनने वाले दोनों ही निर्माण कार्यों के पिछले एक वर्ष से लंबित होने के बावजूद कलेक्ट्रेट में होने वाली साप्ताहिक समयसीमा की बैठकों में आज दिनॉंक तक इस पर कोई भी चर्चा नहीं हुई है। एक ओर जहाँ 15 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाली पार्किंग कोरबा नगर में चल रही बहुचर्चित व महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है तो दूसरी ओर 3.5 करोड़ की लागत से बनने वाली सीसी रोड DMF से स्वीकृत होने के कारण सीधा कलेक्टर कार्यालय से सम्बन्ध रखती है। साथ ही प्रशासन द्वारा ठेकेदार को लगभग 12 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चूका है। इसके बावजूद जिस प्रकार से जिला प्रशासन द्वारा दोनों ही निर्माण कार्यों को नजरंदाज किया जा रहा है, उससे हमारी पूर्व संस्करण में कही गई बात यथार्थ होती नज़र आ रही है की जनकोष से करोड़ो रूपये स्वाहा करने के बाद भी अधिकारीयों के कानों में जूं तक नही रेंग रही, और रेंगे भी क्यूँ ? पैसा उनकी जेब से थोड़े ही गया है ।
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